05.12.2017 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 05.12.2017
Updated: 06.12.2017

Update

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*06/12/17* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द व समणी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ लें
T+++++++++Sb++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी* *के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री सुव्रत कुमार जी ठाणा* 2 का प्रवास
*Rangappa Home* *Parandapalli*
opposed Indian Bank
होसुर- कृष्णगिरी रोड
☎9443435633,9003789485
T++++++++++S+++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*महेन्द्र जी नाहर* के निवास स्थान
*इत्तगेगुड*
*मेसुर* (कर्नाटक)
☎9901135937,9448385582
T++++++++++S+++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* प्रवास
*K R R Mandapam*
Patvaythall पटवातले
Trichy roa Tamilnadu
☎ 8107033307,
T+++++++++S++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*डॉ. मुनि श्री अमृतकुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*जैन भवन*
*तिरूकलीकुन्ड्रम* (पक्षीतीर्थ)
☎9786805285,9443247152
(तमिलनाडु)
T++++++++S+++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*Rajesh Kumar baid*
27/585A Heera-Sadan
Near kuttiravattam Mental hospital
*Calicut*(केरला)
☎ 7200690967,9672039442 9447606040
T++++++++S+++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*इंद्रचन्द जी घर्मीचन्द जी घोका*
*होसकोटे* (कर्नाटक)
☎8890788494,9341248726
080-27931296
T+++++++++S++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा ५* का प्रवास
*Mitthalal ji Lalit kumar ji mandot*
Aasha No 12 2nd cross *Malleshwaram*
Bangalore
☎9341218130,9916378129
(कर्नाटक)
T+++++++++S++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री सत्यवती जी ठाणा 4* का प्रवास
*संगमहाल*
*बशापुर*
*हैदराबाद- नागपुर रोड*
(तेलंगाना)
☎9959037737
T+++++++++S++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*निर्मल जी विनोद जी बाँठिया*
Tulsi jewellers
No-203/515 k H Road
Chennai. 600057(तमिलनाडु)
☎9840069301,9884200325
9840124134
T+++++++++S++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञाश्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*V.S.S COMPLEX*
*सातुर- कोविलपट्टी रोड*
(तमिलनाडु)
☎ 9443327831,9443120339
T+++++++++S++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धीश्री जी ठाणा 3* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*हिरियुर* (कर्नाटक)
T++++++++++S+++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री सुदर्शना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*सिंघनुर*(कर्नाटक)
☎7230910977,8830043723
T++++++++S+++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 7* का प्रवास
*सूडंलली गाँव*
स्कूल मे
श्रवणबेलगोला - बैगलोर रोड (कर्नाटक)
☎7798028703
T+++++++++S++++++++++S

*आचार्य श्री महाश्रमणजी* *की सुशिष्या* *समणी निर्देशिका चारित्रप्रज्ञाजी* *एवं सहवर्तिनी समणीवृन्द का प्रवास*
*Shri Deepak Tatia*
*39, Ethiraj Lane*
*Egmore, Chennai -8*
*Street next to DLF*
T++++++++S+++++++++++S

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प्रस्तुति:- 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

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दिनांक 05-12-2017 का पूज्य प्रवर के आज के विहार और प्रवचन का संक्षिप्त विडियो..

प्रस्तुति - अमृतवाणी

सम्प्रेषण -👇
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 तेरापंथ *संघ संवाद* 🌻

