15.12.2017 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 15.12.2017
Updated: 17.12.2017

Update

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*16/12/17* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द व समणी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ लें
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी* *के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री सुव्रत कुमार जी ठाणा* 2 का प्रवास
*Govt.Girls school*
near petrol station
*Natrampalli*(कृष्णगीरी-गुडियातम रोड) (तमीलनाडु)
☎9003789485,9366111160
9443235611
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*हनुमान जी मन्दिर*
*होसारामनली*
K.R Nager Road
(कर्नाटक)
☎9901135937,9448385582
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* का प्रवास
*Lady of Fatima Enclave*. *Singipaati*.
*तिरची तंजावुर रोड (तमिलनाडु* 620017)
☎ 8107033307
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*डॉ. मुनि श्री अमृतकुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*जैन भवन*
*तिरूकलीकुन्ड्रम* (पक्षीतीर्थ),(तमिलनाडु)
☎9786805285,9443247152
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*Sevati Appointment*
Near Jalaram Mandir
Gujarati Street,South Beach Road
*Calicut*(केरला)
☎9672039432,9447606040
9847303267
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*आनंद जी बाठिया*
*भिक्षु सदन*
गणेश होस्पीटल के आगे
गोरीपेट *कोलार* (कर्नाटक)
☎8890788494,9845280407
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा ५* का प्रवास
*Laxmi Chand ji Bhandari*
Flat No 204 2nd Floor
Pushpanjali Apartment 1st Cross Next To Canara Bank *Chamrajpet* Bangalore 18
☎9844002852,9620710283
26601319,9916378129
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री सत्यवती जी ठाणा 4* का प्रवास
*सीतागोड़ी* सरकारी स्कुल से विहार करके *मवाला* सरकारी स्कूल पधारेगे
*हैदराबाद- नागपुर रोड* (तेलंगाना)
☎9959037737
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ सभा भवन*
*मिंजुर* (तमिलनाडु)
☎9444726501,9884200325
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञाश्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*Arbid Gest House*
कोविलपट्टी- तिरुनेलवेली हाइवे *. *शंकरनगर* (तमिलनाडु)
☎ 9443031462,9443120339
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धीश्री जी ठाणा 3* का प्रवास
डी- फैब्रि इंडिया प्रिमिसिस से विहार कर *डुंगरचंदजी सालेचा* के फार्महाउस पधारेंगे
*हिरियुर* (कर्नाटक)
☎9601420513
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री सुदर्शना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*सिंघनुर*(कर्नाटक)
☎7230910977,8830043723
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 7* का प्रवास
*गोदीहली गाँव* मारूति भवन
श्रवणबेलगोला - बैगलोर रोड (कर्नाटक)
☎7798028703
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*आचार्य श्री महाश्रमणजी* *की सुशिष्या* *समणी निर्देशिका चारित्रप्रज्ञाजी* *एवं सहवर्तिनी समणीवृन्द का प्रवास*
*BHAWARLAL MARLECHA*
T.V ROAD, NEAR SHRI MITHAI
*CHETPET* *CHENNAI - 600031*
*☎: 9840092161, 28362162*
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प्रस्तुति:- 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

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Update

*पुज्यवर का प्रेरणा पाथेय*

👉 *शांति का संदेश देने चाण्डिल पहुंचे शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण* 🌸

👉 *-झारखण्ड पुनरागमन के दूसरे दिन आचार्यश्री ने किया लगभग 12 किमी विहार*

👉 *-चाण्डिल स्थित राज्य सम्पोषित+2 उच्च विद्यालय आचार्यश्री चरणरज से हुआ पावन*

👉 *-आचार्यश्री ने तिर्यंच गति में जाने के चार कारणों को किया विश्लेषित, बचने की दी पावन प्रेरणा*

👉 *-उपस्थित ग्रामीणों ने महातपस्वी से स्वीकारे अहिंसा यात्रा की संकल्पत्रयी*

दिनांक - 15-12-2017

प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*

Source: © Facebook

Update

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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙

