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Exclusive आज का मनमोहक द्रश्य 🔥.. जब कल विहार होने पर प्रतिभास्थली के बच्चे रोरहे थे तभी एक दीदी बोली.. बेटा बे अपने बाप मताई, भैया बिन्ना के रोये से नई रुके... सो हमाय तुमाय रोये से कैसे रुक जे हे!! 🙂🙂#mustRead #share
#आचार्यश्रीविद्यासागर की पूजा के बाद कल अध्यक्ष महोदय द्वारा, दोपहर में प्रवचन हेतु निवेदन करने पर, आचार्यश्री जोर से मुस्कुरा उठे। 🙂😀
आहारचर्या पश्चात प्रतिभास्थली कि बेटियो ने, मधुरकंठ, मधुर लय से आचार्यश्री की गुरुभक्ति की, आचार्यश्री मुस्कुरा कर आशीष बरसाते रहे। थोड़ी ही देर बाद संकेत हुए विहार के, सभी दीदी, बिटिया रोती, बिलखती हुई वापस आ गई प्रतिभा स्थली से गुरुचरणों के समीप तक, उनके रोने से हम सभी भी द्रवित थे। आचार्यश्री हम लोगो से दूर जो जा रहे थे.....एक बुजुर्ग माँ समझा रही थी रोती हुई बिटिओ को..... "ऐसे नई रोने पड़त " एक बिटिया ने कहा क्या करें दादी हम....."आचार्यश्री नही तो रुकेंगे हमारा रोना भी नही रुकेगा अब..... "*_
_*"बेटा बे अपने "बाप मताई, भैया बिन्ना "के रोये से नई रुकेे... सो हमाय तुमाय रोये से कैसे रुक जे हे। "*_
_*🌦एक उत्साही बहन बोल उठी "इतनी तेज़ बरसात में गुरुजी नही जाएंगे " पुनः उसी माँ ने कहा कहाँ लगी तुम बिन्ना!...."आचार्यश्री खो कोई रोक पाओ है कोई आज तक।"*_
_*विहार के समय हल्की बूंदा बांदी हो रही थी, सूरज दादा भी बार बार आ जा रहे थे। आचार्यश्री के मस्तक पर बरसने वाली बूंदे, सूरज की किरणों से चमकती हुई, "रत्नों सी लग रही थी मुझे," ऐसा लग रहा था, " इन अनियत विहारी आचार्यश्री की भक्ति में इंद्र देव गण रत्नवृष्टि कर रहे थे। "*
_*ज्योहि आचार्यश्री और....उनके पीछे चलता हुआ गुरुभक्तों का मेला, रेलवे फाटक तक पहुचा...स्टेशन में खड़ी वैनगंगा एक्सप्रेस को हरा सिग्नल मिल चुका था, आगे बढ़ने का, फाटक के पास गुरुचरण थमथमाने लगे....गेटमैन गुरुदेव के पास आया सिर, मस्तक, झुका भावनाओ का सिग्नल दिया और..... गुरुदेव निकल पड़े, लोग चिंतित थे, कि वेनगंगा एक्सप्रेस कभी भी आ सकती है।....लेकिन वैनगंगा के पायलट पासिंग देते रहे "आचार्य विद्यासागर सुपर डीलक्स बुलेट एक्सप्रेस को। ".....*_
_*🌦गजब निर्मोही है गुरुदेव, उन्हें यह, चिंता फिकर भी नही कि, सुबह से बरसात हो रही है, ऐसी भरी बरसात में विहार के समय सबका क्या होगा? लेकिन उनको क्या...ऐसे निर्मोही,निस्पृही महासन्त का कहना ही क्या......*_
_*लेकिन उन्हें क्या.... वे तो बढ़ते रहे आज सूरज दादा भी संग संग चल रहे थे,बीच बीच में महाराष्ट्र की अल्हड़ बदलिया बार बार बरसने आतुर थी गुरु चरणों में, एक बार तो बरस भी चुकी कुछ देर को, कुछ भक्त तिरपाल ले कर दौड़े...... वे जब तक तिरपाल खोलते तब तक "सूरज दादा, पवन मामा " को संग ले उन बदलियों को दूर तक भगा चुके थे।यह सब नज़ारे देख आचार्यश्री मंद मंद मुस्कुरा रहे थे और हर्षित और गर्वित हो रहा था विहार में गुरुचरणों की छाया में चलने वाला समूचा गुरुभक्त परिवार,अपने निर्मोही आचार्यश्री के अनियत विहार से इसके साथ ही द्रवित मन, हृदय,आँखों से अश्रु बहते रहे हम सभी छतिसगढियो के...
*शब्दांकन प्रस्तुति*
*राजेश जैन*
संयोजक
*श्री दि जैनाचार्य विद्यासागर पाठशाला* *भिलाई*
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#आचार्यविद्यासागर जी महाराज के 50th दीक्षा पर #श्रवणबेलगोला में #आचार्यवर्धमानसागर जी ने कहा 20th Century के आचार्य #आचार्यशांतिसागर जी हैं तो 21st Century के #AcharyaVidyasagar हैं:) इस पर #मुनिसुधासागर जी कहा हमारा संघ #AcharyaVardhmansagar Ji को वैसा ही महत्व देता हैं जैसा आचार्य विद्यासागर जी को देता हैं, जब मुनि योगसागर जी आदि मुनिराज श्रवणबेलगोला गए थे तब #मुनियोगसागर जी ने आचार्य विद्यासागर जी ने पूछा था की आचार्य वर्धमानसागर जी के साथ कैसा व्यवहार करना हैं तब आचार्य विद्यासागर जी बोला था जैसे व्यवहार तुम मेरे साथ करते हो वैसा ही विनय आचार्य वर्धमानसगर जी के साथ करना हैं:)
क्योकि आचार्य वर्धमानसागर जी निर्दोष चर्या का पालन करते हैं, आचार्य वर्धमानसागर जी महाराज आदर्श आचार्य हैं, वे मिथ्यात्व आदि का कोई समर्थन नहीं करते हैं, आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज के दो मूल स्तम्भ हैं एक आचार्य विद्यासागर जी ओर एक आचार्य वर्धमानसागर जी:) -मुनि श्री सुधासागर जी
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