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फतेहपुर सीकरी से वर्ष 1999 में खुदाई में प्राप्त 6वीं सदी से 11वीं सदी का प्राचीन आदिस्थान (जैन मंदिर) उपेक्षित व खुदाई में प्राप्त जैन प्रतिमाओं का पुरातत्व विभाग द्वारा प्रचार नहीं, क्यों? जबकि वर्ष 1569 में अकबर द्वारा निर्मित किला यूनेस्को द्वारा विश्व पुरातन स्थल घोषित! कृपया विडियो क्लिप देखें.....विश्व जैन संगठन @VJSorg @AntiquityOfJainism
पुरातत्व विभाग द्वारा दिनांक 7 दिसम्बर 1999 को आगरा से 32 किमी दूर फतेहपुर किले के पास स्तिथ प्राचीन सीकरी गाँव में बीर छबीली टीले की खुदाई में प्राचीन जैन मंदिर (आदिस्थान) के अवशेष, चबूतरा, दिनांक अंकित वाली ईंटें और 34 प्राचीन जैन प्रतिमाएं प्राप्त हुई! इन प्रतिमाओं में 6 - 7वीं सदी की अम्बिका और 10वीं - 11वीं सदी की जैन तीर्थंकरों और जैन सरस्वती की वर्ष 1010 की प्रतिमा प्राप्त हुई थी! संभवत: भगवान आदिनाथ जी के नाम के कारण इस स्थान को आदिस्थान कहा जाता होगा!
पुरातत्व विभाग द्वारा सीकरी में पूर्व समय में बहने वाली मोती झील, डाबर झील को जैन ग्रंथों में वर्णित होना बताया है! 10 वीं सदी की श्रुतदेवी प्रतिमा की प्रशस्ति में सीकरी के स्थान पर सेकरिक्या वर्णित है! इसी स्थान से दूसरी - तीसरी सदी के एक ब्रह्मी शिलालेख के टूटे हुए भाग के दो अक्षर भी प्राप्त हुए थे!
फतेहपुर किले पर जाकर जब मैंने सीकरी में बीर छबीली टीले के विषय में पूछा तो कोई नहीं बता पाया क्युकी पुरातत्व विभाग द्वारा हेतु किसी प्रकार का बोर्ड या अपनी प्रचार सामग्री में विवरण नहीं दिया है! एक बुजुर्ग द्वारा किले के पीछे से नीचे उतरकर जाने हेतु बताया तो मै इस टीले पर पहुच पाया लेकिन वहां जाकर देखा तो बड़ा दुःख हुआ क्युकी सीकरी के इस प्राचीन टीले पर किसी प्रकार का कोई बोर्ड नहीं लगा था और टीले के चारों और भी कोई बाउन्ड्री नहीं थी! आप विडियो में भी देख सकते है!
पुरातत्व विभाग ने विश्व जैन संगठन को सूचना के अधिकार के तहत जानकारी दी थी कि फतेहपुर सीकरी स्मारक समूह हेतु प्रकाशित गाइड में सीकरी का वर्णन प्रकाशित नहीं है और प्रतिमाएं स्टोर में सुरक्षित है! इस जानकारी के कुछ समय बाद विभाग द्वरा किले में एक संग्राहालय में कुछ ही जैन प्रतिमाएं, श्रतु देवी व अम्बिका की प्रतिमा प्रदर्शित की है!
पुरातत्व विभाग द्वारा सम्भवत: राजनेतिक कारणों से आगे खुदाई रोक दी गयी क्युकी इस खुदाई से पहले फतेहपुर सीकरी को यह कह कर प्रचारित किया जाता था कि अकबर द्वारा किये गए वर्ष 1569 में निर्माण से पहले यहाँ कुछ नही था जबकि वास्तविकता यह है कि महाभारतकालीन इस स्थान पर एक हज़ार वर्ष से भी पूर्व के भव्य जैन मन्दिर यहाँ स्तिथ थे!
प्राचीन जैन मंदिरों और प्रतिमाओं के अस्तित्व में होने के प्रमाण के कारण यह भी निश्चित है कि इस धार्मिक व व्यवसायिक स्थल पर काफी संख्या में जैन और अन्य धर्मों लोग भी रहते होंगे! सीकरी से पाषाण कालीन सामग्री भी प्राप्त हुई थी)
फतेहपुर सीकरी के नाम से प्रसिद्ध किले में आपको प्राचीन महाभारतकालीन सीकरी का कोई वर्णन नहीं मिलेगा क्युकी पुरातत्व विभाग द्वारा राजनीति के चलते वर्ष 1569 में स्थापित किले को ही प्रचारित करना है लेकिन हज़ारों वर्ष पूर्व महाभारतकालीन सेक / सेकरिक्या / सीकरी को नहीं!
जानकारी के अनुसार किले में स्तिथ अनूप तलाब से भी जैन प्रतिमाएं प्राप्त हुई थी लेकिन प्रमाण प्रकाशित नहीं किये गए!
कृपया एक बार विडियो क्लिप अवश्य देखे और अन्य जैन बन्धुओं को फतेहपुर सीकरी के विषय में जानकारी दें कि किस प्रकार से जैन पुरातत्व को केंद्र / राज्य सरकार और पुरातत्व विभाग द्वारा उपेक्षित किया गया है, वैसे इस उपेक्षा हेतु हम जैन समाज और संस्थाएं भी बराबर की दोषी है! संकलन: संजय जैन मो.: 9312278313
कृपया निम्न लिंक पर क्लिक कर सीकरी की विडियो क्लिप अवश्य देखें:-
https://youtu.be/wPMzw6fGB5c