18.05.2017 ►STGJG Udaipur ►News

Published: 18.05.2017
Updated: 19.05.2017

Update

गुरु #पुष्कर संप्रदाय् में संतक्रम में 13 वां स्थान
विश्व संत उपाध्य्य् पुष्कर मुनि के वर्तमान संप्रदाय्ा की शिष्य परिवार में गुरुवार को #उदयपुर में दी गई दीक्षा के बाद साधुक्रम में नवदीक्षित #जयंत_मुनि का 13 क्रम बन गया हैं। पुष्करवाणी गु्रप ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि #गुरु_पुष्कर_देवेन्द्र_परिवार में कुल 13 संत एवं साध्वियां 67 है।

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मुमुक्षु अभय चोर्डिया बने नवदीक्षित #जयंत_मुनि
#जैन_दीक्षा_महोत्सव
#उदयपुर
19/5/2017

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News in Hindi

टेलेंट बढ़ाएं, जुनून जगाएं, आपकी दुनिया बदल जाएगी - राष्ट्र-संत चन्द्रप्रभ जी
वरूर के नवग्रह तीर्थ क्षेत्र स्थित ए जी एम इंजिनियरिंग काॅलेज में

हजारों विद्यार्थियों को किया संबोधित

हुबली, 16 मई। राष्ट्र-संत एवं दार्शनिक संत चन्द्रप्रभ जी महाराज ने कहा कि
टेलेंट जीवन की सबसे बड़ी ताकत है। जिनके पास टेलेंट होता है वे मिट्टी से
मंगलकलश और बीज से बरगद का निर्माण कर लेते हैं। जब तक कोई अपने टेलेंट
पर ध्यान नहीं देगा तब तक वह सामान्य कहलाएगा, पर जो अपने टेलेंट को
पहचान लेगा और आगे बढने का जुनून जगा लेगा वह आगे जाकर सचिन तेंडुलकर,
किरण बेदी और कल्पना चावला जैसा अपने आप बन जाएगा। उन्होंने कहा कि मूल्य
इस बात का नहीं है कि हम क्या हैं, कौन हैं, किस जाति के हैं बल्कि हम
क्या हो सकते हैं, क्या कर सकते हैं यह बहुत महत्त्वपूर्ण है। कोई अर्जुन
की तरह राजकुल में पैदा हुआ, द्रोणाचार्य जैसे गुरु मिले और वह आगे बढ़
गया यह उतनी खास बात नहीं है, जितनी कि गरीब घर में पैदा होने और गुरु
नहीं मिलने के बावजूद भी कोई एकलव्य महान धनुर्धारी बन गया यह खास बात
है। हम अपने टेलेंट को पहचानें और आगे बढने की जिद करें, आने वाला कल
निश्चित ही हमारा होगा।
संतप्रवर मंगलवार को वरूर के नवग्रह तीर्थ क्षेत्र स्थित ए जी एम
इंजिनियरिंग काॅलेज में हजारों विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि एकलव्य ने जिद की तो महान धनुर्धारी बन गया, शाहजहाँ ने
जिद की तो ताजमहल खड़ा हो गया और महात्मा गांधी ने जिद की तो भारत को
गुलामी से मुक्त करवा दिया। उन्होंने कहा कि जिंदगी में चुनौती सबको
मिलती है। जो उसके सामने घुटने टेक देते हैं वे जैसे-तैसे जिंदगी जीने को
मजबूर होते हैं, पर जो चुनौतियाँ का सामना करने के लिए कमर कस लेते हैं
वे ही आगे चलकर नये इतिहास का सृजन करने में सफल हो पाते हैं। संतप्रवर
ने अपने जीवन की हकीकत बयां करते हुए कहा कि कभी मेरे सामने भी यह कहकर
मुँह के आगे से माइक हटा दिया गया था कि ये कल के बने संत क्या प्रवचन
बोलेंगे। मैंने उसे अपने जीवन की चुनौती माना और बोलने के क्षेत्र में ही
आगे बढने की ठानी, परिणाम ये आया कि आज हम देशभर में जहाँ भी जाते हैं
लोग हमें बड़ी बेस्रबी से सुनते हैं, इतना ही नहीं देश का बड़े से बड़ा
वक्ता भी हमारे प्रवचनों से कुछ-न-कुछ सीखने की कोशिश करता है।
प्रतिभा निखारने के दिए गुर-संतप्रवर ने प्रतिभा निखारने के गुर देते हुए