👉 हिरियुर: तेयुप द्वारा "जैन संस्कार विधि" से सामूहिक जन्मोत्सव का आयोजन
👉 फरीदाबाद - नए युग मे करे प्रवेश कार्यशाला का आयोजन
👉 राजाजीनगर, बेंगलुरु: किशोर मंडल की "सामायिक कार्यशाला"
👉 बालोतरा - जैन संस्कार विधि के बढ़ते चरण
👉 केसिंगा (ओड़िशा) - जैन संस्कार विधि के बढते कदम
👉 जोधपुर - जैन संस्कार विधि के बढते चरण
👉 जाखल मंडी - जैन संस्कार विधि से सामूहिक जन्मोत्सव
👉 हिसार - आध्यात्मिक मिलन
👉 बल्लारी: तेयुप द्वारा "जैन संस्कार विधि" से सामूहिक जन्मोत्सव का आयोजन
👉 श्री डूंगरगढ़ - जैन संस्कार विधि से विवाह सम्पन्न
👉 राजाजीनगर, बेंगलुरु: तेरापंथ महिला मंडल द्वारा “कन्या मंडल शिष्टाचार कार्यशाला” का आयोजन
👉 अहमदाबाद - नए युग मे करे प्रवेश कार्यशाला का आयोजन

प्रस्तुति: 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻

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*पुज्यवर का प्रेरणा पाथेय*

👉 *खदानों के बीच गतिमान ज्योतिचरण पहुंचे तलमुछु*

👉 *-अपनी धवल सेना के साथ लगभग बारह किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री पहुंचे तलमुछु*

👉 *-तलमुछु स्थित अशोक बिल्डकाॅन आचार्यश्री के मंगल चरण से हुआ पावन*

👉 *-समय का मूल्यांकन कर समय का सदुपयोग करने का हो प्रयास: आचार्यश्री महाश्रमण*

👉 *-सम्मेद शिखरजी में दर्शन करने वाले उग्रविहारी मुनि कमलकुमारजी व संतों ने दी भावाभिव्यक्ति*

👉 *-आचार्यश्री ने धर्म प्रभावना करने का प्रदान किया आशीर्वाद*

दिनांक - 5-12-2017

प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*

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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙

📝 *श्रंखला -- 213* 📝

*सरस्वती-कंठाभरण आचार्य सिद्धसेन*

गतांक से आगे...

चित्रकूट में सिद्धसेन ने विविध औषधियों के चूर्ण से बना एक स्तंभ देखा। प्रतिपक्षी औषधियों का प्रयोग कर आचार्य सिद्धसेन ने उसमें एक छेद कर डाला। स्तंभ में हजारों पुस्तकें थीं। अत्यधिक प्रयत्न करने पर भी आचार्य सिद्धसेन को उस छेद में से एक पुस्तक के प्रथम पृष्ठ के पठन से सर्षप विद्या (सैन्य सर्जन विद्या) और स्वर्ण सिद्धि विद्या यह दो विद्याएं उपलब्ध हुईं।

सर्षप विद्या के प्रभाव से मांत्रिक द्वारा जलाशय में प्रक्षिप्त सर्षप कणों के अनुपात में चौबीस प्रकार के उपकरण सहित सैनिक निकलते थे और प्रतिद्वंदी को पराभूत कर वे पुनः जल में अदृश्य हो जाते थे।

स्वर्ण सिद्धि विद्या के द्वारा मांत्रिक किसी भी प्रकार की धातु को सहजतः स्वर्ण में परिवर्तित कर सकता था।

इन दो विशिष्ट विद्याओं की प्राप्ति से आचार्य सिद्धसेन के मन में उत्सुकता बढ़ी। वे पूरी पुस्तक को पढ़ना चाहते थे पर देवी ने आकर उनसे पुस्तक को छीन लिया और उनकी मनोकामना पूर्ण नहीं हो सकी।

आचार्य सिद्धसेन भ्रमण प्रिय आचार्य थे। वे चित्रकूट की पूर्व दिशा की ओर बढ़े। अनेक ग्राम देशों में विहरण करते हुए पूर्व में कूर्मारदेश में पहुंचे। कूर्मारदेश का शासक देवपाल था। आचार्य सिद्धसेन से बोध प्राप्त कर वह उनका भक्त बन गया। देवपाल की राजसभा में नित्य नवीन एवं मधुर गोष्ठियां होतीं थीं। आचार्य सिद्धसेन के योग से उन गोष्ठियों की सरसता अधिक बढ़ जाती थी। राजसम्मान प्राप्त कर सिद्धसेन का मन उस वातावरण से मुग्ध हो गया और वे वहीं रहने लगे। राजा देवपाल के सामने पर चक्र का भय उपस्थित हुआ।

