28.01.2018 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 28.01.2018
Updated: 30.01.2018

Update

Breaking New - आचार्य श्री का विहार हुआ भिलाई से.. *🏳‍🌈ताजा खबर🏳‍🌈*

🚩भिलाई पंचकल्याणक के बाद हुआ *आचार्य भगवंत श्रीविद्यासागर जी ऋषिराज* का मंगल विहार अभी अभी दोपहर 1:30 पर🚩

👉🏻आगामी समय मे पूज्य गुरुदेव तीर्थंकर सम विहार करते हुए रायपुर नगर में पुनः पाषाण से परमात्मा की यात्रा *6 फरवरी से 11 फरवरी तक पंचकल्याणक महोत्सव* को सम्पन्न करेंगे!!

👉🏻भिलाई से *रायपुर की दूरी मात्र 40 किमी*...

👉🏻सम्भवतः रायपुर नगरी में 30 January को पूज्य गुरुदेव की भव्य आगवानी.....

💦🙏🏻साभार🙏🏻💦
*मुकेश जी ढाना*

News in Hindi

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी ने बताया कि प्रारम्भिक अवस्था का सम्यक्त्व बार बार आता जाता रहता है उसे स्थायी बनाने के लिए प्रयत्न करने पड़ते है तथा व्रत /संयम पूजन /भक्ति आदि के माध्यम से उसे सहेजना पड़ता है बाद में धीरे धीरे एकदेश व्रत और अंत में महाव्रत धारण कर सम्यक्त्व कि रक्षा होती है तथा मोक्ष मार्ग पर चलने कि शरुआत हो जाती है इसके विपरीत यदि सम्यक्त्व को ही मोक्ष मार्ग बन कर बेठ जाने से सम्यक्त्व भी चला जाता है जैसे कोई मार्ग कि जानकारी ले ले और मार्ग कि तरफ अपनी मोटर साइकिल का मुख कर दे उसे स्टार्ट भी कर दे परन्तु गाड़ी स्टैण्ड से नहीं उतारे तो फिर व्यर्थ ही पेट्रोल जलता रहेगा परन्तु मार्ग पर आगे नहीं बड़ पायेगा आयु पूरी हो जायेगी पेट्रोल ख़तम हो जायेगा परन्तु धुआ फेकने के अलावा कुछ भी हासिल नहीं होगा अतः सावधानी कि जरुरत है न भ्रम में रहे न भ्रम फैलाये
:मुनिश्री ने करुणा से भरकर श्रावको को सावधान रहने कि सीख दी वर्त्तमान में ज्ञानधारा का प्रचार चल रहा है तथा शुद्ध आत्म द्रव्य के गुण गाये जा रहे है जबकि आचार्य रचित ग्रंथो में ऐसी कोई ज्ञानधारा का वर्णन नहीं है,तथा शुद्ध आत्म द्रव्य भी शक्ति कि अपेक्षा से वर्णन है पर्याय कि अशुध्दता होने से पर्यायी का द्रव्य भी नियम से अशुद्ध ही कहलायेगा. जैसे दुग्ध में घी बनने कि शक्ति तो है, परन्तु शक्ति को अभिव्यक्त भी करना होगा दुग्ध को घी रूप द्रव्य रूप से शुद्ध मान कर पड़ा रहने देंगे तो वह फट जायेगा. जिस प्रकार दुग्ध से घी कि प्राप्ति दुग्ध को तपा कर, जमा कर, मथ कर, नवनीत रूप मे परिणित करने बाद घृत रूप में होती है साथ ही कोई विपरीत एकांत मार्गी के सम्पर्क में आ गए तो वोह फिटकरी डलवा कर आत्म रूपी दुग्ध को फाड़ने कि सीख देंगा. मुनि श्री आगे बताते है कि-- जिस प्रकार दुग्ध से घी कि प्राप्ति दुग्ध को तपा कर[नियम संयम लेकर ], जमा कर[महाव्रतों को लेकर ], मथ कर[व्यव्हार - निश्चय कि मथानी लेकर ], नवनीत रूप[संसार से पृथक केवली भगवद ] अंत में घृत[ सिद्ध अवस्था ]रूप में होती है मुनि श्री आगे बताते है कि-- शुध्द निश्चय नय से सभी आत्माए शुद्ध है, परन्तु आत्मा कि शुध्धता प्रकट करना होती है जिसकी एक प्रक्रिया है पहले व्यव्हार सम्यक्दर्शन प्राप्त होने पर ही निश्चय कि प्राप्ति हो सकती है बगैर हाई स्कूल पास करे स्नातक कि किताब पड़ने से स्नातक नहीं बन सकते प्रक्रिया और क्रुम से ही मोक्ष मार्ग में आगे बड़ा जाता है बड़े बड़े आचiर्य भी प्रभु भक्ति में मग्न है इसलिए भक्त बने रहिये।,, भगवान बनना नहीं पड़ता...बन जाते है
नमोस्तु गुरुवर

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आज की आहारचर्या @ भिलाई.. photograph:)) विद्यासागर जी.. आहों.. ओह विद्यासागर जी आए महाराज, पधारे महारे आँगनिया.. आँगनिया जी महारे आँगनिया.. 😍😍🙏 #AcharyaVidyasagar • #ऽhare

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संघ अलग अलग बैठ एक संग, करते स्वाध्य और मनन चिंतन..

गोमटेश्वर भगवान् #बाहुबली की नगरी में हो रहा चतुर्थ काल का दर्शन वर्तमान के वर्धमान के समवशरण में हो रहा गणधरों का तत्त्व चिंतन। लगभग 200 से अधिक त्यागिवृन्द एक साथ स्वाध्याय करते हुए.. मंच पर वर्तमान में 22 आचार्य परमेष्ठि अद्भुत समन्वय अद्भुत दृश्य

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