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णमोकार मंत् ब्राह्मी लिपि में #Namokara:)
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दुनिया में चीजें बदलना आसान, खुद को बदलना कठिन: आचार्य सुनीलसागरजी 🤔 #AcharyaSunilsagar ☺️ #Jainism
सच्चेगुरु की शरण में मनुष्य नेचर (स्वभाव) और सिग्नेचर (हस्ताक्षर) दोनों ही बदल जाते हैं। यह बात आचार्य सुनील सागरजी महाराज ने कही। वे जुना मंदिर परिसर में चल रही प्रवचन माला में गुरुवार को प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि कौन कहता है कि सिग्नेचर और नेचर परिवर्तित नहीं होता जब चोट हाथ पर लगती है, तो सिग्नेचर बदल जाता हैं और जब गुरुवाणी से मन पर चोट लगती है तो नेचर बदल जाता है। बदलने से सब बदलता है ना बदलना चाहो तो कुछ नहीं बदलता है। बदलने वाले तो दुनिया की रीति-नीति बदल देते हैं। बदलने वाले तो एक ही झटके में बरसों से चल रहे नोट तक बदल देते हैं, बदलने वाले अपनी लंगोट तक नहीं बदल सकते। दुनिया की चीजें बदलना काफी कुछ आसान है लेकिन अपने आप को बदलना बहुत ही कठिन काम है।
उन्होंने कहा कि जिन विकारों में लोभ क्रोध मोह माया में जीव पड़ा हुआ है, उसने ऐसा मान लिया है कि वह बिना इनके जी ही नहीं सकता वह जी सकता है लेकिन इसके लिए उसको अपने आपको बदलना पड़ेगा और बदलना ही तो काफी कठिन है। खुद को हम सुधारना नहीं चाहते और दुनिया सुधारने निकल पड़ते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए जो कड़वी गोली आप दूसरे को खिला रहे हो, पहले खुद भी तो खा कर देखो। #AcharyaSanmatisagar
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