16.01.2018 ►TSS ►Terapanth Sangh Samvad News

Published: 16.01.2018
Updated: 18.01.2018

Update

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*17/01/18* दक्षिण भारत मे मुनि वृन्द, साध्वी वृन्द का सम्भावित विहार/ प्रवास
दर्शन सेवा का लाभ लें
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री धर्मरूचि जी ठाणा 4* का प्रवास
*AINADA TO RAJULATAVALASA* विहार 18 km
☎8890269128,9884901680
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी* *के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री सुव्रत कुमार जी ठाणा* 2 का प्रवास *Shree Jain Swetamber Terapanth sabha*
No 5 Thalayattam Bazzar
Near police station *Gudiyattam* Tamilnadu
☎9003789485,9150179971
9488921371
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*किरणचन्द जी सुकलेचा के निवास स्थान हुँसुर* (कर्नाटक)
☎9448385582
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य*
*मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3* का प्रवास
*N.S.K. NADAR* *SANGLIKUPPAM* (तमीलनाडु)
☎8107033307,
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य डॉ *मुनि श्री अमृत कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
*श्रीराम स्कूल*
*ओमन्दुर* (तमिलनाडु)
☎9786805285,9566296874
9344656645,
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा २* का प्रवास
*Ummed ji Ranjeet Ji Bhandari*
Chandrathil Road
*Ernakulam Outer* (केरला) ☎9672039432,9246998909
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री विद्यावती जी 'द्वितिय' ठाणा ५* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*KGF* (कर्नाटक)
☎8890788495
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या "शासन श्री" साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4* का प्रवास
*कराजड़ा स्कूल से 13 km का विहार करके श्रीकाकुलम आऊटर कोटा रोड जंक्शन नियर - बाईपास गेस्ट हाऊस मे पधारेगे*
Bhubaneswar se Visakhapatnam highway
☎7297958479,9025434777
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा ५* का प्रवास
https://maps.google.com/?q=12.956870,77.558029
*Rajanji vikramji rishabji sethiya*
Sethiya nivas 23/1 5th main 9 cross n 10cross *Chamrajpet Bangalore*
☎9845120940,9448767555
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री काव्यलता जी ठाणा 4* का प्रवास
*North Town Apartment*
Binny Mill Villa No 10
*Chennai*
☎9962649649,9380361000
9841036201
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री प्रज्ञाश्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*जैन भवन*
114/48, Big Street (Periya Teru),
*Vadivishwaram,Nagercoil*
(तमिलनाडु)
☎9629840537
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री सुदर्शना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
*तेरापंथ भवन*
*बल्लारी* (कर्नाटक)
☎7230910977,8830043723
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
*तेरापंथ सभा भवन*
*हासन*
☎9601420513,
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*आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मघुस्मिता जी ठाणा 7* का प्रवास
*पारसमल जी गादिया के निवास स्थान*
No18 कमल कुज
1st Main 1st Cross
Sri Puram Extn
*शोषाद्रीपुरम बैगलौर* (कर्नाटक)
☎7798028703,9845572842
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प्रस्तुति:- 🌻 *तेरापंथ संघ संवाद* 🌻

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17 जनवरी का संकल्प

*तिथि:- माध कृष्णा अमावस्या (द्वितीय)*

हर इक चित्त में बहे शांति का दरिया।
सुखमय सहवास का यही है जरिया ।।

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
🌻 तेरापंथ *संघ संवाद* 🌻

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Update

👉 कोप्पल - *ज्ञानशाला प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन
👉 वणी (महा) - प्रेक्षाध्यान शिविर का आयोजन
👉 अहमदाबाद - तेरापंथ किशोर मंडल द्वारा -स्नेह अर्पण सेवाकार्य
👉 वणी (महा) - नागपुर से प्रेक्षा प्रशिक्षकों की टीम द्वारा श्री रामदेव बाबा अपँग एवम मूक बधिर विद्यालय में प्रेक्षा प्रशिक्षण
👉 पीलीबंगा - सशक्त परवरिश सुन्दर भविष्य का आयोजन
👉 इंदौर - जैन संस्कार विधि
👉 केलवा-एक नन्हा कदम स्वच्छता की और
👉 जींद - तेरापंथ युवक परिषद की संगठन यात्रा
👉 छत्तीसगढ़ - चैंबर ऑफ कॉमर्स के चेयरमैन पद पर सुशोभित

प्रस्तुति - 🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻

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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य'* 📙

📝 *श्रंखला -- 238* 📝

*संस्कृत-सरोज-सरोवर आचार्य समन्तभद्र*

*साहित्य*

गतांक से आगे...

*युक्त्यनुशासन* यह अर्थ गरिमा से परिपूर्ण दार्शनिक ग्रंथ है। इसके 64 पद्य हैं। ग्रंथ की शैली संक्षिप्त सूत्रात्मक एवं गंभीर है। इसमें आप्त स्तुति के साथ विविध दार्शनिक विषयों का पर्याप्त विवेचन एवं स्व पर मत के गुण-दोषों का सयौक्तिक निरूपण है। ग्रंथकार ने युक्त्यनुशासन का नामोल्लेख ग्रंथ में कहीं नहीं किया है पर युक्त्यनुशासन शब्द की स्वरूप व्याख्या समझाते हुए उन्होंने कहा

*"दृष्टागमाभयामविरुद्धमर्थप्ररूपणं*
*युक्त्यनुशासनं ते।।48।।"*

प्रत्यक्ष और आगम से अविरुद्ध अर्थप्रतिपादन का अनुशासित क्रम ही युक्त्यनुशासन है। पुन्नाट संघीय आचार्य जिनसेन हरिवंश पुराण में युक्त्यनुशासन का उल्लेख किया है। वह श्लोक इस प्रकार है

