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News in Hindi:
अहिंसा यात्रा प्रेस विज्ञप्ति
आर्त ध्यान के लक्षणों का शांतिदूत ने किया वर्णन
-आचार्यश्री ने विपरीत परिस्थतियों में भी आर्त ध्यान में जाने से बचने की दी प्रेरणा
-आचार्यश्री ने भाद्रव शुक्ला द्वादशी से जुड़ी धर्मसंघ की महत्ताओं को भी किया वर्णित
-टीपीएफ को आचार्यश्री से मिला आशीर्वाद, बताया मोतियों की माला और फूलों का गुलदस्तां
-मुख्यमुनिश्री और साध्वीवर्याजी ने श्रद्धालुओं को किया उद्बोधित
-टीपीएफ सम्मेलन के संभागियों ने गुरुमुख से स्वीकार की गुरुधारणा
03.09.2017 राजरहाट, कोलकाता (पश्चिम बंगाल)ः जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने रविवार को अध्यात्म समवसरण में उपस्थित श्रद्धालुओं को आगमवाणी का रसपान कराते हुए विगत चार दिनों से आर्त ध्यान में जाने के कारणों को व्याख्यायित करने के उपरान्त आज आर्त ध्यान के लक्षणों का भी वर्णन किया और श्रद्धालुओं को विपरीत परिस्थितियों में भी आर्त ध्यान में न जाने की पावन प्रेरणा प्रदान की। वहीं आचार्यश्री ने आज के दिन से जुड़ी धर्मसंघ की महत्त्वपूर्ण बातों का भी वर्णन किया।
रविवार को महाश्रमण विहार में स्थित अध्यात्म समवसरण सहित पूरे परिसर में श्रद्धालुओं की विशाल उपस्थिति के दौरान परम पावन आचार्यश्री महाश्रमणजी ने गत चार दिनों से आर्त ध्यान के कारणों का वर्णन करने के उपरान्त आज श्रद्धालुओं को आर्त ध्यान के लक्षणों के बारे में बताया। आचार्यश्री ने क्रन्दन, आंसू और चिल्लाहट को आर्त ध्यान का कारण बताया और उन्हें विपरीत परिस्थितियों में भी आर्त ध्यान से न जाने का प्रयास करने की पावन प्रेरणा प्रदान की। वहीं आचार्यश्री ने भाद्रव शुक्ला द्वादशी को दिन से जुड़ी चार महत्त्वपूर्ण बातों का वर्णन करते हुए कहा कि प्रथम बात यह कि तेरापंथ धर्मसंघ के आद्य प्रवर्तक, महामना आचार्यश्री भिक्षु ने आज के ही दिन अनशन स्वीकार किया था। ‘स्वामीजी थारी साधना री मेरू सी ऊंचाई’ गीत का संगान किया और इस अवसर पर उनका स्मरण किया। दूसरी बात बताते हुए आचार्यश्री ने कहा कि आज तेरापंथ धर्मसंघ के सप्तम आचार्यश्री डालगणी का महाप्रयाण दिवस भी है। लगभग बारह साल तक तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य के रूप में रहे आचार्यश्री डालगणी का लगभग 108 वर्ष पूर्व आज के दिन महाप्रयाण हुआ था। आचार्यश्री उनका भी श्रद्धा के साथ स्मरण किया। आचार्यश्री ने तेरापंथ धर्मसंघ के दसमाधिशास्ता आचार्यश्री महाप्रज्ञजी का स्मरण करते हुए कहा कि आज के ही दिन उन्होंने प्रत्यक्ष रूप में अपने युवाचार्य की घोषणा की दी। वे कितने शांत, सरल, ध्यान-योगी आचार्यश्री के प्रति मैं प्रणत हूं।
वहीं सम्मेलन के अंतिम दिन आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में उपस्थित तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के संभागियों को आचार्यश्री ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि यह संस्था तेरापंथ समाज की एक बौद्धिक संपदा है। यह बिखरे मोतियों को इकट्ठा कर एक मोतियों की माला के समान है, फूल के गुलदस्ते के समान है। इन सभी में धर्म के संस्कार पुष्ट हों। बौद्धिक क्षमता के साथ कार्य कुशलता का अच्छा उपयोग हो। सभी देव, गुरु और धर्म के प्रति निष्ठा हो। जीवन में नैतिकता और शांति बनी रहे। सदस्यों की ऊर्जा धार्मिक और अच्छे कार्यों में लगे। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त मुख्यमुनिश्री और साध्वीवर्याजी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को पावन प्रेरणा प्रदान की। टीपीएफ के आध्यात्मिक प्रर्यवेक्षक मुनि रजनीशकुमारजी टीपीएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रकाश मालू ने अपनी विचाराभिव्यक्ति दी। इस दौरान उन्होंने टीपीएफ गौरव सम्मान वर्ष 2016 के लिए श्री एन.के. दूगड़ और वर्ष 2017 के लिए श्री के.सी.जैन को प्रदान करने की घोषणा की। श्री संचय जैन ने भी आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावाभिव्यक्ति दी। उपस्थित समस्त संभागियों को आचार्यश्री ने अपने श्रीमुख से सम्यक्त्व दीक्षा प्रदान की। आरएसएस के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य श्री हस्तीमलजी ने आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावाभिव्यक्ति दी और आचार्यश्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। श्री नवीन नौलखा ने आचार्यश्री के चरणों में अपनी सीडी लोकार्पित की।