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📣 #दक्षिण_हावड़ा
प्रवचनकालीन अनुपम झलकियां
शांतिदूत #आचार्य_श्री_महाश्रमण जी के पावन सान्निध्य से प्रवचनकालीन मनोरम झलकियां।
16.06.2017
प्रस्तुति > #तेरापंथ मीडिया सेंटर
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🌎 आज की प्रेरणा 🌏
प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण
प्रस्तुति - अमृतवाणी 📺
आलेखन - संस्कार चैनल के श्रवण से:-
शास्त्रकार ने कहा है - ज्ञानी आदमी के ज्ञान का सार है, वह हिंसा न करे | अहिंसा समता है | अहिंसा एक ऐसा तत्व है जिससे शांति और पवित्रता दोनों रह सकती है | अहिंसा परमो धर्मः | अहिंसा परम धर्म है | थोड़ी हिंसा तो जीवन में हो ही सकती है,फिर भी सापेक्ष अहिंसा का पालन तो करें ही | हिंसा के तीन रूप - आरम्भजा हिंसा, प्रतिरोधजा हिंसा व संकल्पजा हिंसा | जीवन चलाने के लिए खेती, व्यापार आदि जरूरी होता है, यह आरम्भजा हिंसा | अपनी सुरक्षा व देश की सुरक्षा के लिए होने वाली हिंसा प्रतिरोधजा हिंसा होती है | गुस्सा व आवेश में आकर अपने स्वार्थ के कारण संकल्प पूर्वक हिंसा करना संकल्पजा हिंसा होती है | इस हिंसा से तो हर व्यक्ति को बचना ही चाहिए| आत्मा की भाव शुद्धि अहिंसा व भाव अशुद्धि हिंसा | विवेकपूर्वक व सावधानी से चलते हुए जीव मर भी जाए तो आदमी दोषी नहीं और बिना देखे चलने में जीव न भी मरे तो वह दोषी | मन, वचन और काया से भी हिंसा का सम्बन्ध होता है | व्यक्त-व्यक्ति, देश-देश व प्राणी- प्राणी में मैत्री भाव रहे | केवल पैसा देने वाला ही दाता नहीं होता, सम्मान व मैत्री देने वाला भी दाता होता है | जहाँ तक संभव हो हम किसी की शांति में वाधित न बनें व छोटे-छोटे प्राणियों की हिंसा से भी बचें|
दिनांक - १५ जून, २०१७ बृहस्पतिवार
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🔯 गुरुवर की अमृत वाणी 🔯
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