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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙
📝 *श्रंखला -- 181* 📝
*रत्नत्रयी-आराधक आचार्य रेवतीनक्षत्र*
*आचार्य ब्रह्मद्वीपकसिंह*
गतांक से आगे...
*आचार्य ब्रह्मद्विपकसिंह—*
आचार्य ब्रह्मद्विपकसिंह के अधिकांश जीवन प्रसंग अज्ञात हैं। नंदी स्थविरावली में उनके गुणानुवाद का पद्य इस प्रकार है—
*अयलपुरा निक्खंते, कालियसुय-आणुओगिए धीरे।*
*बंभद्दिवय सीहे, वायगपयतमुत्तमं पत्ते।।32।।*
उपर्युक्त पद्य के अनुसार ब्रह्मद्विपकसिंह कालिश्रुत के ज्ञाता, अनुयोग कुशल, धीर, गंभीर एवं उत्तमपद से सुशोभित आचार्य थे। अचलपुर में ब्रह्मद्विपकसिंह ने प्रव्रज्या ग्रहण की थी।
इन दोनों आचार्यों से संबंधित उपर्युक्त पद्यों से स्पष्ट है कि अपने युग के ये महान् आचार्य थे।
*समय-संकेत*
आचार्य ब्रह्मद्विपकसिंह के बाद आचार्य स्कंदिल हुए। उनकी आगमवाचना का समय वीर निर्वाण 827 से 840 (विक्रम संवत् 357 से 370, ईस्वी सन् 300 से 313) का मध्यकाल है। वाचनाचार्य रेवतीनक्षत्र और आचार्य ब्रह्मद्विपकसिंह वाचनाकार आचार्य स्कंदिल से पूर्ववर्त्ती होने के कारण इन दोनों आचार्यों का सत्ता समय वीर निर्वाण की सातवीं आठवीं शताब्दी संभव है।
दुस्सम-काल-समण-संघत्थव युगप्रधान पट्टावली के अनुसार आचार्य नागहस्ती का युगप्रधान काल वीर निर्वाण 620 से 689 (विक्रम सम्वत् 150 से 219, ईस्वी सन् 93 से 162) तक का है। आचार्य रेवतीनक्षत्र का समय वीर निर्वाण 689 से 748 (विक्रम सम्वत् 219 से 278, ईस्वी सन् 162 से 221) तक का है और आचार्य ब्रह्मद्विपकसिंह का आचार्य काल वीर निर्वाण 748 से 826 (विक्रम संवत 278 से 356, ईस्वी सन् 221 से 299) तक का है।
*आचार्य रेवतीनक्षत्र*
(वीर निर्वाण 689-748)
(विक्रम सम्वत् 219-278)
(ईस्वी सन् 162-221)
*आचार्य ब्रह्मद्विपकसिंह*
(वीर निर्वाण 748-826)
(विक्रम सम्वत् 278-356)
(ईस्वी सन् 221-299)
*आगम पिटक आचार्य स्कन्दिल, हिमवन्त, नागार्जुन के प्रभावक चरित्र* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
📙 *'नींव के पत्थर'* 📙
📝 *श्रंखला -- 5* 📝
*चतरोजी पोरवाल*
*नींव के पत्थर*
चतरोजी पोरवाल तथा बच्छराजजी ओसवाल आदि राजनगर के श्रावकों ने अपने चिर अभिलषित कार्य को स्वामीजी के मार्गदर्शन में इस प्रकार फलीभूत होते देखा तो आनंद विभोर हो गए। अन्य भी अनेक व्यक्ति जो उस धर्म क्रांति से बहुत-बहुत आशाएं लगाए हुए थे, कृतकृत्य हो गए। ऐतिहासिक रूप से उन सबका कोई विवरण उपलब्ध नहीं है, फिर भी इतना तो सुनिश्चित रूप से कहा जा सकता है कि वे सब तेरापंथ भवन की नींव के पत्थर थे।
*तीन पीढ़ियां*
चतरोजी के चार पुत्र थे– तिलोकजी, सूरजमलजी, ब्रजलालजी और लालूजी। इसमें ब्रजलालजी और लालूजी धर्म के मर्मज्ञ थे। ये दोनों चतरोजी की ही तरह धर्म क्रांति में स्वामी जी के अच्छे सहयोगी रहे। ब्रजलालजी के पुत्र जवेरचंदजी उस समय की युवा शक्ति के प्रतीक थे। उन्होंने भी स्वामीजी के उद्देश्य सिद्धि के लिए अधिकाधिक सक्रियता के साथ कार्य किया। इस प्रकार उस परिवार की तीन पीढ़ियां एक साथ स्वामीजी के कार्य को आगे बढ़ाने में लगी हुई थीं। उसके समान अन्य भी न जाने कितने परिवार स्वामीजी की उस धर्म क्रांति से प्रभावित हुए और उसे आगे बढ़ाने में अपने सामर्थ्य की आहुतियां प्रदान कीं। आज का तेरापंथ उन सब ज्ञात अज्ञात आद्य पुरुषों के सम्मिलित प्रयास का ही फल है। इस समय राजनगर में प्रायः ओसवाल श्रावकों के ही घर हैं, परंतु स्वामीजी के समय पोरवालों के घर अधिक थे।
*तेरापंथ के प्रथम श्रावक गेरूलालजी व्यास का जीवनवृत* पढ़ेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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👉 कांदिवली, मुम्बई - आचार्य तुलसी का 104 वां जन्मदिवस अणुव्रत दिवस के रूप में आयोजित
📍आचार्य तुलसी के नाम से अमेरिका में यूनिवर्सिटी बने - आचार्य नयनपद्म सागर
👉 न्यूजर्सी (अमेरिका) - दीपावली मिलन एवं अणुव्रत दिवस का कार्यक्रम आयोजित
👉 गांधीनगर, बेंगलुरू: *आचार्य श्री तुलसी का विश्व को योगदान एवं "जीवन विज्ञान"* कार्यक्रम का आयोजन
👉 *मुख्य अतिथि: कर्नाटक के राज्यपाल महामहिम वजुभाई वाला..*
👉 कोटा - नवम आचार्य श्री तुलसी का 104 वां जन्मदिवस (अणुव्रत दिवस) पर कार्यक्रम
👉 कोलकत्ता - जैन प्रतीकात्मक बंदनवार प्रतियोगिता का आयोजन
👉 सेलम - जैन जीवन शैली कार्यशाला व दीपावली मिलन समारोह
👉 फालाकाटा - तेरापंथ भवन का जैन संस्कार पद्धति से उद्धघाटन
👉 नोहर - दो दिवसीय कन्या मंडल संस्कार निर्माण शिविर का समापन समारोह
प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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https://youtu.be/m7tsU1ZRs1w
दिनांक 25-10-2017 राजरहाट, कोलकत्ता में पूज्य प्रवर के आज के प्रवचन का संक्षिप्त विडियो..
प्रस्तुति - अमृतवाणी
सम्प्रेषण -👇
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👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
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