29.08.2017 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 29.08.2017
Updated: 30.08.2017

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🙏 अशोक पाटनी आर के मार्बल, मुनि सुधासागर जी के शिविररार्थियो को अल्पहार करवाते हुए ✌️ #RKMarble 😇 #MuniSudhasagar #AshokPatni

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किशनगंज में नया इतिहास... मुनि सुधासागर जी के शिविर में पहुचे 3500 से भी ज्यादा लोग.. पंडाल पड़ा छोटा.. 1 समय करते हैं भोजन, मोबाइल, आदि सबका त्याग.. बाल तक कटवा लिए हैं सबने.. वैरागी से त्याग और आत्मानुशासन सिखने आये हैं.. 📚 #MuniSudhasagar 😇 #AcharyaVidyasagar ✌️

मेरे गुरुदेव जगतपूज्य मुनि पुंगव श्री सुधा सागर जी महाराज की चर्चा वेसे तो आम दिनों में होती ही रहती है क्योंकि सुर्खियों में रहना तो जैसे उनकी सामान्य चर्यामी शामिल है और यह सुर्खिया उनके स्वयं के द्वारा किये गए तप आराधना और त्याग की पराकाष्ठा से प्राप्त होती है क्योंकि उनके द्वारा किये जाने वाले प्रत्येक कार्य को वह भगवान के प्रति समर्पित होकर गुरु चरणों का आशीष पाते हुये लोक कल्याण की भावना से ओत प्रोत रहते हुए करते है और संसार मे ऐसा कोई कार्य नही जो लोक कल्याण की भावना से किया जाए उसमे कर्ता को प्रसिद्धि ना मिले,चाहे कर्ता द्वारा कार्य को ऐसी किसी भावना से ना भी किया गया हो कि नाम की प्रसिद्धि हो

अभी कुछ दिनों पूर्व ही आदर्श पंचकल्याणक फिर सांगानेर के तलघर में स्थित जिन बिम्बों के अमृत सिद्धि दर्शन की चर्चा पूर्ण भी नही हो पायी थी कि वर्तमान में किशनगढ़ में पर्युषण पर्व के दौरान लगने वाले श्रावक संस्कार शिविर के आयोजन में अपने अपने केशो का मुंडन अथवा इतने छोटे छोटे करवाने की बात पर बात शुरू हो गयी और अब जब पर्युषण शूरू हुआ तो शिविरार्थियों की रिकॉर्ड संख्या पर चर्चा शुरू होकर पुनः प्रसिद्धि की अनंत उचाईयों तक पहुच गयी है

लोगो मे कोतुहल का विषय बना हुआ है कि आज के इस भैतिक वादी युग मे कौन सा ऐसा संत है जिसके शिविर में लोग अपना घर बार छोड़ कर किसी ब्रह्मचारी की तरह अपने केशो को मुड़वाकर अथवा इतने छोटे छोटे करवा कर शामिल हुए है जहां सोने के लिये घर जैसे गद्दों का सुख तो नही होता किन्तु नींद ऐसी आती है जैसी घर मे रहते हुए 355 दिनों में भी कभी नही आती, यहां भोजन वह नही मिलता जो माँ बना कर देती है किंतु जिस घर मे भी भोजन करने जाते है वहा मिलने वाले आदर सम्मान से ही पेट भर जाता है क्योंकि इन दस दिनो की साधना में आप स्वयं एक साधक के रूप में किसी के घर भोजन करने जाते है इसलिये स्वभावता भी आप वेसे ही हो जाते है और भोजन के स्वाद को त्याग देते है और मात्र शरीर की पूर्ति के लिये भोजन ग्रहण करते है

इस बार के शिविर में शिविरार्थियों की संख्या साडे तीन हजार के ऊपर पहुच गयी है जो अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड ही है जो किसी गुरुकुल पद्वति से लगने वाले संस्कार शिविर की संख्या में सबसे अधिक है लोगो की माने तो उनके अनुसार किसी ओर शिविर में इतने शिविरार्थीओ की संख्या अभी तक कहि भी नही देखी सुनी गयी है और शायद सम्भव भी नही यह तो मात्र जगत पूज्य गुरुदेव की दृढ़ साधना का परिणाम ही है जो किशनगढ़ के शिविर में इतने अधिक शिविरार्थियों ने पहुच कर किशनगढ़ को ख्याति के उस शिखर पर पहुचा दिया है जिसे इतिहास में सदा लिखा जाएगा

अब तक किशनगढ़ की प्रसिद्धि मात्र इसलिये थी कि यहां मार्बल का कारोबार होता है और शायद इसी कारण विश्व मे किशनगढ़ की ख्याति है फिर जैनो के भामाशाह कहे जाने वाले दानवीर शिरोमणि श्री रतन लाल जी कंवर लाल जी पाटनी अशोक जी पाटनी परिवार का मूल निवास स्थान किशनगढ़ होने से भी किशनगढ़ को प्रसिद्धि मिली किन्तु इस बार जो शिविर में बाहुबली संख्या आई है उससे अवश्य ही आज के बाद किशनगढ़ को एक नयी पहिचान मिलेगी और लोग जानेंगे कि ये वही किशनगढ़ है जहां एक जैन संत जगत पूज्य मुनिपुंगव सुधासागर जी महाराज ने श्रावको को संस्कार देने के लिये शिविर लगाया था जिसमे इतने श्रावक आये थे जितने एक साथ तो आज के युग मे कभी भी कही नही देखे गए

मेरे गुरुदेव स्वयं अपने मुख से कहते है कि कोई भी काम करू और विशेष ना हो तो मुझे भी चैन नही आता और शायद यही कारण है कि उनके द्वारा किये जाने वाले प्रत्येक कार्य प्रसद्धि को प्राप्त होते है और जन चर्चा का विषय बनते है इतिहास बनाते है और लोगो मे कौतूहलता उतपन्न करते है, जगत पूज्य के श्री चरणों मे अपने मस्तक को नमाते हुए में उनके मंगल की कामना करता हुआ वीर प्रभु से प्रार्थना करता हूं मुनि श्री सदा जयवंत हो -श्रीश ललितपुर

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गंधोदक में कितनी शक्ति होती हैं कर्म और पाप काटने की.. आपकी श्रद्धा पर Depend हैं -आचार्य विद्यासागर जी द्वारा महत्व:) must watch and share maximum!! #AcharyaVidyasagar

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