Update
👉 नोहर: अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का द्वितीय दिवस - "जीवन-विज्ञान दिवस"
👉 अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह
सूरत - जीवन विज्ञान दिवस का आयोज
👉 जोधपुर: अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का प्रथम दिवस - "अणुव्रत प्रेरणा दिवस" एवं अणुव्रत गीत गायन प्रतियोगिता का आयोजन
👉 कोयम्बत्तूर: किशोर मंडल द्वारा "माता-पिता के प्रति हमारा दायित्व" भाषण प्रतियोगिता आयोजित
👉 तिरुकलिकुण्ड्रण्म: अभातेमम. अधिवेशन के उपरांत तेरापंथ महिला मंडल सदस्यों ने किये चेन्नई में विराजित चारित्र आत्माओं के दर्शन
👉 हैदराबाद: परीक्षार्थी सम्मान समारोह
👉 कोयम्बत्तूर: तेरापंथ महिला मंडल द्वारा आध्यात्मिक रंगोली एवं ग्रीटिंग कार्ड प्रतियोगिता आयोजित
👉 सरदारशहर: 'श्रद्घा की प्रतिमुर्ति' श्रीमति तोली देवी नाहटा द्वारा "तिविहार संथारे" का प्रत्याख्यान
👉 आसींद: अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का प्रथम दिवस - "नशा मुक्ति दिवस"
👉 सादुलपुर-राजगढ़: अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का द्वितीय दिवस - "जीवन-विज्ञान दिवस"
👉 जोधपुर: अणुव्रत समिति के सदस्यों का केंद्रीय स्तर पर मनोनयन होने पर "अभिनंदन समारोह" का आयोजन
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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28 सितम्बर का संकल्प
*तिथि:- आसोज शुक्ला अष्टमी*
व्यक्ति विशेष नहीं गुणों की स्तुति है नमस्कार महामंत्र ।
जप से इसके पराजित हो जाते सब विघ्न - बाधा तंत्र।।
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 तेरापंथ *संघ संवाद* 🌻
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राजरहाट, कोलकत्ता - *अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह- द्वितीय दिवस*
👉 *मोम की तरह कमजोर नहीं, मजबूत मनोबल वाला हो व्यक्ति: आचार्यश्री*
👉 *-आचार्यश्री ने आदमी को विपरित परिस्थितियों में भी मजबूत मनोबल रखने की दी प्रेरणा*
👉 *-मोम, लाख, काष्ठ और मिट्टी की गोले से मनोबल के आधार पर आदमी का किया वर्गीकरण*
👉 *-नवरात्र में नियमित रूप से जारी है विशेष मंत्र जप का प्रयोग*
👉 *राष्ट्रीय संस्कार निर्माण शिविर का हुआ शुभारम्भ, आचार्यश्री ने संस्कार युक्त ज्ञानार्जन का दिया आशीर्वाद*
दिनांक - 27-09-2017
प्रस्तुति -🌻 तेरापंथ *संघ संवाद* 🌻
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Update
👉 अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह
अहमदाबाद - साम्प्रदायिक सौहार्द दिवस
👉 अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह
ठाणे - अणुव्रत प्रेरणा दिवस
👉 अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह
शाहदरा, दिल्ली - साम्प्रदायिक सौहार्द दिवस
👉 अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह
बारडोली - साम्प्रदायिक सौहार्द दिवस
👉 सादुलपुर-राजगढ़: अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का प्रथम दिवस - "साम्प्रदायिक सौहार्द दिवस"
👉 दक्षिण हावड़ा - "जैन जीवन शैली" विषय पर कार्यशाला का आयोजन
👉 दलखोला - ज्ञानशाला का वार्षिकोत्सव का कार्यक्रम
👉 बैंगलोर: अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का प्रथम दिवस - "साम्प्रदायिक सौहार्द दिवस"
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 162* 📝
*अक्षयकोष आचार्य आर्यरक्षित*
*जीवन-वृत्त*
गतांक से आगे...
