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👉 *जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के तत्वावधान में..*
👉 *तेरापंथी सभा प्रतिनिधि सम्मेलन - 2017*
👉 *"द्वितीय दिवस" - राजरहाट, कोलकाता में..*
👉 *सान्निध्य: परम पावन आचार्य श्री महाश्रमण..*
👉 "उपासना सत्र" में *संभागी प्रतिनिधियों को महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी की निकट सेवा का विशेष लाभ मिला..*
👉 इस दौरान *महासभा अध्यक्ष श्री किशनलाल जी डागलिया ने पदाधिकारियों सहित उपस्थित संभागियों का परिचय कराया..*
👉 *"उपासना सत्र" के कुछ विशेष दृश्य..*
दिनांक: 14/08/17
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
Source: © Facebook
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 127* 📝
*परोपकार परायण आचार्य पादलिप्त*
*जीवन-वृत्त*
गतांक से आगे...
धर्म संघ की प्रभावना के लिए गुरु के आदेश से आचार्य पादलिप्त एक बार मथुरा गए। कुछ समय वहां रहने के बाद उनका मथुरा से पाटलिपुत्र में पदार्पण हुआ। उस समय पाटलिपुत्र का शासन मुरुण्ड नरेश के हाथ में था। आचार्य पादलिप्त के आध्यात्मिक एवं बौद्धिक ज्ञान से नरेश मुरुण्ड अत्यधिक प्रभावित हुआ। नरेश मुरुण्ड छह महीने से भयंकर मस्तिष्क वेदना से पीड़ित था। अनेक उपचार किए परंतु किसी प्रकार की चिकित्सा वेदना को शांत नहीं कर सकी। राज-परिवार में निराशा छा गई। मंत्री ने राजा को परामर्श दिया "पृथ्वीनाथ! आपकी वेदना का सही उपचार आचार्य पादलिप्त के मंत्र प्रयोग से संभव है।" भूप मुरुण्ड ने आचार्य पादलिप्त को मंत्री के द्वारा महलों में पधारने की प्रार्थना करवाई। मंत्री आचार्य पादलिप्त के पास पहुंचा और विनम्र स्वरों में बोला—
*"शिरोर्तिर्निवर्त्त्यताम्, कीर्तिधर्मौ संचीयेताम्"*
*(प्रबन्धकोश, पृष्ठ 12, पंक्ति 25)*
आर्य! राजा की मस्तिष्क पीड़ा को दूर कर कीर्ति का उपार्जन करें।
मंत्री की प्रार्थना को स्वीकार कर आचार्य पादलिप्त राजमहल में पधारे। प्रदेशिनी अंगुली को अपने जानु पर घुमा कर उन्होंने राजा के सिर-दर्द को शांत कर दिया। पादलिप्त की मंत्र-विद्या से पूर्ण स्वस्थता को प्राप्त कर महाराज मुरुण्ड उनके भक्त बन गए।
आचार्य पादलिप्त के इस प्रसंग का उल्लेख प्रभावक चरित्र, प्रबंधकोश, निशीथभाष्य-चूर्णि आदि कई ग्रंथों में है। प्रस्तुत घटना से संबंधित एक प्रसिद्ध पद्य है—
*"जह जह पएसिणिं जाणुयंमि पालित्तउ भमाडेइ।*
*तह-तह से सिरवियणा पणस्सई मुरुण्डरायस्स"*
*।।59।।*
*(प्रभावक चरित्र, पृष्ठ 30)*
इस गाथा की प्रसिद्धि वेदना शामक मंत्र के रूप में है। नरेश मुरुण्ड एवं आचार्य पादलिप्त से संबंधित इस प्रकार की कई घटनाएं चमत्कारिक एवं प्रभावोत्पादक हैं।
*नरेश मुरुण्ड एवं आचार्य पादलिप्त से संबंधित चमत्कारिक एवं प्रभावोत्पादक कुछ घटनाओं* के बारे में आगे और जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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आचार्य श्री तुलसी की कृति आचार बोध, संस्कार बोध और व्यवहार बोध की बोधत्रयी
📕सम्बोध📕
📝श्रृंखला -- 127📝
*व्यवहार-बोध*
*जटायु वृत्ति*
लय– देव! तुम्हारे...
