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अहमदाबाद (गुजरात) की प्रसिद्ध मस्जिदों में प्राचीन जैन मंदिरों के अवशेषों का उपयोग और जामा मस्जिद के मुख्य द्वार के बीच में फर्श में संभवत: काले पाषाण की भगवान पार्श्वनाथ प्रतिमा का हिस्सा या कमर स्थापित होना और मोदी जी द्वारा जापान के प्रधानमंत्री को प्रसिद्ध जामा मस्जिद में स्थापित उत्कृष्ट कलायुक्त पिलर्स, दीवारों व गुम्बद को भी यदि दिखाया जाता तो उन्हें भारत की प्राचीन शिल्पकला का वास्तविक ज्ञान होता.....संजय जैन - विश्व जैन संगठन मो.: 9312278313 @AntiquityOfJainism @VJSorg
प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा यदि जापान के प्रधानमंत्री को सिदी सैय्यद मस्जिद की जाली दिखाने के साथ इसके पास स्तिथ प्रसिद्ध जामा मस्जिद के निर्माण में उपयोग किये गए प्राचीन जैन मंदिरों के उत्कृष्ट कलायुक्त पिलर्स, दीवारों व गुम्बद अथवा संभवत: किसी प्राचीन जैन मंदिर का स्वरुप बदलकर बनायीं गयी जामा मस्जिद का अवलोकन कराते तो उन्हें भारत की प्राचीन शिल्पकला का वास्तव में पता चलता!
वर्ष 1879 में पुरातत्व विभाग के एन. बी. बेट्स द्वारा संकलित व जेम्स कैम्पवेल द्वारा प्रकाशित बोम्बे गजट के पेज न. 271 पर और आर्कियोलॉजिकल ऑफ़ वेस्टर्न इंडिया में अहमदाबाद की प्रसिद्ध जामा मस्जिद के मुख्य द्वार के बीच में फर्श में संभवत: काले पाषाण की भगवान पार्श्वनाथ प्रतिमा का हिस्सा या कमर स्थापित होना प्रकाशित किया!
"जैनों के राजनगर" नाम से प्रसिद्ध संभवत: वर्ष 1073 में गुजरात के सोलंकी राजा करनादेवा के राज्यकाल में कर्णावती अथवा श्रीनगर का जीर्णोद्वार कराकर अहमद शाह (प्रथम) ने 4 मार्च 1411 को अहमदाबाद नाम दिया!
जामा मस्जिद में स्तिथ एक स्लेब पर अहमद शाह द्वारा 4 जनवरी 1424 को मस्जिद की सज्जा / कार्य पूरा किये जाना उल्लेखित है!
जामा मस्जिद के निर्माण में उपयोग की गयी जैन मन्दिर की सामग्री प्रसिद्ध दिलवाडा, रणकपुर व पालीताणा जैसी ही सुंदर है और इसी प्रकार से प्राचीन जैन मंदिरों की सामग्री का उपयोग भारत के पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित दिल्ली की प्रसिद्ध कुतुब मीनार में कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद, दौलताबाद किला, अजमेर में अढाई दिन का झोपडा मस्जिद, भोजशाला मस्जिद व सीता की रसोई मस्जिद आदि में किया गया है!
अहमदाबाद में रेलवे स्टेशन के पास सरसपुर में लगभग वर्ष 1638 में शान्तिदास जैन जी द्वारा निर्मित चिंतामन नाम से प्रसिद्ध जैन मंदिर को वर्ष 1644 - 46 के दंगों में औरंगजेब ने मंदिर में एक गाय का गला काटकर अपवित्र कर जैन प्रतिमाओं को तोड़कर मस्जिद में परिवर्तित कर दिया! दीवारों में जैन प्रतिमाओं के अवशेष लगा दिए गए! जैन समाज द्वारा शाहजहाँ से शिकायत किये जाने पर शाहजहाँ ने पूर्ववत मन्दिर किये जाने का आदेश दिया! शान्तिदास जी ने मूल प्रतिमा को जवहेरीवाडा में स्थानांतरित कर दिया था! यह सब प्रमाणिक विवरण बोम्बे गजट के पेज न. 285 पर प्रकाशित है!
अहमदाबाद की फतेह मस्जिद व रानी मस्जिद के निर्माण में हिन्दू व जैन मंदिरों की सामग्री का उपयोग किया गया!
निम्न लिंक पर विडियो में मस्जिद में प्रयोग की गयी प्राचीन जैन मंदिरों के अवशेष की फोटो, गजट की स्कैन कॉपी और एक गाइड द्वारा एक अंग्रेज महिला को जामा मस्जिद के निर्माण आदि की जानकारी देते हुए साफतौर पर कहा जा रहा है कि यह मस्जिद इस्लामिक बास्तुकला नहीं है अपितु जैन वास्तुकला है पालिताना के समान क्युकी मस्जिद निर्माण में प्रयोग होने वाली सामग्री में मनुष्य, जानवर या पेड़ - पौधे की आकृति का उपयोग वर्जित है! उपरोक्त विषय में सभी तथ्य प्रमाणिक है और उपलब्ध है....विश्व जैन संगठन
https://youtu.be/puup6YzUESw