24.08.2017 ►Media Center Ahinsa Yatra ►News

Published: 24.08.2017
Updated: 15.11.2017

Media Center Ahinsa Yatra


News in Hindi:

अहिंसा यात्रा प्रेस विज्ञप्ति
जप में मन, वचन और काया की हो सकती है शुभ एकाग्रता: आचार्यश्री महाश्रमण
-आचार्यश्री ने श्रद्धालुआंे को जप दिवस पर दी अनमोल प्रेरणा
-पर्युषण पर्वाराधना का छठा दिवस ‘जप दिवस’ के रूप में हुआ आयोजित
-‘भगवान महावीर की अध्यात्म यात्रा’ में आचार्यश्री ने त्रिपृष्ठ और प्रियमित्र के भवों का किया वर्णन
-तप और त्याग धर्म के विषय में मुख्यमुनिश्री और साध्वीवर्याजी से श्रद्धालुओं को मिली प्रेरणा 
24.08.2017 राजरहाट, कोलकाता (पश्चिम बंगाल)ः जन-जन को सुगति के पथ चलने की प्रेरणा प्रदान करने वाले, मानवता के मसीहा, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में पर्युषण पर्वाराधना का भव्य आयोजन चल रहा है। जिसमें नियमित रूप से हजारों श्रद्धालु भाग ले रहे हैं और अपने जीवन के कर्मों को काट का प्रयास कर रहे हैं।
    गुरुवार को पर्युषण महापर्व का छठा दिन रहा। जिसे ‘जप दिवस’ के रूप में समायोजित किया। महाश्रमण विहार परिसर में बने ‘अध्यात्म समवसरण’ के भव्य पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं को महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने जप के संदर्भ में पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि तीन प्रकार के सुप्रणिधान (शुभ एकाग्रता) बताई गई है- मनः सुप्रणिधान, वचन सुप्रणिधान और कार्य प्रणिधान। आचार्यश्री ने सविस्तार से लोगों को बताते हुए कहा कि एक बिन्दु या एक आलंबन पर केन्द्रित हो जाना एकाग्रता होती है तथा विभिन्न बिन्दुओं और आलंबन पर चलते जाना विचलन की स्थिति होती है। आदमी को एकाग्रता का प्रयास करना चाहिए। एकाग्रता भी शुभ और अशुभ हो सकती है। उदाहरण के तौर पर आचार्यश्री ने बगुले की एकाग्रता का वर्णन करते हुए कहा कि जैसे बगुला मछलियों का शिकार करने के लिए एकाग्र होता है तो छिपकली जीवों को खाने के लिए एकाग्र होती है। इन दोनों की एकाग्रता हिंसा के लिए होती है जो अशुभ होते हैं। आदमी को यदि अपने जीवन में शुभ एकाग्रता रखनी हो तो उसे जप करने का प्रयास करना चाहिए। जप में ही आदमी को मन, वचन और काया से सुप्रणिधान (शुभ एकाग्रता) प्राप्त हो सकता है।
    आचार्यश्री ने जप में नमस्कार महामंत्र का जप करने की पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि नमस्कार महामंत्र बहुत बड़ा मंत्र है। यदि नमस्कार महामंत्र की एक माला रोज हो जाए तो जीवन का एक अच्छा उपक्रम हो सकता है। बालमुनियों को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि उन्हें तो बिना नमस्कार महामंत्र के जप का अपना एक दिन भी नहीं व्यतीत होने देना चाहिए। आचार्यश्री ने कहा कि जप द्वारा ही आदमी मन को एकाग्र कर सकता है, वचन को भी केन्द्रित कर सकता है और शरीर भी एकाग्र हो सकती है। आचार्यश्री ने लोगों को मंत्र जप के साथ मंत्रों के शुद्ध उच्चारण करने की भी पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आदमी को मंत्रों के उच्चारण में शुद्धता पर भी ध्यान देन का प्रयास करना चाहिए। आत्मा की शुद्धि और अगली गति को भी शुद्ध रखने के लिए आदमी को जप करने का प्रयास करना चाहिए।
    आचार्यश्री ने ‘भगवान महावीर की अध्यात्म यात्रा’ के वर्णन क्रम में त्रिपृष्ठ भव के शेष कार्यों सहित भगवान महावीर के तेईसवें भव प्रियमित्र के जीवनकाल का भी सुन्दर और रोचक से लोगों को बताया और उन्हें पाथेय प्रदान किया।
    नित्य की भांति आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त मुख्यमुनिश्री ने तप और त्याग धर्म के विषय में लोगों को विस्तार से बताते हुए अपने जीवन में तप और त्याग रूपी धर्म को अपनाने की पावन प्रेरणा प्रदान की। वहीं साध्वीवर्याजी ने ‘मानव जीवन बीत रहा है भैया’ गीत द्वारा लोगों को अपने जीवन में तप और त्याग को बढ़ाने की पावन प्रेरणा प्रदान की।

Sources
I Support Ahimsa Yatra
Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Jaina Sanghas
    • Shvetambar
      • Terapanth
        • Ahimsa Yatra
          • Share this page on:
            Page glossary
            Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
            1. Ahimsa
            2. Ahimsa Yatra
            3. Ahinsa
            4. Ahinsa Yatra
            5. I Support Ahimsa Yatra
            6. Media Center
            7. महावीर
            Page statistics
            This page has been viewed 246 times.
            © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
            Home
            About
            Contact us
            Disclaimer
            Social Networking

            HN4U Deutsche Version
            Today's Counter: