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🌏 आज की प्रेरणा 🌍
प्रवचनकार - आचार्य श्री महाश्रमण
प्रस्तुति - अमृतवाणी 📺
आलेखन - संस्कार चैनल के श्रवण से:-
ठाणं के चौथे स्थान में कहा गया है - आर्त ध्यान एक ऐसा तत्व है, जिससे दुखानुभूति होती है | इसका तीसरा कारण बीमारी मन में आतंक पैदा कर देती है| हमारा शरीर बिमारियों का एक घर है, मंदिर है | वैध्य, हकीम व डाक्टर अपने-अपने तरीकों से उसके कारण का पता लगाते हैं | कार्य कारण के सिद्धांत में हर कार्य का कोई कारण अवश्य होता है | यदि हम आध्यात्मिक दृष्टि से ध्यान दें तो बिमारी व व्याधि का कारण हमारे असात वेदनीय कर्म का उदय होता है | असात वेदनीय कर्म का बंध निरुक्म्प भाव से होता है व सात वेदनी य कर्म का बंध अनुकम्पा भाव से | स्वस्थता व अस्वस्थता का नियंता हमारा कार्मण शरीर होता है| हमारे चिकित्सा जगत के साथ अचिकित्सा का भी जुड़ाव हो | अचिकित्सा एक साधना का रूप है | लेकिन शरीर की स्वस्थता के लिए चिकित्सा का भी अपना महत्व है| शरीरिक कष्ट के साथ मानसिक प्रसन्नता रहे | आदमी चिंतन करे कि नरक में हम कितने कितने कष्ट झेल चुके हैं | हम बिमारी से डरें नही बल्कि उसका सामना करें | चिकित्सा की जगह अचिकित्सा व आत्मा भिन्न शरीर भिन्न का चिंतन कर बीमारी को भी कर्म निर्जरा का साधन बनाया जा सकता है | शारीरिक व्याधि में भी चित्त समाधि रहे व हम समता व प्रसन्नता से उसे सहन करें |
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दिनांक - २० सितम्बर, २०१७ - बुधवार
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News in Hindi
🙏 #जय_जिनेन्द्र सा 🙏
दिनांक- 20-09-2017
तिथि: - #आसोज बदी #अमावस (15)
#बुधवार का त्याग/#पचखाण
★ आज #तली हुई चीजें खाने का #त्याग करे।
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जय जिनेन्द्र
#प्रतिदिन जो त्याग करवाया जाता हैं। सभी से #निवेदन है की आप स्वेच्छा से त्याग अवश्य करे। छोटे छोटे #त्याग करके भी हम मोक्ष मार्ग की #आराधना कर सकते हैं। त्याग अपने आप में आध्यात्म का मार्ग हैं।
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🙏तेरापंथ मीडिया सेंटर🙏
🔯 गुरुवर की अमृत वाणी 🔯
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