*70.*
लड़ें स्वयं की दुष्प्रवृत्ति से,
जबर जुझारू वृत्ति बढ़े।
'जुद्धारिहं दुल्लहं' निश्चित,
महासमर के शिखर चढ़ें।।
*71.*
औरों की दुर्वृत्ति देखकर,
आंखमिचौनी नहीं करें।
दुर्बलता के शल्य-क्रिया में,
सफल जटायू वृत्ति वरें।।
*40. औरों की दुर्वृत्ति देखकर...*
इस पद्य में *'जटायुवृत्ति'* का उल्लेख है। इसका अर्थ है अन्याय के प्रतिकार में खड़े होकर जूझने की वृत्ति। इसे समझने के लिए रामायण के एक प्रसंग को उद्धृत किया जा रहा है—
रावण ने सीता का अपहरण किया। उस समय वहां राम और लक्ष्मण दोनों ही नहीं थे। रामभक्त जटायु पक्षी इस हादसे का साक्षी था। उसने रावण का पीछा किया। वह उसके विमान में घुसा। अपनी तीखी चोंच और पंजों से रावण का मुकाबला किया। पक्षी उसका क्या कर सकेगा, यह सोच रावण ने उसकी उपेक्षा की। किंतु उसने रावण के कपड़े फाड़ डाले। इससे रावण को गुस्सा आ गया। उसने म्यान में तलवार खींची और उसके पंख काट दिए। बेचारा पक्षी आहत होकर नीचे गिर पड़ा।
कुछ समय बाद राम-लक्ष्मण लौटकर आए। सीता को कुटिया में ना पाकर व्यथित हो गए। उन्होंने इधर-उधर खोज की। कुटिया से आगे थोड़ी दूर पर जटायु पक्षी घायल अवस्था में पड़ा था। राम ने उसको संभाला और अनुमान लगाया कि सीता का अपहरण हो गया है। जैन रामायण में उसका वर्णन इस प्रकार है—
पंखीड़े दीठो नर कोई नारी लीधां जाई।
पूठ कियां थी पापी पुरिसे न्हाख्यो छै इहां घाई।।
सशस्त्र रावण के सामने 'जटायु' की कोई हैसियत नहीं थी। फिर भी उसने रावण से लोहा लिया। अन्याय के प्रतिकार में प्राणों की बाजी लगाकर खड़ा हो गया। वह शहीद हो गया, पर अन्याय से लड़ने कि उसकी वृत्ति अमर हो गई।
*संस्कृति सुरक्षा* के बारे में आगे पढेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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👉 *जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के तत्वावधान में..*
👉 *तेरापंथी सभा प्रतिनिधि सम्मेलन - 2017*
👉 *"द्वित्य दिवस" - राजरहाट, कोलकाता में..*
👉 *सान्निध्य: परम पावन आचार्य श्री महाश्रमण..*
👉 *आचार्यश्री ने अवधिज्ञान, मनःपर्यव ज्ञान और केवल ज्ञान का किया विवेचन..*
👉 *आज के "मुख्य प्रवचन" के कुछ विशेष दृश्य..*
दिनांक: 14/08/17
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻
Source: © Facebook
👉 *जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के तत्वावधान में..*
👉 *तेरापंथी सभा प्रतिनिधि सम्मेलन - 2017*
👉 *"द्वित्य दिवस" - राजरहाट, कोलकाता में..*
👉 *सान्निध्य: परम पावन आचार्य श्री महाश्रमण..*
👉 "मुख्य प्रवचन" के उपरांत सभी संभागी प्रतिनिधियों को तेरापंथ धर्मसंघ की *असाधारण साध्वीप्रमुखा श्री कनकप्रभा जी* ने मंगल उद्बोधन प्रदान किया..
👉 इसी दौरान *महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी* के मंगलचरण भी उक्त स्थल पर पहुंचे और-
👉 अपने श्रीमुख से समस्त प्रतिभागी प्रतिनिधियों को *"सम्यक्त्व दीक्षा" (गुरुधारणा) प्रदान की..*
👉 परम पावन *आचार्य श्री महाश्रमण जी के श्रीमुख से "सम्यक्त्व दीक्षा" (गुरुधारणा) प्राप्त करते महासभा प्रतिनिधि सम्मेलन प्रतिभागी..*
👉 अविस्मरणीय दृश्य..
दिनांक: 14/08/17
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
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