📝 *श्रंखला -- 220* 📝

*सरस्वती-कंठाभरण आचार्य सिद्धसेन*

*साहित्य*

साहित्य के क्षेत्र में आचार्य सिद्धसेन का अवदान अनुपम था। उन्हें आगमिक तथ्यों को तर्क की भूमिका पर प्रतिष्ठित करने का श्रेय है। वे जैन न्याय के प्राण प्रतिष्ठापक थे। वे दिग्गज विद्वान्, धर्मकीर्ति, दिङ्नाग और वसुबंधु के प्रतिद्वंदी थे।

आचार्य सिद्धसेन में आस्था एवं तर्क का अपूर्व समन्वय था। वे मौलिक चिंतन के धनी, स्वतंत्र विचारक एवं नवीन युग के प्रवर्तक थे तथा महान् स्तुतिकार थे। उन्होंने चिंतन प्रधान मौलिक दार्शनिक ग्रंथों की रचना की। उनके ग्रंथों का परिचय इस प्रकार है—

*बत्तीस द्वात्रिंशिकाएं* आचार्य सिद्धसेन ने द्वात्रिंशत् द्वात्रिंशिकाओं की रचना की। इनमें इक्कीस द्वात्रिंशिकाएं उपलब्ध हैं। उपलब्ध द्वात्रिंशिकाओं में प्रथम छह द्वात्रिंशिकाएं स्तुतिमय हैं। इन स्तुतियों में भगवान् महावीर के प्रति उनकी अगाध श्रद्धा के दर्शन होते हैं।

अवशिष्ट द्वात्रिंशिकाओं में विविध विषयों का वर्णन मिलता है। जैनेतर दर्शनों को समझने के लिए 13वीं, 14वीं, 15वीं, 16वीं द्वात्रिंशिकाएं उपयोगी हैं। इनमें क्रमशः सांख्य, वैशेषिक, बौद्ध एवं नियतिवाद की चर्चा है। जैन तत्त्व दर्शन को समझने के लिए 19वीं द्वात्रिंशिका विपुल सामग्री प्रदान करती है। आत्म स्वरूप एवं मुक्ति मार्ग का बोध 20वीं द्वात्रिंशिका में है। प्रथम पांच द्वात्रिंशिकाओं की भांति 21वीं द्वात्रिंशिका भी स्तुतिमय है। ये द्वात्रिंशिकाएं अपूर्व हैं, गूढ़ हैं और गंभीरार्थक हैं। इनमें जैन, बौद्ध, वैदिक सभी दार्शनिक तत्त्वों की चर्चाएं हैं। ये पद्यमयी हैं। इनकी भाषाशैली गहन एवं गंभीर है। इनकी रचनाओं में उन्होंने अनुष्टुप, उपजाति, पृथ्वी, आर्या, वसंततिलका, शिखरिणी, मंदाक्रांता, शालिनी आदि विविध छंदों का उपयोग किया है। इन द्वात्रिंशिकाओं पर किसी भी समर्थ विद्वान् ने टीका नहीं लिखी। आचार्य हरिभद्र ने षड्दर्शन समुच्चय, आचार्य हेमचंद्र के अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका, अयोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका तथा प्रमाणमीमांसा पर सिद्धसेन की द्वात्रिंशिकाओं का प्रभाव स्पष्ट परिलक्षित होता है। आचार्य यशोविजयजी के न्याय ग्रंथों पर सन्मतितर्क और इन द्वात्रिंशिकाओं की छाया है।

*आचार्य सिद्धसेन द्वारा रचित साहित्य सन्मतितर्क और न्यायावतार* के बारे में संक्षेप में जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

📙 *'नींव के पत्थर'* 📙

📝 *श्रंखला -- 44* 📝

*गुमानजी लुणावत*

*तत्त्व जिज्ञासु*

गुमानजी लुणावत पीपाड़ के निवासी थे। वे अत्यंत धार्मिक तथा तत्त्व जिज्ञासु श्रावक थे। स्वामीजी के प्रति उनकी अटूट निष्ठा थी। वे बहुधा स्वामीजी के ग्रंथों का परायण करते रहते थे। उससे जहां उनकी तत्त्व जिज्ञासा को तृप्ति मिलती, वहां अधिकाधिक गंभीरता तक पैठने की क्षमता भी विकसित होती थी।

