10.11.2017 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 10.11.2017
Updated: 11.11.2017

Update

*पुज्यवर का प्रेरणा पाथेय*

👉 *प्रवर्धमान अहिंसा यात्रा संग शांतिदूत ने किया वर्धमान जिले में पावन प्रवेश*

👉 *-सूर्य के किरणों के साथ ही बंगधरा पर गतिमान होते हैं ज्योतिचरण*

👉 *-लगभग 16 किलोमीटर का अखंड परिव्राजक ने किया प्रलंब विहार*

👉 *-आबूझाटी के बाणी विद्यापीठ हाईस्कूल आचार्यश्री के चरणरज से हुआ पावन*

👉 *-अहिंसा, संयम और तप द्वारा दुर्गति से बच सकता है आदमी: आचार्यश्री महाश्रमण*

दिनांक - 10-11-2017

प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*

Source: © Facebook

🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆

जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙

📝 *श्रंखला -- 195* 📝

*कीर्ति-निकुञ्ज आचार्य कुन्दकुन्द*

*साहित्य*

गतांक से आगे...

*पञ्चास्तिकाय—* इस ग्रंथ के दो प्रकरण हैं। आचार्य अमृतचंद्र के अनुसार इस ग्रंथ की 173 गाथाएं और जयसेनाचार्य की टीका के अनुसार 181 गाथाएं है। इस ग्रंथ में पांच अस्तिकाय का विवेचन होने के कारण ग्रंथ का नाम पञ्चास्तिकाय है। धर्म, अधर्म, आकाश, पुद्गल और जीव इन पांचों अस्तिकायों के साथ काल द्रव्य की व्याख्या भी इस ग्रंथ में है। ग्रंथ में प्रथम प्रकरण में छह द्रव्यों का वर्णन और द्वितीय प्रकरण में नव पदार्थों की व्याख्या है।

जैन दर्शन सम्मत द्रव्य की स्पष्ट व्याख्या इस ग्रंथ में है। सप्तभङ्ग का नाम निर्देश ग्रंथ के प्रथम प्रकरण में उपलब्ध है। आचार्य अमृतचंद्र की पञ्चास्तिकाय टीका किस ग्रंथ के रहस्यों को समझने के लिए सहायक है।

नियम सार नियम सार ग्रंथ के बारह अधिकार हैं। गाथा संख्या 187 है। ग्रंथ गत अधिकारों के नाम इस प्रकार हैं— *(1)* जीव अधिकार, *(2)* अजीव अधिकार, *(3)* शुद्ध भाव, *(4)* व्यवहार चरित्र, *(5)* परमार्थ प्रतिक्रमण, *(6)* निश्चय प्रत्याख्यान, *(7)* परमालोचन, *(8)* शुद्ध-निश्चय प्रायश्चित्त, *(9)* परम समाधि, *(10)* परम भक्ति, *(11)* निश्चय परमावश्यक, *(12)* शुद्धोपयोग।

इन अधिकारों में ध्यान, प्रत्याख्यान, प्रतिक्रमण आदि के छह आवश्यक अधिकारों का वर्णन है। अध्यात्म बिंदुओं को समझने के लिए ये ग्रंथ उपयोगी हैं। मोक्ष मार्ग में नियम से (आवश्यक) करणीय ज्ञान, दर्शन, चरित्र की आराधना पर बल दिया है। इनसे विपरीत आचरण को हेय बतलाया गया है। इसी ग्रंथ के अनुसार सर्वज्ञ भी निश्चय नय से केवल आत्मा को जानता है, व्यवहार नय से सबको जानता है।

*अष्टपाहुड़—* आचार्य कुन्दकुन्द 84 पाहुड़ों (प्राभृतों) के रचनाकार थे। पर वर्तमान में उनके पूरे नाम उपलब्ध नहीं हैं। पाहुड़ साहित्य में दंसण पाहुड़ आदि आठ पाहुड़ प्रमुख माने गए हैं। उनके रचनाकार भी कुन्दकुन्द हैं। पाहुड़ ग्रंथों का परिचय इस प्रकार है—

