30.01.2018 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 30.01.2018
Updated: 31.01.2018

Update

नमक, शकर, हरी सब्जी, दही, सूखे मेवा, दूध, तेल आदि सभी वस्तुओं का आचार्यश्री विद्यासागर जी ने आजीवन त्याग किया हुआ है। उनके आहार में उबली हुई दाल और रोटियां ही रहती हैं तथा 24 धंटे में सिर्फ़ एक बार भोजन तथा जल लेते हैं। खुशकिस्मत है इनके भक्त जिन्हें गुरु के रूप में #आचार्यविद्यासागर जी महाराज मिले।

जानिए आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के त्याग के बारे में, वास्तव में इस पंचम काल में चरित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांति सागर जी के बाद पूर्णतया आगम अनुरूप चर्या देखना है तो वो है आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज उनके त्याग तपस्या चर्या इस प्रकार है -

• आजीवन चीनी का त्याग |
• आजीवन नमक का त्याग |
• आजीवन चटाई का त्याग |
• आजीवन हरी का त्याग |
• आजीवन दही का त्याग |
• सूखे मेवा (dry fruits) का त्याग |
• आजीवन तेल का त्याग |
• सभी प्रकार के भौतिक साधनो का त्याग |
• थूकने का त्याग |
• एक करवट में शयन |

• पूरे भारत में सबसे ज्यादा दीक्षा देने वाले |
• पूरे भारत में एक मात्र ऐसा संघ जो बाल ब्रह्मचारी है |
• पुरे भारत में एक ऐसे आचार्य जिनका लगभग पूरा परिवार ही संयम के साथ मोक्षमार्ग पर चल रहा है |
• शहर से दूर खुले मैदानों में नदी के किनारो पर या पहाड़ो पर अपनी साधना करना |
अनियत विहारी यानि बिना बताये विहार करना |
• प्रचार प्रसार से दूर- मुनि दीक्षाएं, पीछी परिवर्तन इसका उदाहरण |

आचार्य देशभूषण जी महराज जब ब्रह्मचारी व्रत के लिए स्वीकृति नहीं मिली तो गुरुवर ने व्रत के लिए 3 दिवस निर्जला उपवास किआ और स्वीकृति लेकर माने | ब्रह्मचारी अवस्था में भी परिवार जनो से चर्चा करके अपने गुरु से स्वीकृति लेते थे और परिजनों को पहले अपने गुरु के पास स्वीकृति लेने भेजते थे | आचार्य भगवंत सम दूसरा कोई संत नज़र नहीं आता जो न केवल मानव समाज के उत्थान के लिए इतने दूर की सोचते है वरन मूक प्राणियों के लिए भी उनके करुण ह्रदय में उतना ही स्थान है | शरीर का तेज ऐसा जिसके आगे सूरज का तेज भी फिका और कान्ति में चाँद भी फीका है |

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मुनिश्री क्षमासागर जी महाराज द्वारा दिए गए प्रश्नों के उत्तर

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प्राकृत के महान ज्ञाता आचार्य सुनिल सागर जी गुरूदेव के दर्शनार्थ उदयपुर पहुंची साध्वी ऋतम्भरा जी • #AcharyaSunilsagar

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मुख्यमंत्री #वसुंधराराजेसिंधिया पँहुची #नारेली मुनि पुंगव #सुधासागर जी महाराज से लिया आशीर्वाद:) • Vasundhara Raje • #MuniSudhasagar

🚩गंदोदक की महिमा 🚩-Muni SudhaSagar Ji ke pravachan..

१. भगवान को छूने का अधिकार जैन कुल ने दिया है लेकिन अगर इस अवसर का उपयोग नहीं किया तो कर्म आपको फिर इस अवसर से वंचित कर देगा!

२. प्राचीन शास्त्रों में पुरुषों के लिए जिन पूजा का नियम है और पूजा का आद्यांग (पहला अंग) अभिषेक है, केवल देव दर्शन नहीं; क्योंकि देव दर्शन तो पशु, हरिजन, महिला, कोड़ रोगी या पापी भी कर सकते हैं लेकिन ये सभी अभिषेक नहीं कर सकते!

३. मै (सुधा सागर महाराज जी) बहुत करुणा कर के कह रहा हूँ की बहुत गरीबी के समय माँ / घर की महिलाओं को भीख मंगवाने से भी बड़ा पाप है की तुम्हारे जीतेजी तुम्हारी माँ / घर की महिलाओं को मंदिर में जाके किसी और से गंदोदक माँगना पड़े!

४. १००० मुनिराज भी आशीर्वाद दे उससे भी ज्यादा मंगलकारी है अगर घर के पुरुष खुद गंदोदक बना के अपने घर की महिलाओं / बच्चो को लगाये

५. यहाँ तक की घर के पशुओं / नौकरों को भी गंदोदक दीजिये! घर पे आये मेहमान, घर पे आयी बारात का स्वागत गंदोदक से करिये! इसके लिए छोटा सा कलश रखिये और मंदिर जी से कभी खाली मत आओ! उस कलश में गंदोदक भर के घर लाइए! ऐसा करना बहुत ही मंगलकारी है! शाम को उस गंदोदक को या तो अपने सर पे लगा लीजिये, या ऐसी जगह डाल दीजिये जहा किसी के पैर न पड़ते हो!

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