*जीवसिद्धिविधायीह, कृतंयुक्त्यनुशासनम्।*
*वचः समन्तभद्रस्य वीरस्येव विजृम्भते।।1/30।।*

हरिवंश पुराण में आचार्य समन्तभद्र के वचन को वीरवाणी के तुल्य माना गया है। उन्होंने जीवसिद्धि ग्रंथ की रचना के बाद युक्त्यनुशासन की रचना की थी। *"जीयात् समन्तभद्रस्य स्तोत्रं युक्त्यनुशासनम्"* टीकाकार आचार्य विद्यानंद के इस कथन के आधार पर आचार्य समन्तभद्र के युक्त्यनुशासन ग्रंथ का बोध होता है।

आचार्य जिनसेन और विद्यानंद के इन उल्लेखों से स्पष्ट है कि आचार्य समन्तभद्र की प्रस्तुत कृति का नाम 'युक्त्यनुशासन' रहा है। साहित्य क्षेत्र में आज यही नाम अधिक प्रसिद्ध है।

ग्रंथकार आचार्य समन्तभद्र प्रस्तुत ग्रंथ की आदि में वीरस्तुति करने के लिए प्रतिज्ञाबद्ध होते हैं। इस कारण कृति का नाम वीरस्तुति अथवा वीरस्तोत्र भी संभव है।

आज के युग में सर्वोदय शब्द अधिक व्यवहृत हो रहा है। सर्वोदय शब्द का प्रयोग सहस्राधिक वर्षों पहले आचार्य समन्तभद्र ने इस कृति में किया है। वह श्लोक इस प्रकार है—

*सर्वांतवत्तद्गुणमुख्यकल्पं*
*सर्वांतशून्यं च मिथोऽनपेक्षम्।*
*सर्वापदामंतकरं निरंतं सर्वोदयं*
*तीर्थमिदं तवैव।।62।।*

समान भाव से सबकी आपदाओं का अंत करने वाला आपका तीर्थ ही सर्वोदय है।

जिनशासन के प्रति आचार्य समन्तभद्र की अगाध आस्था थी। निर्ग्रंथ प्रवचन को सर्वोत्कृष्ट गौरव प्रदान करते हुए उन्होंने लिखा

*"जिन! त्वदीयं मतमद्वितीयम्"* जिनदेव! आपका मत ही अद्वितीय है, अनुपम है। स्तोत्र की भावना और शब्द संयोजना को देखने से यह प्रतीत होता है कलाकार कि यह प्रौढ़ रचना है। इस कृति पर आचार्य विद्यानंद की संस्कृत टीका जो वर्तमान में प्रकाशित है। इसी टीका में 'परीक्षेक्षण' शब्द का प्रयोग कर समन्तभद्र को परीक्षा के नेत्र से सबको देखने वाला कहा है।

*आचार्य समंतभद्र द्वारा रचित स्तुति विद्या ग्रंथ* के बारे में जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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त्याग, बलिदान, सेवा और समर्पण भाव के उत्तम उदाहरण तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

📙 *'नींव के पत्थर'* 📙

📝 *श्रंखला -- 62* 📝

*विजयरामजी अग्रवाल*

*उदार सहयोग*

वैष्णव से जैन बनकर विजयरामजी और उनके भाइयों ने बड़े साहस का कार्य किया। मालव भूमि में तेरापंथ के प्रचार प्रसार में भी वे बहुत सहयोग देने लगे। स्थानकवासी लोगों को उनका वह कार्य बहुत अखरा। उन्होंने तेरापंथी बनने वालों के साथ व्यापारिक लेन-देन तथा सामाजिक व्यवहार बंद कर देने का सामूहिक निर्णय किया। उन्होंने मूर्तिपूजक समाज को भी अपने निर्णय में सम्मिलित करना चाहा, परंतु भोजाजी, भगवानजी गूगलिया तथा लिखमोजी, गुमानजी कटारिया आदि उस समाज के तात्कालीन अग्रणी व्यक्तियों ने उसमें सम्मिलित होने से इंकार कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने तेरापंथियों का साहस बढ़ाते हुए कहा कि आप लोग स्वयं को अकेला न समझें। वे व्यवहार बंद करते हों तो भले ही करें, हम सब आपके साथ हैं। मंदिरमार्गियों का इतना उदार सहयोग देखा तो स्थानकवासियों के कदम वहीं रुक गए। वे कुछ भी नहीं कर सके।

*धार्मिक वृत्ति*

विजयरामजी अत्यंत दृढ़ धर्मी श्रावक थे। थोकड़े आदि सीखकर उन्होंने अच्छा तत्त्वज्ञान भी प्राप्त किया। सामायिक, जप और स्वाध्याय प्रतिदिन करते। साधु-साध्वियों की सेवा का कोई अवसर नहीं चूकते। नए होकर भी उन्होंने जैन संस्कारों को इस प्रकार से आत्मसात् कर लिया मानो अनेक पीढ़ियों से वे जैन ही हों। मालव में तेरापंथ के प्रचार-प्रसार में उनका वह प्राथमिक सहयोग आज भी निर्माल्य की तरह शिरोधारणीय है।

*श्रावक मायाचंदजी अग्रवाल के प्रेरणादायी जीवन-वृत्त* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻तेरापंथ *संघ संवाद*🌻
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News in Hindi

👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ

प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन

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👉 *"अहिंसा यात्रा"* के बढ़ते कदम

👉 पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "खंडगिरि" पधारेंगे

प्रस्तुति - तेरापंथ *संघ संवाद*

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