*(1)* दंसण पाहुड़ की 36 गाथाएं हैं। इसमें सम्यक् दर्शन का विवेचन है। *(2)* चरित्त पाहुड़ की 44 गाथाएं हैं। इनमें श्रावक और मुनि धर्म का संक्षिप्त वर्णन है। *(3)* सुत्त पाहुड़ में 27 गाथाएं हैं। इनमें आगम का महत्त्व समझाया गया है। *(4)* बोध पाहुड़ की 62 गाथाएं हैं। इनमें आयतन, देव, तीर्थ, अर्हत और प्रव्रज्या आदि 11 विषयों का बोध दिया गया है। *(5)* भाव पाहुड़ में 163 गाथाएं हैं। इनमें चित्त शुद्धि की महत्ता पर बल दिया गया है। *(6)* मोक्ख पाहुड़ की 106 गाथाओं में मोक्ष के स्वरूप का प्रतिपादन है। बहिरात्मा, अंतरात्मा, परमात्मा आत्मा की इन तीन अवस्थाओं का वर्णन इसमें है। *(7)* लिङ्ग पाहुड़ की 22 गाथाओं में श्रमण लिङ्ग और श्रमण धर्म का निरूपण है। *(8)* शील पाहुड़ में 40 गाथाएं हैं। इनमें शील की महत्ता का वर्णन है।

यह पाहुड़ साहित्य तात्त्विक दृष्टि से उपयोगी है। इसकी शैली सुबोध है। विषय का वर्णन संक्षिप्त है। प्राभृत साहित्य के रूप में आचार्य कुन्दकुन्द का यह साहित्य-जगत् को विशिष्ट उपहार है। प्रथम छह पाहुड़ों पर आचार्य श्रुतसागरजी की संस्कृत टीका भी है।

*आचार्य कुन्दकुन्द द्वारा रचित भक्ति संग्रह व उनके आचार्य-काल के समय-संकेत* के बारे में जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆

🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺

त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

📙 *'नींव के पत्थर'* 📙

📝 *श्रंखला -- 19* 📝

*शोभजी कोठारी*

*बंधन टूटे*

स्वामीजी के शब्द सुनते ही शोभजी ने आंखें खोलीं तो देखा कि स्वामीजी कोठारी के सामने ही खड़े थे। वे भावविह्वल हो उठे। अपना भान भूले हुए से वे उठे और दर्शन करने के लिए यों आगे बढ़े, मानो सब प्रकार से निर्बंध अपने घर में ही बैठे हों। उनके पैरों में पड़ी लोह श्रृंखला पहले ही धक्के में टूटकर नीचे गिर गई, मानो वह लोहे की न होकर कच्चे धागे की थी। न जाने वह उनके पैरों का वेग सहन नहीं कर सकीं या भावों का। लोह स्वभावतः बहुत कठोर होता है, परंतु शोभजी की श्रद्धा और भक्ति की उद्दामता के सम्मुख उसकी समग्र कठोरता एक क्षण में ही विगलित हो गई।

जेल के अधिकारी, आरक्षक एवं अन्य अनेक दर्शक वहीं पास में खड़े थे। उक्त घटना को देखकर वे सब स्तंभित रह गए। उन्होंने पहले कभी ऐसा होते नहीं देखा। उनके लिए यह कोई देवी घटना थी। उन्हें क्या पता कि श्रद्धा बल देवी बल से भी महान् होता है। वे लोग शोभजी के श्रद्धा बल से बड़े प्रभावित हुए। स्वामीजी तो उनके सम्मुख साक्षात् एक देवी शक्ति संपन्न महापुरुष थे।

स्वामीजी अपने स्थान पर पधार गए। शोभजी के बंधन टूटने की बात हवा की तरह सारे नगर में फैल गई। हितैषी प्रसन्न हुए तो द्वेषी अप्रसन्न, परंतु उनकी अप्रसन्नता से होने जाने वाला कुछ भी नहीं था। गोसाईंजी ने जब यह समाचार सुने तब पहले तो कुछ दुविधा में पड़े, परंतु अंततः उन्होंने शोभजी को छोड़ देना ही उचित समझा। ऐसे व्यक्ति को जेल में रखने का उन्हें साहस नहीं हो सका।