कामरूप (असम) देश के विजयवर्मन नरेश ने सैन्य दल के साथ कुर्मारदेश पर आक्रमण किया। नरेश देवपाल के सैन्य दल का इनके सामने टिकना कठिन था। आचार्य सिद्धसेन के सामने नरेश देवपाल ने अपनी दुर्बलता को प्रकट किया और कहा "गुरुदेव! अब आपका ही आश्रय है।" चिंतित नरेश देवपाल को धैर्य बंधाते हुए आचार्य सिद्धसेन बोले "राजन्! चिंता मत करो। जिसका मैं सखा हूँ, विजयश्री उसकी है।" सिद्धसेन से सांत्वना प्राप्त कर देवपाल को प्रसन्नता हुई। प्रतिद्वंदी को पराभूत करने में नरेश को आचार्य सिद्धसेन से पर्याप्त सहयोग प्राप्त हुआ। युद्ध की संकटकालीन स्थिति में आचार्य सिद्धसेन ने सुवर्ण सिद्धि योग नामक विद्या से पर्याप्त परिमाण में अर्थ को निष्पन्न कर तथा सर्षप मंत्र के प्रयोग (सैन्य सर्जन विद्या) से विशाल संख्या में सैनिक समूह की रचना कर देवपाल को समर्थ और शक्ति संपन्न बनाया। युद्ध में देवपाल की विजय हुई।

*देवपाल की विजयोपरांत क्या हुआ...?* जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

📙 *'नींव के पत्थर'* 📙

📝 *श्रंखला -- 37* 📝

*भैंरूंदासजी चण्डालिया*

*श्रद्धा रम गई*

भैरूंदासजी चण्डालिया भीलवाड़ा के रहने वाले थे। आर्थिक दृष्टि से बहुत संपन्न व्यक्ति थे। उन्होंने अपने व्यय से वहां एक स्थानक भी बनवाया था। वे प्रमुख श्रावकों में गिने जाते थे। सम्वत् 1856 में वे किसी कार्यवश नाथद्वारा गए। उनके साथ तीन अन्य भाई भी थे। वे कई दिनों तक वहां ठहरे। स्वामीजी भी उन दिनों नाथद्वारा में वायु विकार के कारण से विराज रहे थे। लगभग तेरह महीनों तक लगातार उन्हें वहां रहना और उपचार कराना पड़ा। भैरूंदासजी आदि चारों व्यक्ति वहां स्वामीजी के संपर्क में आए। निरंतर कई दिनों तक तत्त्व चर्चा करने के पश्चात उन सभी ने एक साथ गुरु धारणा कर ली। स्वामीजी की श्रद्धा उनके हृदय में ऐसी जमी कि वे भीलवाड़ा के प्रथम और प्रमुख श्रावक कहलाए।

*मौन और आक्रोश*

अगली वर्ष स्वामीजी का भीलवाड़ा में पदार्पण हुआ। भैरूंदासजी आदि श्रद्धालु व्यक्तियों के लिए वह स्वर्ण अवसर था। व्याख्यान में खूब जनता उपस्थित होती। रात्रिकालीन व्याख्यान में तो और भी अधिक लोग आते। एक दिन स्वामीजी ने व्याख्यान में 'तुमे जोइज्यो अन्धारो भेख में' इस ढाल का एक पद्य कहा। उस पर विरोधी पक्ष के लोगों ने बहुत हो हल्ला मचाया। उन्होंने स्वामीजी को तीर्थंकरों की आण दिलाते हुए कहा— 'आपने यह गाथा किसको लक्ष्य में लेकर कही है, उसका नाम बतलाओ। जब तक यह नाम नहीं खोल देंगे तब तक यहां से विहार नहीं कर पाएंगे।'

