15.10.2017 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 16.10.2017
Updated: 17.10.2017

News in Hindi

क्षपकराज जी का गया में हुआ ऐतिहासिक समाधि।

बिहार स्थित गया शहर में जैन संत बालयोगी आचार्य श्री 108 शीतल सागर जी महाराज के सानिध्य में क्षपकराज मुनि श्री 108 दुर्लभ सागर जी महाराज का दुर्लभ सल्लेखना 98 दिन से चला आ रहा था, जिसमें आज यमसल्लेखना का 7 वां दिन था।
ऐसी दुर्लभ सल्लेखना आज तक नहीं देखा, शरीर के नाम पर केवल अस्थिपंजर व दृढ़ इच्छाशक्ति धन्य है।
महायोगी क्षपकराज व धन्य है निर्यापकाचार्य हे चैतन्य तीर्थ भगवान्!
ऐसे महान दिगम्बर जैन तपस्वी को बारंबार नमन जो इतने कठिन साधना पर 98 दिन से थे और यमसल्लेखना यानि बिना अन्न, जल का 6 दिन, ऐसे महान तपस्वी जैन संत को अरहंत भगवन के समान ही माना जाता है।
वहीं आज गया में करीबन दोपहर के समय क्षपकराज मुनि श्री दुर्लभ सागर जी महाराज का समाधि निर्विघ्न संपन्न हो गया।
गया जैन मंदिर से दोपहर 3 बजे विमान यात्रा (समाधी यात्रा) धूमधाम के साथ निकाली गई।
क्षपकराज जी के समाधि की खबर जैन समाज के बीच पहुँचते ही सभी लोग जुटने लगे थे, धीरे-धीरे तो पुरा जैन समाज के साथ स्थानीय लोगों का भी हुजुम उमड़ पड़ा।

पिछले कई दिनों से शांति पाठ, शांति विधान, णमोकार महामंत्र का जाप तरह-तरह के विशेष अनुष्ठान किया जा रहा था।
इस समाधि महोत्सव की खबर पुरे देश में फैल गई, लोग बहुत-बहुत अनुमोदना भी कर रहे है।
क्षपकराज जी के दर्शन करने गया शहर के अलावे अन्य स्थानों से भी जैन श्रद्धालु पहुँचे।
इस विशाल समाधि यात्रा में जैन समाज लोगो की भीड़ उमड़ पड़ी थी।
संध्या वेला के पूर्व ही अग्नि संस्कार सहित अन्य संस्कार पूर्ण हुआ।
जैन संतो के समाधि पश्चात उन्हें पालकी पर विराजमान कर समाधि यात्रा निकाली जाती है, अग्नि संस्कार में चंदन, कपूर, नारियल आदि अर्पित किए जाते है।

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बहुत सुना होगा दिवाली कैसे मनाये.. लेकिन इतनी easy explanation... नहीं सुनी होगी.. जैन धर्मं के अनुसार दिवाली कैसे मनाये!!! ये हर कोई सुने और समझे और maximum share.. महाराज जी ने कहा इसको online भी करदे:) Detailed explanation.. how to Celebrate Diwali in Jainism!!! #MuniSudhasagar #AcharyaVidyasagar #Jainism #Diwali

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✿ Diwali Special ~ हम हर साल धन्य-त्रियोदशी [धन-तेरस] मानते है, इस साल भी मनाएंगे तो आओ जाने धन्य-त्रियोदशी क्या है और कैसे शुरू हुआ ये पर्व... [ क्या आपके दिमाग में प्रश्न नहीं आता कि ये सारे पर्व एकसाथ लाइन में कैसे आते है? जैसे धन-तेरस, भैया-दूज, गोबर्धन, रूप-चौदस और दीवाली ] इसके पीछे बहुत बड़ा लॉजिक है.. जैन धर्मं के अनुसार! ✿ Can U pls #share?

धन्य त्रियोदशी कहो या धन तेरस या धन्य तेरस >> धन्य तेरस का बहुत महत्व है लेकिन वैसा नहीं जैसा की आज कल अन्धविश्वास के कारन हम लोग मानते है की सांसारिक लक्ष्मी तथा धन का पूजा करो नहीं, उस दिन को धन्य माना गया क्योंकि उस दिन के बाद भगवान ने योग निरोध किया तथा अमावस्या को मोक्ष प्राप्त कर लिया, योग विरोध का मतलब मन, वचन और काय की प्रवृत्ति बंद हो जाना, मतलब उस दिन से महावीर स्वामी ने समवसरन का भी त्याग कर दिया और बस पद्मासन अवस्था में एक पेड़ के निचे विराजमान हो गए और ना मन से प्रवृत्ति करेंगे ना तन से करेंगे और ना ही कुछ बोलेंगे... वीर प्रभु के योगों के निरोध से त्रयोदशी धन्य हो उठी, इसीलिये यह तिथि “ धन्य-तेरस [त्रयोदशी]” के नाम से विख्यात हुई लेकिन समय से प्रभाव से यह धन्य त्रयोदशी का नाम अन्धविश्वास में बदल गया और फिर धनतेरस में फिर सिर्फ धन की पूजा होने लगी! धन-तेरस के दिन हम लोग धन-संपत्ति, रुपये-पैसे को लक्ष्मी मान कर पूजा करते हैं जो एकदम गलत है, हमने अब सारे पर्व को बस पैसे से जोड़ लिया है और इन त्यौहार का असली महत्व पता ही नहीं हमको। जो Wise है Intelligent है उनको इस पर विचार करना चाहिए और साधू जानो और ज्ञानीजनो से पूछना चाहिए, ग्रंथो को देखना चाहिए!

हजारो साल पहले भगवान् ने अपने जीवन को इस दिन ही धन्य कर लिया था, जिससे त्रियोदशी भी धन्य कही जाने लगी थी, आओ हम भी कुछ संयम नियम आदि जीवन में आचरण में उतार ले ताकि हम भी धन्य हो जाए! धन है या नहीं लेकिन आप आचरण से अपने को धन्य तो कर ही सकते है, आज धन्य तेरस को पावन करदे! महावीर भगवान् के आचरण से अपने जीवन को सजा लेना ही... महावीरा स्वामी को सही मायने में मानना है और वही उनका सच्चा पुजारी भी है! इस बार हम धन्य-तेरस कुछ हटकर मनाएंगे!

ये लेख -Nipun Jain द्वारा लिखा गया है

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गुरुदेव जिस दिन अहिंसा के पुजारी भगवान् महावीर स्वामी का मोक्ष हुआ.. उसी दिन लाखो करोडो के पटाके जलाकर हम उन्ही के सबसे बड़े और strong message Live and Let Live को नहीं स्वीकार करते!! #share maximum.. Spread Awareness.. असंख्यात जीव मरते हैं.. गर्भ गिर पक्षियों के जाते हैं.. उनको नहीं पता पटाके जल रहे हैं उनके लिए तो बंदूके चल रही होती हैं दिवाली की रात:(जैनी पटाके जलाने पर अपशकुन करना. इतने जीवो की हत्या हैं सीधा बारूद अशुभ हैं!! #Diwali #SayNoToCrackers #MuniSudhasagar दिवाली जैसे पावन त्यौहार पर हम बारूद जला रहे हों??? देश भूखा मर रहा हैं और हम पटको से पैसा बर्बाद कर रहे हैं... pollution की जो स्थिति हैं वो तो सबके सामन हैं.. भयानक स्थिति सांस लेना मुश्किल हो रहा हैं!!

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