कारागार से मुक्त होकर शोभजी आए तो बाजार में दर्शकों की भीड़ लग गई। जन-जन के मुख पर एक ही चर्चा थी "सांच को आज भी कोई आंच नहीं है।" लोह बंधन के इस प्रकार टूट जाने में कोई शोभजी की अनन्य भक्ति को कारणभूत बतला रहा था कोई स्वामीजी के प्रबल तपोबल को। वस्तुतः भगवत्ता के प्रत्येक चमत्कार को प्रस्फुटित होने के लिए शोभजी जैसी पूर्ण समर्पण की भूमि अपेक्षित रहती ही है। धर्म प्रभावना के उक्त चमत्कार पूर्ण वातावरण में अधिकांश लोग जहां प्रसन्न थे, वहां कुछ ऐसे भी थे जो मुंह लटकाए चिंतातुर बने सोच रहे थे कि यह सब क्यों और कैसे घटित हो गया? वे लोग कुछ देख सुन रहे थे, उस पर विश्वास नहीं कर पा रहे थे, परंतु जो प्रत्यक्ष था उसे नकारा भी तो नहीं जा सकता था।

*श्रावक शोभजी बाल्यकाल से ही अनन्य श्रद्धाशील और धार्मिक व्यक्ति थे। उनकी अद्वितीय धार्मिकता* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺

👉 अणुव्रत महासमिति असम संगठन यात्र
📍 बरपेटारोड में अणुव्रत समिति गठित
👉 अणुव्रत महासमिति असम संगठन यात्रा
📍 बंगाईगाँव वृहत्तर समाज द्वारा अणुव्रत समिति का गठन
👉 ETA गार्डन, बेंगलुरु: "आओ जीवन जीना सीखें" एक शिष्टाचार कार्यशाला का आयोजन
👉 उधना, सूरत - आध्यात्मिक मिलन
👉 जयपुर - दौसा जिला मुख्यालय पर गणवेश वितरण कार्यक्रम
📍17 चिन्हित विद्यालयों के 1284 विद्यार्थियों को स्वेटर, जूते, मोजे, नेलकटर आदि वितरित
👉 ईरोड: मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी आदि ठाणा-3 का "मंगलभावना समारोह" आयोजित
👉 कोयम्बत्तूर: तेरापंथ युवक परिषद द्वारा "जैन विद्या परीक्षा" का आयोजन
👉 बगुमुंडा (उड़ीसा) - तप अभिनंदन समारोह आयोजित
👉 सिलीगुड़ी - जैन संस्कार विधि द्वारा नामकरण
👉 राजसमंद - आखिर क्यों? कन्या सुरक्षा सेमिनार आयोजित

प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

👉 अहिंसा यात्रा के बढ़ते कदम

👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "आबुझाटी" पधारेंगे

👉 आज का प्रवास - आबुझाटी

प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Update

🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆

जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙

📝 *श्रंखला -- 195* 📝

*कीर्ति-निकुञ्ज आचार्य कुन्दकुन्द*

*साहित्य*

गतांक से आगे...

*पञ्चास्तिकाय—* इस ग्रंथ के दो प्रकरण हैं। आचार्य अमृतचंद्र के अनुसार इस ग्रंथ की 173 गाथाएं और जयसेनाचार्य की टीका के अनुसार 181 गाथाएं है। इस ग्रंथ में पांच अस्तिकाय का विवेचन होने के कारण ग्रंथ का नाम पञ्चास्तिकाय है। धर्म, अधर्म, आकाश, पुद्गल और जीव इन पांचों अस्तिकायों के साथ काल द्रव्य की व्याख्या भी इस ग्रंथ में है। ग्रंथ में प्रथम प्रकरण में छह द्रव्यों का वर्णन और द्वितीय प्रकरण में नव पदार्थों की व्याख्या है।

जैन दर्शन सम्मत द्रव्य की स्पष्ट व्याख्या इस ग्रंथ में है। सप्तभङ्ग का नाम निर्देश ग्रंथ के प्रथम प्रकरण में उपलब्ध है। आचार्य अमृतचंद्र की पञ्चास्तिकाय टीका किस ग्रंथ के रहस्यों को समझने के लिए सहायक है।

नियम सार नियम सार ग्रंथ के बारह अधिकार हैं। गाथा संख्या 187 है। ग्रंथ गत अधिकारों के नाम इस प्रकार हैं— *(1)* जीव अधिकार, *(2)* अजीव अधिकार, *(3)* शुद्ध भाव, *(4)* व्यवहार चरित्र, *(5)* परमार्थ प्रतिक्रमण, *(6)* निश्चय प्रत्याख्यान, *(7)* परमालोचन, *(8)* शुद्ध-निश्चय प्रायश्चित्त, *(9)* परम समाधि, *(10)* परम भक्ति, *(11)* निश्चय परमावश्यक, *(12)* शुद्धोपयोग।

