15.07.2017 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 15.07.2017
Updated: 16.07.2017

Update

आज आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने केशलुँचन किया था इसलिए आज उपवास था । कल रामटेक में आचार्य श्री अपने 38 शिष्यों सहित वर्षायोग #chaturmas स्थापना करेंगे.. #Ramtek में भव्य program होगा! #share

PS: कल जो भी रामटेक जाए हमें Live pics भेजे.. whatsapp भी कर सकते हैं हमें:)

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Antique and fabulous Idol of Tirthanakra Parvanatha @ Stavanidhi, Karnataka!

तुमने तारे लाखो प्राणी, यह संतो की वाणी है...
तेरी छवि पर मेरे भगवंत, यह दुनिया दीवानी है...
भव से पार उतरने को, तेरे गीतों का सरगम होगा....
जिनकी प्रतिमा इतनी सुन्दर, वो कितना सुन्दर होगा...

Pic Captured by Mr. Sushant Kadole

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Kya baat! सनातन वैदिक संस्कृति के सर्वोच्च गुरु ज्योतिषपीठ/ द्वारका शारदापीठ के #शंकाराचार्य श्री स्वामी #स्वरूपानंदसरस्वती जी का श्रमण संस्कृति के प्रमुख स्तंभ #आचार्यविद्यासागर जी महाराज के 50वें दीक्षा दिवस के शुभ प्रसंग पर शुभकामना पत्र! #Shankaracharya #SwarupanandSaraswati

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रविन्द्र जैन का लिखा अध्यात्मिक व् अद्भुत अर्थ से भरा भजन!! #RavindraJain 😇😇

काशी का यह राजकुवर, यही देव सम्मेदशिखर गिरी वाला,
ये अहिक्षेत्र का सूर्य प्रबुद्ध, हृदय में करे जो विशुद्ध उजाला!
है यही पार्श्व जिसे कचनेर में, भक्तो ने धरती खोद निकला,
चिंता छीनछु मंतर हो, जप चिंतामणि पार्श्व की माला!

पार्श्व शब्द में तीन अक्षर बढे, राहू हर एक अक्षर के घटाये,
पा धट जाये तो रस रहे शेष, जो र धट जाये तो पास वो आये!
स धट जाये, तो पार मिले, मिले पार तो जन्मो का दुःख जाये,
तीनो अक्षर याद जो रखे, उसे पारस मणि स्वर्ण बनाये!!

पारस पारस नाम जो गाये, उसको पार सहज करे स्वामी,
नाथ को जो अंतर में रखे, सदा साथ है उसके अन्तर्यामी!
चिंतामणि चिन्ताओ का शत्रु, है पारसमणि मणियो में गामी,
दो मणियो का प्रकाश जो पाए, वो मानव कैसे ना हो शिवगामी!!

जन्म सफल उनका, जिन्हें पारस दर्शन का वरदान मिला है,
पुण्य बड़े उनके, जिन्हें चिंतामणि चरणों में स्थान मिला है!
हमसे अकिंचन को इस नाम से, नाम सुयश धन धान मिला है,
हर अभिलाषा की होगई इतिश्री, जबसे आयुष्मान मिला है!!

संकट मोचन पारसनाथ सा, देव ना दूजा तीनो भुवन में,
चिंतामणि सा रत्न ना कोई, सिंधु के गर्भ कुबेर में धन में!
घर में अभाव ना, रण में पराजय, देह में रोग ना, संशय मन में,
चित्त में चिंता, ना पंथ में बाधा रहेगी तू आजा पार्श्व शरण में!!

जन्म के योगी बालयति तुम, संयम जन्मा संग तुम्हारे,
भोग बिलास वैरागी मन को, आकर्षित कर करके हारे!
अविचल शांत रहे उपसर्ग में, धीर धुरंधर धीरज धारे,
हमको है अभिमान के, पारसनाथ तुम भगवान् हमारे!!

पारसनाथ की मोहिनी मूरत, ध्यान सभी का बरबस खीचे,
कोई पंचामृत ढारे, कोई नयनो के जल से पद सीचे!
उच्च शिखर पर बैठे कही, सोये है कही टीले के नीचे,
अदभुद शर्त है दर्शन की, उसे दर्शन दे के जो आंखे मिचे!!

