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भक्तामर अनुष्ठान में भक्ति से सराबोर हुए श्रद्धालु
कलियुग का कल्पवृ़क्ष है भक्तामर स्तोत्र: डॉ. पुष्पेन्द्र
पूना - 15 जुलाई 2017
श्रमण संघीय सलाहकार दिनेश मुनि, डॉ. द्वीपेन्द्र मुनि, श्रमण डॉ. पुष्पेन्द्र के पावन सानिध्य में पूना शहर के कात्रज स्थित ‘आनंद दरबार’ में आज शनिवार (15 जुलाई 2017) को ‘‘भक्तामर अनुष्ठान’’ विधिवत प्रारंभ हुआ। आदिनाथ भगवान की स्तुति में रचे गए इस स्तोत्र की 21 वीं गाथा के जप अनुष्ठान श्रमण डॉ. पुष्पेन्द्र द्वारा किया गया। लाल परिधान मैं सुसज्जित महिला वर्ग व सफेद परिधानों से सज्जित श्रावक वर्ग ने सजोड़े सामूहिक सस्वर जप से आनंद दरबार परिसर को जाप की ध्वनि से निनादित कर दिया। श्रमण डॉ. पुष्पेन्द्र ने कहा आचार्य श्री मानतुंग एक सिद्धहस्त कवि थे। उनकी वाणी में साक्षात सरस्वती विराजमान थी। उनके द्वारा विशेष आपत्ति की स्थिति में भगवद् भक्ति में समुचारित काव्य भक्तामर जैन शासन की अनमोल निधि बन गया। एकाग्रतापूर्वक तपोनुष्ठान सह इसका पाठ अनेक दृष्टियों से उपकारक है। भक्तामर की गाथाओं में कुछ ऐसा अनोखा तत्व छुपा हुआ है कि सदियाँ बीत जाने पर भी उसका प्रभाव अविकल है अविच्छिन्न है। चूँकि यह शाश्वत सत्य है। पूरी आस्था व भक्ति के साथ “भक्तामर स्तोत्र” का विधिपूर्वक जाप किया जाए तो फलदायी होता है। जाप पूर्णाहूति पश्चात सलाहकार प्रवर ने मंगलपाठ सुनाकर उपस्थित श्रद्धालुजनों को मंगलमय आर्षीवाद प्रदान किया। आयंबिल तप की कड़ी में आज श्रीमती पूजा रुणवाल ने नियम ग्रहण किये तथा एक घंटें का नवकार महामंत्र जाप श्रीमती मित्ताली संदीप पिरगल परिवार द्वारा आयोजित किया गया।
संघपति बालासाहेब धोका ने जानकारी देते हुए बताया कि आगामी शनिवार 22 जुलाई प्रातः 9 बजे से सजोड़े वीर प्रभु महावीर स्वामी की अंतिम देशना ‘उत्तराध्ययन सूत्र’ के 18 वें अध्ययन की 38 वीं गाथा का सामूहिक महाजाप का आयोजन रखा गया है।
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