इन अधिकारों में ध्यान, प्रत्याख्यान, प्रतिक्रमण आदि के छह आवश्यक अधिकारों का वर्णन है। अध्यात्म बिंदुओं को समझने के लिए ये ग्रंथ उपयोगी हैं। मोक्ष मार्ग में नियम से (आवश्यक) करणीय ज्ञान, दर्शन, चरित्र की आराधना पर बल दिया है। इनसे विपरीत आचरण को हेय बतलाया गया है। इसी ग्रंथ के अनुसार सर्वज्ञ भी निश्चय नय से केवल आत्मा को जानता है, व्यवहार नय से सबको जानता है।

*अष्टपाहुड़—* आचार्य कुन्दकुन्द 84 पाहुड़ों (प्राभृतों) के रचनाकार थे। पर वर्तमान में उनके पूरे नाम उपलब्ध नहीं हैं। पाहुड़ साहित्य में दंसण पाहुड़ आदि आठ पाहुड़ प्रमुख माने गए हैं। उनके रचनाकार भी कुन्दकुन्द हैं। पाहुड़ ग्रंथों का परिचय इस प्रकार है—

*(1)* दंसण पाहुड़ की 36 गाथाएं हैं। इसमें सम्यक् दर्शन का विवेचन है। *(2)* चरित्त पाहुड़ की 44 गाथाएं हैं। इनमें श्रावक और मुनि धर्म का संक्षिप्त वर्णन है। *(3)* सुत्त पाहुड़ में 27 गाथाएं हैं। इनमें आगम का महत्त्व समझाया गया है। *(4)* बोध पाहुड़ की 62 गाथाएं हैं। इनमें आयतन, देव, तीर्थ, अर्हत और प्रव्रज्या आदि 11 विषयों का बोध दिया गया है। *(5)* भाव पाहुड़ में 163 गाथाएं हैं। इनमें चित्त शुद्धि की महत्ता पर बल दिया गया है। *(6)* मोक्ख पाहुड़ की 106 गाथाओं में मोक्ष के स्वरूप का प्रतिपादन है। बहिरात्मा, अंतरात्मा, परमात्मा आत्मा की इन तीन अवस्थाओं का वर्णन इसमें है। *(7)* लिङ्ग पाहुड़ की 22 गाथाओं में श्रमण लिङ्ग और श्रमण धर्म का निरूपण है। *(8)* शील पाहुड़ में 40 गाथाएं हैं। इनमें शील की महत्ता का वर्णन है।

यह पाहुड़ साहित्य तात्त्विक दृष्टि से उपयोगी है। इसकी शैली सुबोध है। विषय का वर्णन संक्षिप्त है। प्राभृत साहित्य के रूप में आचार्य कुन्दकुन्द का यह साहित्य-जगत् को विशिष्ट उपहार है। प्रथम छह पाहुड़ों पर आचार्य श्रुतसागरजी की संस्कृत टीका भी है।

*आचार्य कुन्दकुन्द द्वारा रचित भक्ति संग्रह व उनके आचार्य-काल के समय-संकेत* के बारे में जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆

🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺

त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

📙 *'नींव के पत्थर'* 📙

📝 *श्रंखला -- 19* 📝

*शोभजी कोठारी*

*बंधन टूटे*

स्वामीजी के शब्द सुनते ही शोभजी ने आंखें खोलीं तो देखा कि स्वामीजी कोठारी के सामने ही खड़े थे। वे भावविह्वल हो उठे। अपना भान भूले हुए से वे उठे और दर्शन करने के लिए यों आगे बढ़े, मानो सब प्रकार से निर्बंध अपने घर में ही बैठे हों। उनके पैरों में पड़ी लोह श्रृंखला पहले ही धक्के में टूटकर नीचे गिर गई, मानो वह लोहे की न होकर कच्चे धागे की थी। न जाने वह उनके पैरों का वेग सहन नहीं कर सकीं या भावों का। लोह स्वभावतः बहुत कठोर होता है, परंतु शोभजी की श्रद्धा और भक्ति की उद्दामता के सम्मुख उसकी समग्र कठोरता एक क्षण में ही विगलित हो गई।

