16.11.2017 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 16.11.2017
Updated: 19.11.2017

Update

🔹 *अणुव्रत महासिमिति*
द्वारा निर्देशित
*नवम्बर माह का प्रकल्प*

📍महासमिति के कार्यसमिति सदस्य स्वयं इस कार्य को स्वयं संपादित करके एवं अणुव्रत समितियों को प्रेरित कर सहभागी बनें।

📍स्थानीय समितियां इस मासिक प्रकल्प में सहभागिता हेतु प्रदत्त मूल्यांकन अंक प्राप्त करके अधिवेशन पर सम्मान का अवसर पाएं।

❕समिति मूल्यांकन विभाग❕
🔵 *अणुव्रत महासमिति*🔵

प्रस्तुति - *अणुव्रत सोशल मीडिया*

प्रसारक - तेरापंथ *संघ संवाद*

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👉 सूरत - अभातेमम अध्यक्ष संगठन यात्रा
📍 नए मे करे प्रवेश कार्यशाला का आयोजन
👉 पर्वत पाटिया, सूरत - अभातेमम अध्यक्ष संगठन यात्रा
👉 लिम्बायत, सूरत - अभातेमम अध्यक्ष संगठन यात्रा
👉 गांधीनगर, बेंगलुरु: तेरापंथ महिला मंडल द्वारा 4 सरकारी स्कूल में "निर्माण" प्रोजेक्ट के अंतर्गत कार्यक्रमों का आयोजन
👉 बारडोली - जैन संस्कार विधि के बढ़ते चरण
👉 सूरत - जैन संस्कार विधि के बढ़ते कदम
👉 कोटा - "निर्माण" एक नन्हा कदम स्वच्छता की और कार्यक्रम
👉 बड़ौदा - नए युग मे करे प्रवेश कार्यशाला का आयोजन
👉 जयपुर - जैन संस्कार विधि के बढ़ते कदम
👉 विजयनगर (बेंगलोर) - जीवन रक्षा संघ सुरक्षा कार्यक्रम
👉 राजाराजेश्वरीनगर (बेंगलोर) - तेरापंथ कन्यामंडल द्वारा सेवा कार्य
👉 सुजानगढ़: तेरापंथ महिला मंडल द्वारा "निर्माण - एक नन्हा कदम स्वच्छता की ओर" प्रोजेक्ट के अंतर्गत राजकीय कंदोई बालिका विद्यालय में कार्यक्रम का आयोजन

प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻

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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙

📝 *श्रंखला -- 199* 📝

*विमल विचारक आचार्य विमल*

*समय-संकेत*

'पउमचरिय' ग्रंथ का सर्वप्रथम उल्लेख कुवलयमाला में हुआ है। कुवलयमालाकार उद्द्योतनसूरि ने विमलाङ्ग (विमलसूरि) की प्राकृत को अमृत के समान मधुर माना है। कुवलयमाला में पउमचरिय नाम का उल्लेख नहीं है पर संकेत उस ओर ही किया गया है, ऐसा विद्वानों का अनुमान है। रचनाकार ने कुवलयमाला का रचनाकाल शक् संवत् 700 बताया है। इस आधार पर पउमचरिय ग्रंथ वीर निर्वाण 1305 (विक्रम सम्वत् 835, शक संवत् 700) से पूर्व का है।

आचार्य रविषेण का संस्कृत काव्य पद्मचरित ग्रंथ पउमचरिय का रूपांतर है। पद्मचरित ग्रंथ का रचनाकाल वीर निर्वाण 1203 (विक्रम सम्वत् 733) बताया गया है। इस आधार पर आचार्य विमल का काव्य इससे भी पूर्ववर्ती प्रमाणित होता है।

विमलसूरि ने ग्रंथ की प्रशस्ति में ग्रंथ का रचनाकाल वीर निर्वाण 530 बताया है। डॉ. हर्मन जेकोबी ने ग्रंथ का अंतः परीक्षण कर इसका रचनाकाल ईस्वी सन् तीसरी-चौथी शताब्दी सिद्ध किया है। डॉ. कीथ, डॉ. वूल्लर आदि पाश्चात्य विद्वान्, मुनि जिनविजयजी, स्व. डॉ. नेमिचंद्र शास्त्री, पं. परमानंद शास्त्री आदि जैन विद्वान्, डॉ. के. एच. आदि जैनेतर विद्वान् भी इस ग्रंथ को अर्वाचीन मानने के पक्ष में हैं। विमलसूरि द्वारा ग्रंथ की प्रशस्ति में प्रदत्त समय को सही न मानने में विद्वानों के ये मुख्य बिंदु हैं—

*(1)* विमलसूरि ने अपने को और अपने गुरु-परंपरा को नाइल कुल से संबंधित बताया है। नाइल कुल या नाइल शाखा का जन्म वज्रसेन के शिष्य परिवार से वीर निर्वाण 600 के लगभग हुआ था। इस शाखा में होने वाली कई पीढ़ियों के बाद विमलसूरि हुए। अतः विमलसूरि की ग्रंथ रचना का समय वीर निर्वाण 530 (विक्रम संवत 60, ईसा की प्रथम शताब्दी) किसी प्रकार संभव नहीं है। काव्य रचना की पूर्वावधि कम से कम वीर निर्वाण सातवीं शताब्दी के उत्तरार्ध तक पहुंच जाती है।

*(2)* परिष्कृत महाराष्ट्री प्राकृत में काव्य रचना होने के कारण पउमचरिय का काल ईस्वी सन् की दूसरी शताब्दी के बाद प्रमाणित होता है। भाषा शास्त्रियों की दृष्टि में महाराष्ट्री प्राकृत का परिमार्जित रूप इससे पहले नहीं था।

*(3)* उज्जयिनी नरेश सिंहोदर तथा उनके अधीनस्थ नरेश के साथ युद्ध का प्रसंग महाक्षत्रपों और गुप्त वंशी राजा कुमारगुप्त के बीच हुए संघर्ष का संकेत है। युद्ध का यह प्रकरण काव्य को ईस्वी सन् दूसरी शताब्दी के बाद का प्रमाणित करता है।

*(4)* कवि में ग्रीक भाषा के शब्दों का प्रयोग देखकर डॉ. हर्मन जेकोबी लिखते हैं—

"Perhaps of the..... 3rd century A.D."

अन्यत्र वे लिखते हैं—

"As it (the Paumchariya) gives a Lagna in which some planets are given under their Greek names, the book for example, must have been written after Greek astrology had been adopted by the Hindus, and that was not before the 3rd Century A.D. Therefore, unless the passage which contains the lagna is a later addition, the book itself may be placed in the 3rd Century A.D. or somewhat later."

उल्लेख में ग्रंथ रचना ईस्वी सन् तृतीय शताब्दी या उसके बाद की सिद्ध होती है

*आचार्य विमल के आचार्य-काल के समय-संकेतों से संबंधित थोड़ा और विस्तार* से समझेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

📙 *'नींव के पत्थर'* 📙

📝 *श्रंखला -- 23* 📝

*विजयचंदजी पटवा*

*दीपक जालाओ*

एक व्यक्ति ने पटवाजी से कहा— "तुमने यह कैसा मत ग्रहण किया है? सौ बार सिर खपाने पर भी इसका कोई मंतव्य समझ में नहीं आता।"

पटवाजी ने उसके मन में तेरापंथ के प्रति भरी हुई घृणा को पहचाना और समझाने की चेष्टा करते हुए बोले— "अंधेरा बहुत सघन होता है। कोई आदमी उसको सौ बार लाठी से पीटे तो भी वह हटाया नहीं जा सकता। परंतु यदि एक दीपक जला दिया जाए तो वह सहज ही दूर हो सकता है। वही बात मिथ्यात्व के अंधेरे के संबंध में भी कही जा सकती है। प्रकाश से जब तक घृणा रहेगी तब तक सौ-सौ प्रयास करने पर भी अंधेरा दूर नहीं होगा और कोई भी सम्यक् मंतव्य समझ में नहीं आएगा, परंतु यदि एक बार ज्ञान का दीपक जलाकर उसे समझना चाहोगे तो वह तत्काल समझ में आ जाएगा।

उपर्युक्त बात का उस व्यक्ति पर कितना और क्या प्रभाव हुआ, कहा नहीं जा सकता, परंतु यह तो स्पष्ट ज्ञात हो जाता है कि पटवाजी स्वामीजी के मंतव्यों को कितनी गहराई से जानते तथा कितनी अगाध श्रद्धा से देखते थे।

