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विद्यावाडी: मरुधर महिला शिक्षण संघ एजीएम, हंगामे के बाद स्थगित
Jain Star News Network |September 18,2017
जैन स्टार | मुंबई /विद्यावाडी
साल 1956 में स्थापित मरुधर महिला शिक्षण संघ की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) नियत समय,रविवार 17 सितंबर को मुंबई के चर्च गेट स्थित एक हाल में सुबह 11 बजे से प्रारंभ हुई। बैठक प्रारंभ होते ही संस्था की सालाना रिपोर्ट पेश की गई।
कुछ मुद्दों पर कई सदस्यों ने अपनी -अपनी बाते रखी कई आपत्तिया उठाई गई,संस्था की ओर से बारी बारी से एक एक कर हर बात का जबाब देने की कोशिशे हुई । अध्यक्ष चयन के मुद्दे पर एक से अधिक नाम पोपट एफ सुंदेशा,भरत ए परमार,रतनचंद ओसवाल और माणिक शाह का आने और एक नाम पर सहमति नहीं बनने के बाद पूरी एजीएम में सलेक्शन नहीं इलेक्शन को लेकर चर्चा गर्म हो गई। हंगामे के बीच वर्तमान अध्यक्ष रतनचंद ओसवाल ने किसी एक नाम पर सहमति नहीं बनने के बाद एजीएम को स्थगित कर दिया। अब संस्था अध्यक्ष ओसवाल के अनुसार 6 महीने की अवधि के भीतर नए पदाधिकारियों के लिए चुनाव कराए जाएंगे। वर्तमान संस्था उपाध्यक्ष भरत परमार ने तीन महीनो में नए पदाधिकारियों के चुनाव कराए जाने की बात और मांग की ।
अध्यक्ष पद के लिए पोपट एफ सुंदेशा,भरत ए परमार,रतनचंद ओसवाल और माणिक शाह के नाम सामने आने और किसी एक नाम पर सहमति नहीं बनने से अब विधानानुसार पहले 21 कमिटी मेंबर्स का चयन होगा और बाद में नवनिर्वाचित कमिटी मेंबर्स अध्यक्ष का चुनाव करेंगे।
एजीएम में 100 के करीब संस्था सदस्य उपस्थित रहे
विद्यावाडी संस्था के अध्यक्ष को संस्था के सदस्य चुनते हैं। संस्था के इतिहास में पहली बार ऐसे संकेत मिले हैं,कि इस बार संस्था का अध्यक्ष का चयन चुनाव प्रक्रिया के तहत होगा,अब तक अध्यक्ष का चुनाव सलेक्शन के जरिए ही होता रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अब भी अंत तक विद्यावाडी की मरुधर महिला शिक्षण संघ में अध्यक्ष सलेक्शन से हो इसके लिए गोडवाड समाज के सर्वेसर्वा और स्वयं घोषित समाज अग्रणी इसी कोशिश में लग गए है और लगे रहेंगे, कि इन सस्थाओ में सलेक्शन हो इलेक्शन नहीं। ताकि उनकी मनमर्जी के लोग ही संस्था की सत्ता पर काबिज होते रहे है। ऐसे में स्वयं घोषितो से घिरी विद्यावाडी सहित गोडवाड़ की अन्य संस्थाओं की साख खतरे में.दिखाई दे रही है।जो संस्था की कार्यकारणी के नाम फर्जीवाड़ा करते रहे है। एजीएम में इस बार सलेक्शन नहीं इलेक्शन और यह तो झांकी है अभी वरकाणा -फालना बाकी है की आवाजो से यह स्पष्ट हो जाता है कि अधिकतर सदस्य चयन प्रक्रिया के फर्जीवाड़ा पर चुनाव की पारदर्शिता के पक्षधर है ।
चयन गणित
ग़ौरतलब है कि गोडवाड की वरकाणा,फालना,क्षेत्र पाल अतिथि भवन और गोडवाड हाउस जैसी अन्य संस्थाओ के जन्म से अभी तक अध्यक्ष का चुनाव सलेक्शन कर ही किया जाता रहा है और सलेक्शन से घोषित अध्यक्ष अपनी मनमर्जी से बाकी कमिटी मेंबर्स का सलेक्शन करता है। जिसमें अधिकतर चेहरे वेवाईवाद,परिवारवाद और तिसरेवाद को ध्यान में रखकर ही चुने जाते हुए दिखते रहे है।ऐसे में सवाल उठता है क्यों न सलेक्शन से उपजी इस चयन पद्दति में बदलाव लाया जाए जिससे संस्था के पदाधिकारियों के चयन में पारदर्शिता बनी रहे और उसकी साख भी न घिरे।
अगर इस बार विद्यावाडी में इलेक्शन की शुरुआत होती है। तो आने वाले समय में गोडवाड़ की अन्य संस्थाओ में भी चुनाव की मांग जोर पकड़ती नजर आएगी और स्वयं घोषितो की मनमर्जी खत्म होती दिखेगी। क्योंकि सलेक्शन पद्त्ति में स्थिति स्पष्ट नहीं होती है और कोई संस्था सदस्य पहले से तय नाम का डाइरेक्टली विरोध करता भी नजर नहीं आता।
इन तथाकथित संस्थाओ में नए सदस्यों को शामिल करने की प्रक्रिया को भी इतना जटिल बनाया गया है कि इन संस्थाओ में स्वयं घोषितो की मर्जी के बिना कोई नया सदस्य बन ही नहीं सकता। क्योंकि नए सदस्य बनने की भारी सदस्यता शुल्क के साथ का नाम प्रस्तावित करने हेतु कार्यकारणी कमिटी के दो सदस्यों की मंजूरी भी आवश्यक उसके बाद भी कई प्रक्रिया ऐसे में इन तथाकथित संस्थाओ के नए सदस्य भी गुटबाजी के तहत ही बनते है और यही वो मुख्य कारण है कि 60 -70 साल बाद भी इन सस्थाओ में सक्रिय सदस्य गिने -चुने ही है और तो ओर एजीएम में शामिल होने वाले सदस्यों की संख्या सिर्फ और सिर्फ 50 भी मुश्किल से रहती दिखाई देती है। महिलाओ की बराबरी की बातो के बीच सस्था की भूमिका महिलाओ को सदस्यता और कार्यकारणी में स्थान देने के नाम पर नगण्य ही है। ऐसे में इस बार इस चुनाव प्रक्रिया में सलेक्शन पर इलेक्शन की उठी मांग इन तथाकथित संस्थाओ में दूरगामी परिणाम लिए हुए दिखाई दे रही है।गोडवाड़ समाज के अधिकतर लोगो के मन में इस विवाद के बीच एक ही सवाल इन तथाकथित संस्थाओ में समाज के दानदाताओ का पैसा ही है। पर गोडवाड़ जैन समाज का क्या हो रहा है फायदा? यह सवाल अपने आप और समाज को बहुत कुछ सोचने को मजबूर कर रहा है।
गोडवाड के वरिष्ठ और 76 साल की उम्र में भी सक्रिय समाज सेवी घिसुलाल बादामिया ने जैन स्टार से हुई बातचीत में कहा, कि वे चाहते हैं कि मिलजुलकर संस्था समाज की भलाई के लिए काम करे। वे किसी प्रकार का मनमुटाव नहीं चाहते हैं।पर संस्था के भविष्य लिए सलेक्शन ही सर्वोतम है ऐसा मेरा स्पष्ट मानना है।
इन्दरमल राणावत ने बातचीत में कहा कि आने वाले समय में इस विवाद का हल ढूंढ लिया जाएगा।
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