जेल के अधिकारी, आरक्षक एवं अन्य अनेक दर्शक वहीं पास में खड़े थे। उक्त घटना को देखकर वे सब स्तंभित रह गए। उन्होंने पहले कभी ऐसा होते नहीं देखा। उनके लिए यह कोई देवी घटना थी। उन्हें क्या पता कि श्रद्धा बल देवी बल से भी महान् होता है। वे लोग शोभजी के श्रद्धा बल से बड़े प्रभावित हुए। स्वामीजी तो उनके सम्मुख साक्षात् एक देवी शक्ति संपन्न महापुरुष थे।

स्वामीजी अपने स्थान पर पधार गए। शोभजी के बंधन टूटने की बात हवा की तरह सारे नगर में फैल गई। हितैषी प्रसन्न हुए तो द्वेषी अप्रसन्न, परंतु उनकी अप्रसन्नता से होने जाने वाला कुछ भी नहीं था। गोसाईंजी ने जब यह समाचार सुने तब पहले तो कुछ दुविधा में पड़े, परंतु अंततः उन्होंने शोभजी को छोड़ देना ही उचित समझा। ऐसे व्यक्ति को जेल में रखने का उन्हें साहस नहीं हो सका।

कारागार से मुक्त होकर शोभजी आए तो बाजार में दर्शकों की भीड़ लग गई। जन-जन के मुख पर एक ही चर्चा थी "सांच को आज भी कोई आंच नहीं है।" लोह बंधन के इस प्रकार टूट जाने में कोई शोभजी की अनन्य भक्ति को कारणभूत बतला रहा था कोई स्वामीजी के प्रबल तपोबल को। वस्तुतः भगवत्ता के प्रत्येक चमत्कार को प्रस्फुटित होने के लिए शोभजी जैसी पूर्ण समर्पण की भूमि अपेक्षित रहती ही है। धर्म प्रभावना के उक्त चमत्कार पूर्ण वातावरण में अधिकांश लोग जहां प्रसन्न थे, वहां कुछ ऐसे भी थे जो मुंह लटकाए चिंतातुर बने सोच रहे थे कि यह सब क्यों और कैसे घटित हो गया? वे लोग कुछ देख सुन रहे थे, उस पर विश्वास नहीं कर पा रहे थे, परंतु जो प्रत्यक्ष था उसे नकारा भी तो नहीं जा सकता था।

*श्रावक शोभजी बाल्यकाल से ही अनन्य श्रद्धाशील और धार्मिक व्यक्ति थे। उनकी अद्वितीय धार्मिकता* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺

👉 अणुव्रत महासमिति असम संगठन यात्र
📍 बरपेटारोड में अणुव्रत समिति गठित
👉 अणुव्रत महासमिति असम संगठन यात्रा
📍 बंगाईगाँव वृहत्तर समाज द्वारा अणुव्रत समिति का गठन
👉 ETA गार्डन, बेंगलुरु: "आओ जीवन जीना सीखें" एक शिष्टाचार कार्यशाला का आयोजन
👉 उधना, सूरत - आध्यात्मिक मिलन
👉 जयपुर - दौसा जिला मुख्यालय पर गणवेश वितरण कार्यक्रम
📍17 चिन्हित विद्यालयों के 1284 विद्यार्थियों को स्वेटर, जूते, मोजे, नेलकटर आदि वितरित
👉 ईरोड: मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी आदि ठाणा-3 का "मंगलभावना समारोह" आयोजित
👉 कोयम्बत्तूर: तेरापंथ युवक परिषद द्वारा "जैन विद्या परीक्षा" का आयोजन
👉 बगुमुंडा (उड़ीसा) - तप अभिनंदन समारोह आयोजित
👉 सिलीगुड़ी - जैन संस्कार विधि द्वारा नामकरण
👉 राजसमंद - आखिर क्यों? कन्या सुरक्षा सेमिनार आयोजित

प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

News in Hindi

👉 अहिंसा यात्रा के बढ़ते कदम

👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "आबुझाटी" पधारेंगे

👉 आज का प्रवास - आबुझाटी

प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Share this page on:
Page glossary
Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
  1. आचार्य
  2. ज्ञान
  3. दर्शन
  4. भाव
  5. श्रमण
Page statistics
This page has been viewed 397 times.
© 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
Home
About
Contact us
Disclaimer
Social Networking

HN4U Deutsche Version
Today's Counter: