16.02.2018 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 16.02.2018
Updated: 18.02.2018

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मात्र 1 घंटे मे आचार्य श्री विद्यासागर महाराजजी के परम शिष्य मुनि श्री नियमसागर महाराजजी द्वारा बनाई गयी पेंसिल स्केच वर्क:) #share

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जिस प्रकार मिठाई की दुकान वाला दुकानदार मिठाई बेचते समय मिठाई खाने की इच्छा नहीं करता,उसी प्रकार असयंम में रहकर जो रत्नत्रय का उपदेश देते हैं,वे उस रत्नत्रय का कभी स्वाद नही लेते हैं।

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UPDATE - आचार्य श्री विद्यासागर जी का बिहार रायपुर से विलासपुर की ओर चल रहा हैं.. कल से आचार्य श्री की तबियत ढीली चल रही हैं.. आप लोग जल्दी स्वस्थ होने की भाव करे. आचार्य श्री स्वस्थ हो जाए एकदम:)) #AcharyaVidyasagar

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News in Hindi

#वीतराग_स्तुति वीतराग जिनेन्द्र प्रभु की उत्कृष्ट भक्तिभाव से पूरित होकर श्रमण श्री #नियमसागर मुनिराज ने कन्नड़ भाषा में वीतराग स्तुति लिखी है मुनिश्री ने इस स्तुति में बताया है कि हमारा मस्तक कहाँ झुकना चाहिए और हमारे भगवान कौन है

*मूल कन्नड़ स्तुति*

यार ज्ञान शक्ति कोटि,सूर्यरन्नू मीरिदे
मत्तुयार दिव्य ध्वनियु लोक हितव माडिदे
मुरुलोकदल्लि यार कीर्ती व्याप्त वागिदे
अंथ देव देवरल्लि नन्न तलेयु वागिदे।।१।।

यार ज्ञान पाप कर्म गेद्दु शुद्ध वागिदे
अमितवाद शक्तिर्यिव सकल तत्व तिल्लिदे
लोक दल्लि वीतराग पूज्य पदवी होंदिदे
अंथ देव देवरल्लि नन्न तलेयु बागिदे।।२।।

*मराठी अनुवाद*
ज्यांच्या ज्ञानशक्तीपुढे सूर्याने तेज गमावले
आणी ज्यांनी दिव्य ध्वनी लोकहितास्तव केली
तिनलोक मध्ये ज्यांची कीर्ती व्यापिली
अश्या देवा पुढं माझे सिर नमते
ज्यांच ज्ञान पाप कर्म विजय करून शुद्द झाले
अतुलनीय शक्ती असलेली सर्व तत्व समजले
तीन लोकांमध्ये वीतराग हेच पद आहे
अश्या देवापुढं माझे सिर नतमस्तक करितो

*हिंदी अनुवाद*
जिनकी ज्ञान शक्ति के आगे करोड़ो सूर्य भी निस्तेज दिखे अर्थात् जिनके बराबर ज्ञान सम्पूर्ण चराचर में किसी में नहीं है, और जिनकी दिव्य ध्वनि/देशना/वाणी मात्र लोक कल्याण और हित ही करती हैं (हितोपदेशी)।
जिनकी कीर्ति पूरे 3 लोक में व्याप्त हैं । ऐसे देव भगवान के सामने मेरा सिर श्रद्धा से झुक जाता हैं।।

जिनका ज्ञान पाप कर्म पर विजय प्राप्त कर शुद्ध हुआ है,अर्थात् जिनके पापो का समूल नाश हो गया है और परिणामस्वरूप सर्वोच्च केवलज्ञान जिन्हे प्राप्त हुआ है। जिस ज्ञान में अतुलनीय शक्ति है और जो सारे तत्व को समझाते हैं,
जिनके पास वीतराग जैसी पदवी है जो तीन लोक में श्रेष्ठ है, अर्थात् जिससे बढकर कोई और पदवी नहीं है ऐसे वीतराग देव भगवान के सामने मेरा सिर श्रद्धा से झुक जाता है।

श्री वीतराग स्तुति का मराठी व हिंदी में अनुवाद Shubham Bindage ने किया है

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