कहा कि जीवन में बड़े सपने देखें। मंजिलें उनको मिलती है जिनके सपनों में
जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौंसलों से उड़ान होती है। दूसरे
गुर में संतप्रवर ने आत्मनिर्भर बनने की सीख दी। उन्होंने कहा कि बड़े
बच्चे छोटे बच्चों को पढ़ाएँ, छोटा-मोटा काम करें। बारहवीं के बाद माँ-बाप
की कमाई की बजाय स्वयं के बलबूते आगे बढने की कोशिश करें। अपने कपड़े खुद
धोएँ, झूठी थाली धोकर रखें। जब कपड़े पहनते खुद है, उतारते खुद हैं तो
धोते खुद क्यों नहीं है। पन्द्रह साल के बाद माँ से कपड़े धुलवाना पाप है।
तीसरे गुर में संतप्रवर ने सबह जल्दी उठकर पढने, जल्दी सोने और ललाट पर
पाँच मिनिट ओंकार का ध्यान करने की प्रेरणा दी। अंतिम गुर में भरपूर
मेहनत करने की सीख देते हुए संतप्रवर ने कहा कि सफलता का राज है -
लगनपूर्वक लगातार मेहनत करना। अगर पत्थर पर भी हथौड़े से लगातार चोट की
जाए तो वह भी टूट जाता है।
इस अवसर पर राष्ट्र-संत ललितप्रभ जी महाराज ने कहा कि आदमी की पहचान सुंदर
चेहरे से नहीं सुंदर व्यवहार से होती है। आगे बढने के लिए खूबसूरत चेहरा
दस प्रतिशत काम आता है, पर खूबसूरत व्यवहार नब्बे प्रतिशत। जहाँ अच्छा
व्यवहार हमें लोगों के दिलों में उतारता है वहीं घटिया व्यवहार लोगों के
दिलों से उतार देता है। संतश्री ने रिश्तों को जोडने की सीख देते हुए कहा
कि रिश्तों में कितनी ही खींचतान क्यों न हो जाए, उसे टूटने न दें। भले
ही गंदा पानी पीने के काम नहीं आता, पर आग बुझाने के काम तो अवश्य आता ही
है। व्यवहार को चमत्कारी बनाने का गुर देते हुए संतश्री ने कहा कि हम
बाहरवालों से तो बड़े अदब से पेश आते हैं, पर घरवालों से अदब से पेश आना
भूल जाते हैं। घर का कोई भी सदस्य घर में आए तो हम सोफे पर ही बैठें न
रहें वरन् उसे गेट पर लेने जाएँ और मुस्कुराकर उसका स्वागत करें। ऐसा
व्यवहार उसके लिए किसी कीमती उपहार देने से कम नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि शरीर पर लगा घाव दवा से 7 दिन में ठीक होता है, जीभ में
लगा घाव बिना दवा के 7 दिन में ठीक होता है, पर जीभ से लगा घाव कभी ठीक
नहीं होता है। इसलिए जब भी बोलें मीठी-मधुर वाणी बोलें। संतप्रवर ने कहा
कि सुबह उठते ही घर के सदस्यों को प्रणाम, नमस्कार, अभिवादन करें। प्रणाम
करने से बड़ों के आशीर्वाद मिलेंगे और छोटों को प्रणाम करने की प्रेरणा
मिलेगी। प्रणाम का यह संस्कार आपके पूरे परिवार को सुखी बनाने में सहयोगी
बनेगा। याद रखें, प्रणाम का परिणाम हमेशा अच्छा ही आता है।
इस अवसर पर आचार्य गुणधर नंदी जी महाराज ने विद्यार्थियों से आगे बढने के
लिए पाँच गुण अपनाने की सीख देते हुए कहा कि वे कौए की तरह जागरूक रहें,
बगुले की भाँति एकाग्र रहें, कुत्ते की तरह नींद लें, ठूँस-ठूँसकर भोजन न
करें और घर से बाहर पढने के लिए जाना पड़े तो तैयार रहें।
इससे पूर्व राष्ट्र-संत ललितप्रभ जी, श्री चन्द्रप्रभ जी और श्री शांतिप्रिय सागर जी महाराज
का दिगम्बर संत आचार्य गुणधर नंदी जी महाराज और क्षुल्लक नमित सागर जी महाराज
द्वारा स्वागत किया गया। कार्यक्रम में काॅलेज प्रिंसीपल डाॅ. सुनील जी जैन,
समाज सेवी रमेश जी बाफना, श्रीमती सुरेखा जी बाफना विशेष रूप से उपस्थित थे।

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