*प्रथम ग्रंथ-धारक*

धीरे धीरे उनके मन में यह बात उभरी कि क्यों न अपने स्वाध्याय के लिए स्वामीजी के सभी ग्रंथों का संग्रह कर लिया जाए। साधारण होते हुए भी उस कार्य में कुछ कठिनाइयां थीं। स्वामीजी अपनी किसी भी कृति को प्रतिलिपि के लिए प्रदान नहीं करते थे। फलतः गुमानजी के सम्मुख एक ही मार्ग था कि वे स्वामीजी के सभी ग्रंथों को कंठस्थ करें और फिर उनको पत्रारूढ़ करें। चाह हो तो राह मिलने में कोई कठिनाई नहीं होती। उन्होंने अपना कार्य प्रारंभ कर दिया। वे थोड़ा-थोड़ा कंठस्थ करते और फिर बाहर जाकर तत्काल ही उसे लिख लेते। इस क्रम में उन्होंने स्वामीजी के सभी ग्रंथों को लिख लिया। गुमानजी के परिश्रम ने उन ग्रंथों को औरों के लिए सुलभ बना दिया।

श्रावक गुमानजी की सहज भाव से की गई उस लिपि प्रवृत्ति ने आगे चलकर तेरापंथ में एक परंपरा का रूप ग्रहण कर लिया। साधुओं द्वारा लिखित किसी भी ग्रंथ आदि को श्रावक द्वारा स्वल्पकाल के लिए कंठस्थ कर लिख लेने की वह पद्धति कालांतर में 'धारणा-पद्धति' के नाम से प्रचलित हुई। पूर्ण रुप से कंठस्थ करने की क्रिया से कुछ समय के लिए कंठस्थ करने की क्रिया का पार्थक्य दिखाने के लिए 'धारणा' या 'धारण करना' शब्द काम में आने लगा।

*विश्वासी श्रावक*

गुमानजी स्वामीजी के विश्वस्त श्रावकों में से एक थे। स्वामीजी की दृष्टि को भांपने में वे बहुत निपुण थे। शासन की हितैषिता उनकी भावना में परिपूर्ण भरी हुई थी। एक बार स्वामीजी ने मुनि वेणीरामजी को तीन बार पुकारा। वे थोड़ी दूर पर ही थे फिर भी बोले नहीं। वस्तुतः उन्होंने सुना ही नहीं था। स्वामीजी ने समझा कि वह जानबूझकर नहीं बोल रहा है। श्रावक गुमानजी उस समय स्वामीजी की सेवा में बैठे हुए थे। उनसे स्वामीजी ने कहा— 'क्या बात है, वेणा संघ में रहना नहीं चाहता है क्या?'

श्रावक गुमान जी ने तब मुनि वेणीरामजी के पास जाकर उन्हें चेताया। मुनिश्री ने स्वामीजी के पास आकर नहीं सुनने के कारण हुए अविनय के लिए क्षमा मांगी और आगे के लिए सावधानी बरतने का निर्णय व्यक्त किया।

स्वामीजी ने गुमानजी के सम्मुख ऐसी बात इसलिए कही थी कि विश्वसनीय व्यक्ति के सम्मुख कही गई बात से गुण की निष्पत्ति ही संभव होती है, अवगुण की नहीं।

*जागरूक श्रावक मनजी पोरवाल के प्रेरणादायी व्यक्तित्व* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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News in Hindi

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👉 *"अहिंसा यात्रा"* के बढ़ते कदम

👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "चाण्डिल" पधारेंगे

👉 आज का प्रवास - राज्य सम्पोषित+2 उच्च विद्यालय, चाण्डिल, जिला - सरायकेला (झारखण्ड)

दिनांक: 15/12/2017

प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*

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