27.09.2017 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 27.09.2017
Updated: 28.09.2017

Update

विशुद्धि जब बढ़ती है तब आनंद प्रकट हुए बिना रह नहीं सकता। -क्षुल्लक श्री ध्यानसागर जी / आचार्य श्री विद्यासागर जी #AcharyaVidyasagar

साधुओं के जीवन में जो आनंद है वो विशुद्धि की वृद्धि से आता है और ये आगमोक्त सिद्धांत सापेक्ष कथन है। "विशुद्धि बढ़ने से आनंद आता है।" उस आनंद को जिस साधक/ साधु ने प्राप्त कर लिया उनके जीवन में एक अलग मस्ती होती है। उनकी साधना में एक अलग मज़ा होता है इसीलिए उनको कोई आकर्षण लुभा नहीं सकता, नाम बड़ाई क्या वस्तु है! प्रशंसा निंदा क्या चीज़ है! यह सिर्फ उनकी धारणा है।

💠 मेरी छबि के प्रति किसी एक की धारणा को प्रशंसा कहते हैं किसी दूसरे की धारणा को निंदा कहते हैं।

यह चीज़े कोई गिनती में नहीं आती

🔹जो ख़ुद को नहीं जानता वो मुझे कैसे जानेगा?!!

🔘 साधु की साधना की इस धारा में उन्हें योगी या तो शुद्धोपयोगी कहते हैं और उस दशा में रहनेवाले साधुओं का जीवन इतना आनंद संपन्न हो जाता है कि उनके पास बैठने वाले लोगो को शांति मिलने लगती है

उनकी चरण रज लेने वालों को अप्रत्याशित लाभ होने लग जाते हैं। और सच्चा लोभी तो वो है जो उनसे उनका ख़ज़ाना प्राप्त करने की भावना करें ।🙏 वो खज़ाना तो ऐसा है जो देने पर घटता नहीं है बढ़ जाता है ।

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Update

today's Reality! more degree.. less common sense.

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India नहीं भारत बोलो -आचार्य विद्यासागर जी President of India / Ramnath kovind

#share ✌️ #AcharyaVidyasagar

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Video

आचार्य गुरु विद्या सागरजी महाराज के शिष्य क्षुल्लक श्री ध्यान सागरजी महाराज के द्वारा भक्तामर स्तोत्र पर प्रवचन - 27-09-2017

https://youtu.be/mTUWlkWe3Eg

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