10.11.2017 ►TMC ►Terapanth Center News

Published: 10.11.2017
Updated: 11.11.2017

Update

#प्रवर्धमान #अहिंसा_यात्रा संग शांतिदूत ने किया वर्धमान जिले में पावन प्रवेश

-#सूर्य की किरणों के साथ ही बंगधरा पर गतिमान होते हैं #ज्योतिचरण

-लगभग #16_किलोमीटर का अखंड #परिव्राजक ने किया प्रलंब विहार

-आबूझाटी के बाणी #विद्यापीठ हाईस्कूल आचार्यश्री के चरणरज से हुआ पावन

-अहिंसा, संयम और तप द्वारा दुर्गति से बच सकता है आदमी: #आचार्य_श्री_महाश्रमण

10.11.2017 आबूझाटी, #वर्धमान (पश्चिम बंगाल)ः बंगधरा पर वर्तमान में एक साथ दो सूर्यों का उदय एक साथ हो रहा है। एक वह आकशीय सूर्य जो संसार को नियमित प्रकाश बांटने को अबाध रूप से आसमान में निर्धारित समय पर कर देता है तो एक धरती का महासूर्य भी अपनी ज्ञानरूपी रश्मियों से मानवता को ज्योतित करने के लिए अबाध रूप से गतिमान है। इस प्रकार बंगधारा दो-दो सूर्यों के आलोक से आलोकित होकर स्वयं को अभिभूत महसूस कर रही है।

वर्तमान में वर्ष 2017 का कोलकाता महानगर में चतुर्मास काल सम्पन्न कर पुनः मानवता को स्थापित करने लिए जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, अहिंसा यात्रा के प्रणेता, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ आसमान के सूर्य के साथ बंगधारा को अपने चरणरज से पावन करते जन-जन को अपने ज्ञान से आलोक बांटने को निकल जा रहे हैं। उनके पावन चरणरज जहां पड़ते हैं, मानों वहां की धरती तीर्थ बनती जा रही है।

इसी क्रम अहिंसा यात्रा के प्रणेता, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल के साथ शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के महेश्वरपुर हाईस्कूल से मंगल प्रस्थान किया। अखंड परिव्राजकता के परिचायक आचार्यश्री महाश्रमणजी का आज लगभग सोलह किलोमीटर का प्रलंब विहार वाला था। फिर भी समताधारी महातपस्वी के चेहरे पर एक मोहक मुस्कान और दर्शन करने वालों के आशीष की वृष्टि करते राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या दो पर गतिमान थे। इस प्रलंब विहार के साथ ही हुगली जिले को छोड़ प्रवर्धमान होती अहिंसा यात्रा अपने प्रणेता के साथ वर्धमान जिले में प्रवेश किया। कोलकाता चतुर्मास के उपरान्त वर्धमान जिले में अहिंसा यात्रा का पहला पड़ाव बना आबूझाटी का वाणी विद्यापीठ हाईस्कूल। आचार्यश्री लगभग साढ़े दस बजे स्कूल प्रांगण में पावन प्रवेश किया। आचार्यश्री के चरणरज पड़ते ही स्कूल की भूमि मानों पावन हो गई।

विद्यालय प्रांगण में उपस्थित विद्यार्थियों, ग्रामीणों और अन्य श्रद्धालुओं को आचार्यश्री ने चार गतियों नरक, तिर्यंच, मनुष्य और देव का वर्णन करते हुए पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि मनुष्य का जन्म मिलना बहुत सौभाग्य की बात है। यह एक सुअवसर है जिसके माध्यम से आदमी मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। यह अवसर देवगति के जीव को भी नहीं प्राप्त हो सकती। इसलिए यह मानव जीवन श्रेष्ठ है। इस अधु्रुव और दुःख बहूल संसार में आकर अधोगति में जाने से बचने के लिए आदमी को वीतरागता की साधना करने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए आदमी को अहिंसा, संयम और तप में रत रहने का प्रयास करना चाहिए। अहिंसा, संयम और तप की आराधना से आदमी दुर्गति से बच सकता है। आदमी स्वयं सन्मार्ग पर चले और दूसरों को भी सन्मार्ग पर चलने को प्रेरित कर सकता है। आदमी को ज्यादा गुस्सा से बचने का प्रयास करना चाहिए। घर, व्यापार, समाज में कलह की आग को भड़काने की अपेक्षा बुझाने का प्रयास करना चाहिए और अहिंसात्मक जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए। अहिंसा के साथ-साथ आदमी को अपनी मन, वचन और काया का संयम रखने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही आदमी तप की साधना भी करे तो अहिंसा और संयम दोनों पुष्ट हो सकता है। इन तीनों को आदमी अपने जीवन में उतारने का प्रयास करे तो वह दुर्गति से बच सकता है और मोक्ष का भी वरण कर सकता है।

आचार्यश्री ने उपस्थित लोगों को अहिंसा यात्रा के तीनों उद्देश्यों को बताया और लोगों को इन्हें पालने का पावन पाथेय भी प्रदान किया। अहिंसा यात्रा प्रबन्धन समिति की ओर विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्री गयासुद्दीन मुल्ला को उपहार प्रदान किया और उपस्थित विद्यार्थियों के बीच कोपियां भी वितरित की गईं।

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🙏 #जय_जिनेन्द्र सा 🙏

दिनांक- 10-11-2017
तिथि: - #माघशीर्ष कृष्णा #सातम (07)

#शुक्रवार त्याग/#पचखाण

★आज #दिनभर में 21 #द्रव्य से अधिक खाने का त्याग करे।

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जय जिनेन्द्र
#प्रतिदिन जो त्याग करवाया जाता हैं। सभी से #निवेदन है की आप स्वेच्छा से त्याग अवश्य करे। छोटे छोटे #त्याग करके भी हम मोक्ष मार्ग की #आराधना कर सकते हैं। त्याग अपने आप में आध्यात्म का मार्ग हैं।
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🙏तेरापंथ मीडिया सेंटर🙏

🔯 गुरुवर की अमृत वाणी 🔯
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