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दुनिया की सबसे बडी क्वार्ट्ज क्रिस्टल (स्फटिक) सिद्ध भगवान की प्रतिमा 😊 Guinness World Record
सागर। बुंदेलखंड के संभागीय मुख्यालय सागर में सिद्धायतन की सिद्ध भगवान की प्रतिमा गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज कर ली गई है। गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड द्वारा जारी प्रमाण पत्र में दुनिया की सबसे बडी क्वार्ट्ज क्रिस्टल (स्फटिक) की प्रतिमा की उंचाई 32.5 इंच एवं चौड़ाई 24 इंच है। प्रमाण-पत्र प्राप्त होने के बाद आज सिद्धायतन में ब्रह्मचारी डी. राकेश भैया की उपस्थिति में डाॅ. हरीसिंह गौर विद्यालय के भूगर्भ शास्त्र के प्रोफेसर्स द्वारा पत्रकारों से चर्चा के दौरान उपलब्धि को सांझा किया। प्रो. अरुण कुमार शांडिल्य ने बताया कि सिंगल क्रिस्टल से बनी दुनिया की एकमात्र प्रतिमा है। जो पाषाण से प्रतिमा बनने के बाद 130 किलो वजनी है। जिसके मूर्ति प्रदाता सागर के ही प्रमोद वारदाना है। लगभग 18 माह में प्रतिमा तैयार हुई। जिसके बाद सागर में पिछले वर्ष अप्रैल माह में पंचकल्याणक महापूजन का आयोजन किया गया था। राकेश भैया ने बताया कि सिद्ध भगवान के बारे में बताया कि सिद्ध भगवान निर्विकल्प होते हैं। निराकार जैसा कोई आकार नहीं। जैन आगम में अभिषेक बिंब का होता है। मूलनायक के रूप में सिद्ध भगवान का स्वतंत्र दुनिया का प्रथम मंदिर है। सिद्ध भगवान के सामने बैठकर ध्यान लगाने से कार्य की सिद्धि होती है। उन्होंने बताया कि अभी तक सिद्ध भगवान की इंदौर में 14 इंच की, चमत्कारजी में 5 इंच की, फिरोजाबाद में 10 इंच, गौराबाई दिगंबर जैन मंदिर सागर में 17 इंच की स्फटिक मूर्तियां विराजमान की गई हैं। जबकि गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड में 12 बाई 12 इंच की दर्ज है।
11 क्विंटल की स्फटिक शिला 18 माह तराशी गई तब बनी सिद्ध भगवान की प्रतिमा, 51 इंच लंबे एवं ढाई मीटर व्यास वाले पत्थर को जयपुर में तराश गया, पिछले साल हुई थी प्रतिष्ठित, एक साथ 5 रंगों में दिखेगी।
स्ट्रांग रूम जैसी सुरक्षा, दर्शनों का समय फिक्स -स्फटिक की प्रतिमा की सुरक्षा के मद्देनजर मंदिर में दर्शन के लिए सुबह 7 से 11 बजे और शाम 6 से 8.30 बजे तक का समय निर्धारित किया गया है। साथ ही बैंकों में स्ट्रांग रूम जैसी सुरक्षा व्यवस्था मंदिर में है। भूगर्भ शास्त्री प्रो. एच थामस ने बताया कि स्फटिक नाम का पत्थर करोड़ों वर्ष में तैयार होता है। वहीं विभागाध्यक्ष प्रो. आर के रावत ने स्फटिक की विशेषताएं बताते हुए कहा कि यह कांच के समान पारदर्शी होता है।
पांच सदस्यीय समिति ने भेजी थी रिपोर्ट
प्रो. एल पी चौरसिया ने बताया कि गिनीज बुक रिकार्ड में दर्ज होने के पहले पांच सदस्यीय समिति गठित की गई थी। जिसके द्वारा क्रिस्टल का सूक्ष्मता से परीक्षण के बाद रिपोर्ट भेजी गई थी। ब्रह्मचारी राकेश भैया ने बताया कि आंध्रप्रदेश के गुंटूर जिले में स्थित नेल्लूर की खदान से 51 इंच लंबा 2.5 मीटर व्यास वाला लगभग 1100 किलोग्राम वजन का सफेद स्फटिक पाषाण प्राप्त हुआ था। जहां से लंबी दूरी तय कर लगभग 6 माह में यह पाषाण शिला जयपुर पहुंची थी। जयपुर की अधिकृत जेम टेस्टिंग लेब भारत जेम्स टेस्टिंग लेब के द्वारा परीक्षण किया गया था। इसके साथ ही विवि के भू-गर्भ शास्त्रियों ने व्यवहारिक परीक्षण के बाद पाषाण से बिंब निर्माण का निर्णय लिया गया था।
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जल फल आठों शुचिसार ताकों अघ्र्य करों।
तुमकों अरपों भव तार, भव तरि मोक्ष वरों।।
चैबीसों श्री जिनचन्द्र आनन्द कन्द सही।
पद जजत हरत भव फन्द पावत मोक्ष मही।।
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