*लड़कियों के 'भरभोलिए'*

पटवाजी अपना मजाक करने वालों को उसी प्रकार के व्यंग से बराबर का उत्तर देने में भी बड़े निपुण थे। एक बार वे लोकाचार में गए। वहां से निवृत्त होकर वापस आते समय शुद्धि के लिए अन्य सभी लोगों के साथ वे भी तालाब पर स्नान करने को ठहरे। अन्य लोगों में प्रायः मूर्तिपूजक आम्राय के लोग ही अधिक थे। वे सभी तालाब में घुस कर स्नान करने लगे। पटवाजी ने नौकर के द्वारा पहले से ही वहां बाल्टी मंगवा ली थी। अतः उसमें पानी लेकर सूखे स्थान पर स्नान करने लगे। उन्हें सबसे पृथक् स्नान करते देखकर बावेचा गोत्र के एक भाई ने व्यंग करते हुए कहा— 'तुम "ढूंढियों" कि यह क्या पद्धति है? तालाब में घुसकर अच्छी तरह से स्नान न कर केवल एक बाल्टी पानी से शरीर गीला कर लेते हो। पाप का भय क्या तुम लोगों को ही लगता है और किसी को नहीं?

पटवाजी ने भी तब बराबर व्यंग कसते हुए कहा— “अपने आपको कितना ही ऊंचा और अच्छा क्यों न समझते रहो, परंतु तुम लोगों की दशा तो उन लड़कियों जैसी है जो 'होली' के दिनों में गोबर के भर भोलिए बनाती हैं और कल्पना करती हैं कि यह मेरा खोपरा है, यह नारियल है आदि। उनकी कल्पना मात्र से वह न खोपरा बनता है, न नारियल। वह तो गोबर का गोबर ही रहता है। तुम लोग भी वैसे ही मूर्ति में भगवान की कल्पना करते रहते हो। दया धर्म को समझने के लिए कल्पना के संसार में नहीं, वास्तविकता में रहना होता है।”

लोगों में से किसी एक ने बात का स्वाद लेते हुए कहा— “लो भाई! अब तुम्हारी बारी है, दो इस बात का उत्तर।” परंतु वहां उत्तर कहां था? सभी मुस्कुराकर मौन रह गए।

*विजयचंदजी पटवा के जीवन से जुड़ी कुछ और भी रोचक घटनाओं* का आनंद लेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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*17/11/17* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ लें
T+++++++++S++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी* के आज्ञानुवर्ति *मुनि श्री सुव्रत कुमार जी ठाणा २*का प्रवास

*PRASAN DUGAR*
KUNDALIA SADAN
NO.7/4-3 7TH CROSS LAXMI ROAD. *SANTINAGAR*
BANGALORE 560027
☎8105066401,9342536197
T++++++++++S+++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*Gherilal Ji Katariya*
Nakoda nivas
Gannagara Street
Pandavpura taluk
Mandya Dist
☎9964524973
,8792614459
T++++++++++S+++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* का प्रवास
*Jain terapanth bhawan*
Chitappa avenue
Rayapuram extn
*Tirupur -1*
☎ 8107033307,
T+++++++++S++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*डॉ. मुनि श्री अमृतकुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*वलाजावाद*
☎9500300212
T++++++++S+++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*Jain terapanth bhawan*
Chitappa avenue
Rayapuram extn
*Tirupur -1*

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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*महावीर जी धोका*
*वसन्तनगर* बैगलौर
☎8890788494,9844375544
T+++++++++S++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा ५* का प्रवास
*Amar Chand Ji Chajjer*
Payal palace apartment
Flat no. AB003
Next to total gas station
Opposite bansuri sweets,basveshwar nagar
☎7075252916
T+++++++++S++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री सत्यवती जी ठाणा 4* का प्रवास
*जैन मन्दिर*
*मनोहराबाद*
हैदराबाद- नागपुर रोड
☎9959037737
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*समता भवन*
168, G. A. ROAD Tondiairpet chennai.
☎ 9380752141,9884200325
T+++++++++S++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञाश्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*नौरतनमल डागा*
का निवास स्थान
४५, वैलायुदम रोड(VSV नगर)
मेहता स्कूल के पास,
*सिवाकासी*
☎91 9443327831
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धीश्री जी ठाणा 3* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*हिरियुर*
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री सुदर्शना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*सिंघनुर*
☎7230910977,8830043723
T++++++++S+++++++++++S
*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 7* का प्रवास
*मुल्लेहल्ली*
*हासनरोड*
☎7798028703
T+++++++++S++++++++++S

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प्रस्तुति:- 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

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👉 इस्लामपुर - "निर्माण" एक नन्हा कदम स्वच्छता की ओर
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👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ

प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन

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