काशी के कमनीय कमल की सुरभि चतुर्दिशी छाई हुई है,
गणधर ने भगवान् की वाणी, जन जन तक पहुचाई हुई है!
नेमी और महावीर के मध्य मे, पार्श्व ने ज्योत जलाई हुई है,
पद्मावती धरनेंद्र के प्रभु से, हमने भी प्रीति लगायी हुई है!!

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Surprise 😳 Omg!! नदी में पानी आने पर ये चट्टान और प्रतिमाएं पानी में डूब जाती है और पानी उतरने पर दिखाई देती है! #share

महाराष्ट्र में नंदुरबार से 30 किमी दूर शहादा गाँव से लगभग 6 किमी उत्तर की और प्रसिद्ध गोमाई नदी किनारे चट्टानों के बीच व चट्टानों के लेबल से 10 मीटर नीचे उकेरी हुई पंच पांडव / पाण्डवलेनि नाम से प्रसिद्ध प्राचीन जैन प्रतिमाएं.. विश्व जैन संगठन

Wiki @ https://en.m.wikipedia.org/wiki/Pandavleni

#AncientJainism #GloriousJainism #AntiquityofJainism #Pandavleni

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News in Hindi

अभिषेक करते हुए हम क्या common mistake करते हैं? 🔥 #Important_Pravachan -मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महामुनिराज् #share

सभी मूर्तियों का अभिषेक करने की परंपरा गलत है। साथ ही प्रतिमा की गादी (जहां भगवान विराजमान रहते हैं, उसे गादी कहते हैं) है, वहां अभिषेक करना गलत है, मूर्खता है पूज्यवर माघनंदी जी महाराज ने स्पष्ट उल्लेख किया है, कि किसी एक प्रतिमा को उठाकर पांडुकशिला पर विराजमान करके ही अभिषेक करना चाहिए। अब यदि बड़ी मूर्ति है, नही उठाई जा सकती तो, उसकी गादी को मंत्र के द्वारा पांडुकशिला बनाकर, फिर अभिषेक करना चाहिए। कई लोग अभिषेक करते हैं, जिसके कारण मूर्तियां काली पड़ जाती हैं। इससे उन्हें बहुत अशुभ कर्म का उदय होता है। अभिषेक के पहले जैसी मूर्ति चमक रही है,वैसी ही बाद में भी चमकना चाहिए। अगर अभिषेक करते हो,तो मार्जन भी अच्छी तरह से करना चाहिए।

प्रतिमा जी पर श्रावक को कभी अपना माथा नहीं रखना चाहिए।अपनी मात्र 3 उंगलियों से भगवान के चरणों को स्पर्श करके अपने माथे पर लगाना चाहिए। एक बार अपने शरीर से स्पर्श करने के बाद पुनः प्रतिमा को नहीं छूना चाहिए। एक भगवान के चरणों में लगे हाथ, दूसरे भगवान को नहीं लगाना चाहिए। हाथ धोने के बाद ही, आप दूसरे भगवान को छू सकते हो।

आप मूलनायक के चरण छू रहे हैं, और आपकी कुक्षी (कांख, बाजू) के नीचे, यदि भगवान आ गए, तो यह महान दोष है। आप यदि सभी प्रतिमा जी के चरण छूने का पुण्य प्राप्त करना चाहते हो, तो सबसे अच्छा तरीका है, कि नीचे जो प्रतिमा विराजमान है, उसके चरण छूकर मूलनायक की ओर देखो आपको वही एनर्जी मिलेगी,जो मूलनायक को छूने से मिलती है। उसके बाद आप सभी प्रतिमा जी की ओर दॄष्टि डालो, आपको सभी भगवानों के चरण छूने का पुण्य मिल जाएगा। अभिषेक करते समय ध्यान रखें, कि एक थाली में एक से ज्यादा भगवान नहीं रखना चाहिए।* कभी एक भगवान का गंधोदक दूसरे भगवान पर नही पड़ना चाहिए। सबको आप ये बताए और उनको पाप से बचाए #MuniSudhaSagar

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