अध्यात्म-साधना में रत आचार्य आर्यरक्षित ने राजपुरोहित पिता सोमदेव को उद्बोधन देते हुए कहा "विप्रवर! आप शास्त्रों का भार वहन कर रहे हो। अपने जीवन के यथार्थ को नहीं पहचाना। जन्म-जन्म में माता-पिता, भ्राता-भगिनी, पत्नी, सुता आदि अनेक बार ये संबंध हुए हैं। इनमें क्या आनंद है? राजप्रसाद को भृत्य रूप में रहकर अर्जित किया है, इसमें किस बात का गर्व? अर्थ संपदा अनर्थ की जननी है, बहुत उपद्रवकारिणी है। मनुष्य जन्म रत्न की तरह दुष्प्राप्य है। गृहमोह में फंसकर विज्ञ मनुष्य इसको खोया नहीं करते। मेरा दृष्टिवाद का अध्ययन अभी पूर्ण नहीं हुआ है, मैं यहां कैसे रह सकता हूं? आपका मेरे प्रति सच्चा अनुराग कभी समझूंगा जब आप भी संयम पथ का अनुगमन करेंगे।"
आचार्य आर्यरक्षित की धीर-गंभीर वाणी को सुनकर राजपुरोहित परिवार प्रतिबद्ध हुआ एवं श्रमण धर्म में दीक्षित हुआ। सोमदेव का दीक्षा संस्कार आपवादिक था। उन्होंने छत्र, जनेऊ, कौपीन एवं पादुका का अपवाद रखा। आचार्य आर्यरक्षित मुनि सोमदेव को इन अपवादों से मुक्त कर जैन-विहित संयम विधि में स्थित करने के लिए प्रयत्नशील बने।
एक बार मुनि सोमदेव श्रमणों के साथ कहीं जा रहे थे। आचार्य आर्यरक्षित के संकेतानुसार मार्गवर्ती बालकों ने कहा "छत्रधारी के अतिरिक्त सब मुनियों को हम वंदन करते हैं।" सोमदेव मुनि ने इसे अपना अपमान समझा और छत्र धारण करना छोड़ दिया। इसी तरह कौपीन के अतिरिक्त अन्य उपकरण भी छोड़ दिए। कौपीन त्याग की चर्चा के प्रसंग पर सोमदेव मुनि ने कहा
*नग्नो न स्यामहं यूयं मा वन्दध्वं सपूर्वजाः।*
*स्वर्गोऽपि सोऽथ मा भूयाद् यो भावी भवदर्चनात्*
*।।168।।*
*(प्रभावक चरित्र, पृष्ठ 14)*
"मुझे तुम वंदन भले न करो और तुम्हारी अर्चा से प्रापणीय स्वर्ग की उपलब्धि भी भले न हो, मैं नग्नत्व को स्वीकार नहीं करूंगा।"
इस प्रसंग से ज्ञात होता है सोमदेव मुनि ने कौपीन का परित्याग लंबे समय के बाद किया। सोमदेव मुनि भिक्षा लेने नहीं जाते थे। आचार्य आर्यरक्षित के निर्देशानुसार एक दिन मुनियों ने उन्हें भोजन के लिए निमंत्रण नहीं दिया। सोमदेव मुनि कुपित हुए। पिता की परिचर्या के लिए आचार्य आर्यरक्षित स्वयं भिक्षाचरी के लिए उठे। सोमदेव मुनि ने आचार्य आर्यरक्षित से निवेदन किया "आप आचार्य हैं। धर्मसंघ की धुरा के संवाहक हैं। आचार्य गोचरी करें और मैं न करूं, यह लोक व्यवहार में उचित नहीं है, अतः आप मुझे आज्ञा प्रदान करें। मैं स्वयं गोचरी के लिए जाऊंगा।"
*मुनि सोमदेव गोचरी के लिए गए तब कुछ विशेष घटित हुआ।* उस विशेष घटना के बारे में पढेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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