स्वामीजी समुच्चय रूप से साधु के कल्प-अकल्प की बात बतलाया करते थे। किसी का व्यक्तिगत नाम लेकर खंडन-मंडन करने की उनकी पद्धति नहीं थी। वे उसे अच्छा भी नहीं समझते थे। इसीलिए बार-बार दबाव देने पर उन्होंने यही कहा कि मैं जो कल्प्य-अकल्प्य की शास्त्र सम्मत सीमाएं बतला रहा हूं, उन्हें समझने का प्रयास करो। कौन क्या अकल्प्य कर रहा है यह बतलाना मेरा काम नहीं। तुम लोगों को यदि इसी की जिज्ञासा है तो अपने-अपने घर को स्वयं संभालो, मुझे मत पूछो। स्वामीजी द्वारा इतना स्पष्ट कह देने पर भी वे लोग नाम पूछने के आग्रह पर अड़े रहे।

स्वामीजी ने उनको झगड़ा करने पर उतारू देखा तब आगे कुछ न बोलने में ही हित समझा। वे बिल्कुल मौन हो गए। वे लोग फिर भी नाम बतलाने का दबाव देते हुए हल्ला मचाते रहे और आक्रोश युक्त अपशब्द बोलते रहे। हो हल्ला मचाने वालों में प्रमुख रूप से नागोरी भाई थे। उनमें भी धनराजजी नागोरी ने तो बहुत ही ऊंची-नीची बातें कहीं। स्वामीजी फिर भी नहीं बोले। तब वे खीझकर कहने लगे— 'अब देवालय की प्रतिमा बन कर बैठ गए हो, वापस बोलकर उत्तर क्यों नहीं देते?' परंतु स्वामीजी नहीं बोले तो नहीं बोले। उस समय स्वामीजी का मौन और नागोरीजी का आक्रोश सबके लिए चर्चा का विषय बन गया।

*प्रधानमंत्री का उपालंभ*

संयोगवश उसी दिन महाराणा के दीवान शिवदासजी गांधी राजकीय कार्यवश वहां आए हुए थे। उन तक भी सारी बात पहुंची। उन्होंने धनराजजी नागोरी के पास उपालंभ भेजा और कहलवाया कि तुम संत भीखणजी के सम्मुख इतने अयुक्त बोले क्या यह उपयुक्त था? वे तो संत पुरुष हैं। उनसे झगड़ने में कौन सी वीरता है? यदि लड़ाई करने का ही तुम्हारा मन हो तो अपने देश में शत्रु सेना घुस आई है उसके सम्मुख जाकर लड़ो न। दीवान के उस उपालंभ ने विरोधियों के साहस को तोड़ डाला। स्वामीजी के प्रति उनके इस अतिशय श्रद्धाभाव ने उन सभी को चकित कर दिया।

*भैरूंदासजी के मन पर इस घटनाक्रम का क्या असर हुआ...?* पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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News in Hindi

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*आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत प्रवचन का विडियो:

👉 *विषय - देह और विदेह भाग - 2*

👉 *खुद सुने व अन्यों को सुनायें*

*- Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482

संप्रेषक: 🌻 तेरापंथ *संघ संवाद* 🌻

*प्रेक्षाध्यान जिज्ञासा समाधान श्रृंखला*

उद्देश्य - साधकों के मन में उठने वाली जिज्ञासाओं का समाधान ।

*स्वयं प्रेक्षा ध्यान प्रयोग से लाभान्वित हो व अन्यो को भी लाभान्वित करे ।*

🙏🏼
*प्रेक्षा फाउंडेशन*

प्रसारक - तेरापंथ *संघ संवाद*

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👉 *"अहिंसा यात्रा"*के बढ़ते कदम

👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "तल्मुछू" पधारेंगे

👉 आज का प्रवास - *तल्मुछू*

दिनांक: 05/12/2017

प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*

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