13.09.2017 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 13.09.2017
Updated: 15.09.2017

Update

14 सितम्बर का संकल्प

*तिथि:- आसोज कृष्णा नवमी*

तामसिक भोजन बढ़ता इंद्रियों की उग्रता।
भाव करती विचलित मन की व्याकुलता।।

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👉 अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्षा श्रीमती कुमुद कच्छारा द्वारा घोषित पदाधिकारी टीम

प्रस्तुति - *तेरापंथ संघ संवाद*

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https://youtu.be/ZmCgmGNRS1w

दिनांक 13-09-2017 राजरहाट, कोलकत्ता में पूज्य प्रवर के आज के प्रवचन का संक्षिप्त विडियो..

प्रस्तुति - अमृतवाणी

सम्प्रेषण -👇
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Update

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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙

📝 *श्रंखला -- 151* 📝

*विलक्षण वाग्मी आचार्य वज्रस्वामी*

*जीवन-वृत्त*

प्रवचनोपरांत धन श्रेष्ठी आचार्य वज्रस्वामी के निकट गया, वंदन किया और नम्र शब्दों में बोला "आर्यदेव! आपका जैसा विस्मयकारी रूप है मेरी यह पुत्री भी रूप-सौंदर्य में कम नहीं है। कृपया शतकोटि संपदा सहित आप इसे स्वीकार करें।"

आचार्य वज्र ने कहा "श्रेष्ठिन्! तुम स्वयं संसार में बद्ध हो और दूसरों को भी बांधना चाहते हो? जानते नहीं भोग भुजंग के सामान भीषण होते हैं। मधुलिप्त असिधारा के समान कष्टकारक होते हैं। किम्पाक फल के समान मुख-मधुर कटु विपाकी की होते हैं। शमशान भूमि की तरह भयप्रद होते हैं। अधिक क्या, चातुर्गतिक दुःखों के कारण भोग हैं। कल्याण चाहने वाले व्यक्ति इनमें रंजीत नहीं होते।"

"श्रेष्ठिन्! भौतिक द्रव्य एवं विषयानंद का प्रलोभन देकर अनंत आनंद स्रोत तपःसंपदा को मेरे से छीनना चाहते हो, यह प्रयास रेणु के बदले रत्नराशि को, तृण के बदले कल्पवृक्ष को, काक के बदले कोकिला को, कुटिया के बदले प्रासाद को, क्षार जल के बदले अमृत को पाने जैसा है। संयम-धन की तुलना में ये विषयभोग तुच्छ हैं, क्षुद्र हैं। इनसे प्राप्त क्षणभर का सुख भावी संकट का सूचक है। यह तुम्हारी पुत्री मेरे में अनुरक्त है। छाया की भांति मेरा अनुगमन करना चाहती है, उसकी चाह कि सर्व सुंदर राह यह है–

*मयाऽऽदृतं व्रतं धत्तां, ज्ञानदर्शनसंयुतम्।।146।।*
*(प्रभावक चरित्र, पृष्ठ 6)*

मेरे द्वारा स्वीकृत इस ज्ञान, दर्शन युक्त त्याग मार्ग का अनुसरण करे।

आचार्य वज्रस्वामी की सहज सुंदर उपदेशधारा से रुक्मिणी के अंतर्नयन खुल गए। वह साध्वी बनी एवं श्रमण संघ में सम्मिलित हो गई। वज्रस्वामी के आज्ञानुवर्ती साध्वी समुदाय कितना बड़ा था उनमें अग्रगण्या साध्वी का नाम क्या था? वज्रस्वामी से दीक्षित होकर रुक्मिणी किनके पास रही? संयमी जीवन के संस्कार उसको किससे प्राप्त हुए, आगम ज्ञान का प्रशिक्षण उसको किससे मिला? ये सारे प्रसंग अभी तक इतिहास के संदर्भ में अछूते हैं। वज्रस्वामी के जीवन में कई असाधारण क्षमताएं थीं। आचारांग के महापरिज्ञा अध्ययन में वज्रस्वामी ने गगन-गामिनी विद्या का उद्धार किया। गगन-गामिनी विद्या के द्वारा जंबूद्वीप से मनुष्योत्तर पर्वत तक निर्बाध गति से गमन करने की क्षमता हासिल हो जाती है।

ग्रामानुग्राम विहरण करते हुए श्रुतधर आचार्य वज्रस्वामी ने पूर्वी भारत में धर्म की अतिशय प्रभावना की। दूर दूर तक अध्यात्म का स्वर गुंजित हुआ। आचार्य वज्र के समय दो बार दुष्काल की स्थिति बनी। प्रथम दुष्काल के समय वज्रस्वामी का पदार्पण पूर्व से उत्तरापथ की ओर हुआ। वहां अति क्षयकारी दुर्भिक्ष का विकट संकट था।

बरसात न होने के कारण पानी की बूंद-बूंद के लिए लोग तरसते लगे एवं क्षुधा से आकुल-व्याकुल हो उठे। पशु-पक्षियों की स्थिति और भी अधिक भयावह एवं दयाजनक थी। भोजन के अभाव में बिलखते-छटपटाते बालकों का करुण क्रंदन, भिखारियों की दिन-प्रतिदिन बढ़ती संख्या भोजन के लिए छीना-झपटी, भिखमंगों के अचानक आक्रमण से घरों के बंद द्वार, सूने कुटीर, दुकानों पर ताले, दुष्काल के विकराल रूप की सूचना दे रहे थे। धर्मसंघ भी अकाल की काली छाया से प्रभावित हुए बिना नहीं रहा। निर्दोष आहार पानी की उपलब्धि मुनियों के लिए कठिन हो गई।

*भयंकर दुष्काल में आचार्य वज्रस्वामी के संघ को और किन-किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा...?* जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ संघ संवाद🌻
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👉 पूज्य प्रवर का प्रवास स्थल -"राजरहाट", कोलकाता (पश्चिम बंगाल) में

👉 गुरुदेव मंगल उद्बोधन प्रदान करते हुए..

👉 आज के मुख्य प्रवचन के कुछ विशेष दृश्य..

दिनांक - 13/09/2017

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👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ

प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन

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👉 *महाश्रमण चरणों में...*

👉 राजरहाट, कोलकत्ता से..

👉 *आज के सुनहरे पल आचार्य श्री व साध्वी प्रमुखा श्री जी के संग*

दिनांक 13-09-17

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