🌸 आदमी शांतिमान और शक्तिमान बनने का करे प्रयास: आचार्यश्री महाश्रमण 🌸
-ग्रामीणों व विद्यार्थियों ने स्वीकार किए अहिंसा यात्रा के संकल्प
25.12.2017 पडिया, मयूरभंज (ओडिशा)ः शांतिदूत, महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी धवल सेना व अहिंसा यात्रा के साथ ओडिशा के धरा को सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की त्रिवेणी से अभिसिंचित करते हुए गतिमान हैं। ओडिशा की धरा को ज्ञानगंगा से अभिसिंचन प्रदान कर सद्भावपूर्ण जीवन जीने, जीवन में नैतिकता का विकास करने और नशामुक्तता की दिशा में आगे बढ़ने की पावन प्रेरणा प्रदान कर रहे हैं।
सोमवार को आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ हटबदरा से पडिया के लिए विहार किया। इस मार्ग में आने वाले विभिन्न गांवों के ग्रामीणों ने आचार्यश्री को नतसिर वंदन किया तो आचार्यश्री ने सभी को अपने आशीर्वाद से अभिसिंचित कर गंतव्य की ओर बढ़ चले। लगभग नौ किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री पडिया स्थित पडिया उच्च प्राथमिक विद्यालय के प्रांगण में पधारे तो उपस्थित विद्यार्थियों व ग्रामीणों ने आचार्यश्री का भावभीना स्वागत-अभिनन्दन किया।
उपस्थित विद्यार्थियों व ग्रामीणों श्रद्धालुओं को आचार्यश्री ने अपनी अमृतवाणी से रसपान कराते हुए कहा कि दुनिया में शांति और शक्ति का बहुत महत्त्च है। आदमी अपने जीवन में शांति की अपेक्षा रखता है तो शक्ति की भी अपेक्षा रखता है। शांति और शक्ति मानों एक दूसरे के पूरक हैं। एक-दूसरे के बिना दोनों अधूरे हैं। जो आदमी शक्तिमान हो उसे शांति रखने का प्रयास करना चाहिए। शांतिप्रिय व्यक्ति को शक्ति भी रखनी चाहिए। इस दुनिया में जितने भी सर्वज्ञ हुए, सभी के का आधार शांति रहा है। शांति रखने का अर्थ है कि आदमी गुस्सा, मान, माया व लोभ से दूर रहना। इन सभी से मुक्त रहने वाला आदमी अनंत शांति को प्राप्त कर सकता है।
आदमी यदि अपने जीवन में शांति चाहिए तो उसे दूसरों के जीवन में शांति लाने का प्रयास करना चाहिए। आदमी दूसरों को कष्ट देकर अथवा दुःख देकर अशांति करने का प्रयास करता है, वह स्वयं के लिए भी अशांति उत्पन्न कर लेता है। शांति प्राप्ति के लिए आदमी को झूठ, हिंसा, चोरी आदि से बचने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को स्वयं की शांति प्राप्ति के लिए दूसरों को शांति पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए। आदमी किसी पर उपकार करता है तो दूसरा भी कभी उस पर उपकार कर सकता है।
हिंसा से दुःख पैदा होता है और अहिंसा से सुख पैदा होता है। इसलिए आदमी अपने जीवन में अहिंसा को बनाए रखने का प्रयास करे तो उसे शांति की प्राप्ति भी हो सकती है। आदमी को हिंसा के द्वारा अशांति फैलाने से बचने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को शक्तिमान भी होना चाहिए। शक्ति से भी आदमी किसी को शांति प्रदान कर सके, उपकार कर सके, किसी की सेवा कर सके तो जीवन में शक्ति के साथ शांति का प्रभाव रह सकता है। आदमी में आत्मबल की शक्ति और पुरुषार्थ की शक्ति को रखने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को अपनी आत्मा में शांति रखने का प्रयास करना चाहिए। राग-द्वेष से मुक्त होकर आदमी अपनी आत्मा में शांति रखने का प्रयास करे और शक्ति के द्वारा अच्छा कार्य करने का प्रयास करे तो जीवन अच्छा बन सकता है।
आचार्यश्री ने उपस्थित ग्रामीणों, विद्यार्थियों को अहिंसा यात्रा की अवगति प्रदान कर अहिंसा यात्रा की संकल्पत्रयी स्वीकार कराई। पडिया उच्च प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक श्री परिक्षित बेहरा ने आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावाभिव्यक्ति दी और आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। जाजपुर महिला मंडल की सदस्याओं ने गीत का संगान कर आचार्यश्री की अभ्यर्थना की। श्री पदमचंद सेठिया ने भी आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावाभिव्यक्ति दी और आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया।
🙏संप्रसारक🙏
जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा
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