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#शंका_समाधान • #MuniPramanSagar
१. मंदिर जी में बिना धुली द्रव्य / सामग्री तो कभी भी नहीं चढ़ानी चाहिए! late पहुंचने या किसी और वजह से अगर धुली द्रव्य / सामग्री नहीं चढ़ा पाए तो अपनी बिना धुली द्रव्य / सामग्री को मंदिर जी में द्रव्य पात्र में डाल कर पश्चाताप के रूप में उस दिन एक रस का त्याग करिये और आगे से कोशिश करे की समय पर पहुँच कर केवल धुली द्रव्य / सामग्री ही चढ़ाएं!
२. साधू का दिगम्बरत्व रूप साधना का एक उत्कृष्ट रूप है, विकार, दुर्बलता रहित है!
" चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री १०८ शांति सागर जी महाराज " ने एक बार जब हैदराबाद (जहाँ मुसलमान शासन था) की तरफ विहार किया तब वहाँ के निजाम ने आचार्य श्री की चर्या सुनकर अपनी बेगमों के साथ उनकी आरती उतारी! और कुछ लोगों के आपत्ति करने पर निजाम ने जो उत्तर दिया वो इतिहास बन गया! उन्होंने कहा की - " हमारे देश में नंगों पर प्रतिबन्ध है, फरिश्तों पर नहीं और ये एक फ़रिश्ते हैं "!
३. माँ बाप अगर अपनी संतान के आगे हाथ जोड़े तो ये संतान के धर्म की वजह से होना चाहिए! इसके उलट, माँ बाप अगर अपनी संतान के आगे अगर उनके अधर्म की वजह से हाथ जोड़ रहे हैं तो ऐसे बच्चों का जीवन व्यर्थ है!
४. नकारात्मक सोच, तत्व ज्ञान का अभाव, अंध विश्वास व्यक्ति का मनोबल तोड़ते हैं! इसके लिए साधू जन, महान लोगो के बीच रहे, तत्व का अभ्यास करे!
५. शास्त्रानुसार विवाह सामने वाले का कुल, रूप, सनाथता, व्यय, गुण, शील को देखकर करना चाहिए!
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मंदिर के कार्यभार को भार न समझें आभार समझें - आचार्य श्री विद्यासागर जी
आचार्य श्री ने कहा की चंद्रगिरी के मंदिर का निर्माण कार्य प्रगति पर है और डोम का निर्माण भी काफी मेहनत और विवेकपूर्ण तरीके से किया गया है| हमने पहले चंद्रगिरी में चातुर्मास किया फिर यहाँ से विहार कर जगदलपुर गए थे जहाँ बुंदेलखंड के काफी लोग मिले पहले यह मध्य प्रदेश का ही एक हिस्सा था परन्तु विभाजन उपरांत आज छत्तीसगढ़ में है यह क्षेत्र हरियाली और खनिजों से संपन्न है यहाँ के लोग खेती का कार्य ज्यादा करते हैं और काफी घने जंगल होने के कारण लोग दिन में भी जाने से वहाँ डरते हैं वहाँ आने और जाने का रास्ता भी एक ही है फिर भी वहाँ के लोगों की भक्ति प्रसंसनीय है | रामटेक से हम डोंगरगांव पंच कल्याणक महोत्सव के लिए आये थे तो दुसरे दिन ही जगदलपुर की कमेटी के द्वारा वही सारी की सारी चर्चा कर पंच कल्याणक की घोषणा हो गयी और संघ के पांच मुनिराजों के द्वारा वहाँ का पंच कल्याणक भी सानंद संपन्न हो गया | यह क्षेत्र एक तरफ उड़ीसा, एक तरफ मध्य प्रदेश और कुछ दूरी पर आन्ध्र प्रदेश लगा हुआ है जिससे आस पास के लोगों ने भी वहाँ इस महोत्सव से धर्म लाभ लिया | हमारा चंद्रगिरी आने का प्रोग्राम नहीं था लेकिन आ गए और योग से बहुत से कार्यों की शुरुवात हो गयी | यहाँ की कमेटी के प्रबंधकों ने जो बीड़ा अपने कन्धों पर उठाया है उसे वे भार न समझें आभार समझें और सहर्ष स्वीकारें यह अवसर हर किसी को नहीं मिलता इसके लिए तन, मन और धन से आपको सहयोग करना होगा तब जाकर यह कार्य पूर्ण होगा | कार्य की शुरुवात तो अच्छी हो गयी है अब इसे पूर्ण कराना आपका कर्त्तव्य है इसलिए यहाँ के कार्य को दो भागों में विभाजित किया गया है जिससे दोनों कार्यों की गति में प्रभाव न पड़े | आप लोग सब एक सांथ ही हो, सभी कार्य एक दुसरे के सहयोग से ही संभव हो पाता है | हमने कई रंगों के फूल देखे हैं लाल, नीला, सफ़ेद लेकिन आज चंद्रगिरी में हल्दी सम पीले रंग का फूल पहली बार देखा है वो भी बिजोलिये पाषाण का जो की अपने आप में एक अद्भुत कलाकृति है जिसे आने वाले समय में आप लोग देखेंगे तो आपको बहुत अच्छा लगेगा और यह अँधेरे में भी चमकेगा जिससे इसकी सुन्दरता और बढ़ जायेगी | चंद्रगिरी की कमेटी के प्रबंधकों ने तन, मन और धन से मेहनत कर इस कार्य को यहाँ तक लाया है जो प्रशंसनीय है |
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