21.03.2018 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 21.03.2018
Updated: 21.03.2018

Update

पूज्य गुरुदेव आचार्य भगवन श्री #विद्यासागर जी महायतिराज से #डिंडोरी मध्य प्रदेश में आशीर्वाद प्राप्त करते हुए राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री #अशोक_गहलोत ।

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दसलक्षण पर्व अभिनन्दन:-)

आज से जैन समाज का महान पर्व दसलक्षण पर्व प्रारम्भ होंगे । में मानता हूँ कि समाज जन इसे भाद्रपद की तरह नहीं मानते किन्तु इन दिनों में यथा योग्य संयम तो धारण कर सकते हैं । सिर्फ 10 दिन होटल का खाना एवं रात्रि में खाना का त्याग तो कर ही सकतें हैं । जैन धर्म की प्रभावना होगी और आप धर्म मार्ग में आगे बढ़ेंगे

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Update

Das-Lakshan Parva is commencing from today only, Today is Uttama Kshama day & IInd Tirthankara Lord Ajitnatha 'Moksha Kalyanak is tomorrow!

आज से दसलक्षण पर्व शुरू हो रहे है, दसलक्षण पर्व वर्ष में तीन बार आते है परन्तु भादवे वाले ज्यादा प्रसिद्द है! पर्युषण पर्व के पावन अवसर पर हम मुनिवर क्षमासागरजी महाराज के दश धर्म पर दिए गए प्रवचनों का सारांश रूप प्रस्तुत कर रहे है. पूर्ण प्रवचन "गुरुवाणी" शीर्षक से प्रेषित पुस्तक में उपलब्ध हैं. हमें आशा है की इस छोटे से प्रयास से आप लाभ उठाएंगे और इसे पसंद भी करेंगे!

पर्यूषण का उद्देश्य - पर्यूषण के दस दिन हमारी वास्तविक अवस्था की और अग्रसर होने के प्रयोग के दिन हैं. हमने अपने जीवन में जिन चीजो को श्रेष्ठ माना है इन विशिष्ठ दिनों में प्रकट करने की कोशिश भी करनी चाहिए ये दस दिन हमारे प्रयोग के दिन बन जायें, यदि इन दस दिनों में हम अपने जीवन को इस तरह की गति दे सके की जो शेष जीवन के दिन है वे भी ऐसे ही हो जाये; इस रूप के हो जाये. वे भी इतने ही अच्छे हो जाये जितने अच्छे हम ये दस दिन बिताएंगे.

हम लोग इन दस दिनों को बहुत परंपरागत ढंग से व्यतीत करने के आदि हो गये है. हमें इस बारे में थोडा विचार करना चाहिए. जिस तरह परीक्षा सामने आने पर विधार्थी उसकी तैयारी करने लगते है, जब घर में किसी की शादी रहती है तो हम उसकी तैयारि करते है वैसे ही जब जीवन को अच्छा बनाने का कोई पर्व, कोई त्यौहार या कोई अवसर हमारे जीवन में आये, तो हमें उसकी तैयारी करना चाहिए. हम तैयारि तो करते है लेकिन बाहरी मन से, बाहरी तयारी ये है की हमने पूजन कर ली, हम आज एकासना कर लेंगे, अगर सामर्थ होगा तो कोई रस छोड़ देंगे, सब्जियां छोड़ देंगे, अगर और सामर्थ होगा तो उपवास कर लेंगे. ये जितनी भी तैयारियां है यह बाहरी तैयारियां है, ये जरूरी है लेकिन ये तैयारियां हम कई बार कर चुके है; हमारे जीवन में कई अवसर आये है ऐसे दस लक्षण धर्म मनाने के. लेकिन ये सब करने के बाद भी हमारी लाइफ-स्टाइल में कोई परिवर्तन नहीं हुआ तो बतायेइगा की इन दस दिनों को हमने जिस तरह से अच्छा मानकर व्यतीत किया है उनका हमारे ऊपर क्या असर पड़ा?

यह प्रश्न हमें किसी दुसरे से नहीं पूछना, अपने आप से पूछना है. यह प्रश्न हम सबके अन्दर उठना चाहिए. इसका समाधान, उत्तर नहीं, उत्तर तो तर्क (logic) से दिए जाते है, समाधान भावनाओ से प्राप्त होते है. अत: इसका उत्तर नहीं समाधान खोजना चाहिए. इसका समाधान क्या होगा? क्या हमारी ऐसी कोई तयारी है जिससे की जब क्रोध का अवसर आयेगा तब हम क्षमाभाव धारण करेंगे; जब कोई अपमान का अवसर आएगा तब भी हम विनय से विचलित नहीं होंगे; जब भी कोई कठिनाई होगी तब भी, उसके बाबजूद भी हमारी सरलता बनी रहेगी; जब मलिनताएँ हमें घेरेंगी तब भी हम पवित्रता को कम नहीं करेंगे; जब तमाम लोग झूठ के रस्ते पर जा रहे होंगे तब भी हम सच्चाई को नहीं छोड़ेंगे; जब भी हमारे भीतर पाप-कर्मो का मन होगा तब भी हम अपने जीवन में अनुशासन व संयम को बरक़रार रखेगे; जब हमें इच्छाएं घेरेंगी तो हम इच्छाओ को जीत लेंगे; जब साड़ी दुनिया जोड़ने की दौड़ में, होड़ की दौड़ में शामिल है तब क्या हम छोड़ने की दौड़ लगा पाएंगे; जबकि हम अभी दुनियाभर की कृत्रिम चीजो को अपना मानते है? क्या एक दिन ऐसा आएगा की हम अपने को भी सबका मानेंगे? जब हम इतने उदार हो सकेंगे की किसी के प्रति भी हमारे मन में दुर्व्यवहार व इर्ष्या नहीं होगी!!

क्या इस तरह की कोई तैयारी एक बार भी हम इन दस दिनों में कर लेंगे; एक बार हम अपने जीवनचक्र को गति दे देंगे तो वर्ष के शेष तीन सो पचपन दिन और हमारा आगे का जीवन भी सार्थक बन जायेगा. प्राप्त परंपरा में दस प्रकार से धर्म के स्वरुप बताये गए है. उनको हम धारण करें इसके लिए जरुरी है की पहले हम अपनी कषायों को धीरे-धीरे कम करते जायें.

वास्तव में इन दस दिनों में अपनी भीतर कही बहार से धर्म लाने की प्रक्रिया नहीं करनी चाहिए बल्कि हमारे भीतर जो विकृतियाँ है उनको हटाना चाहिए. जैसे-जैसे हम उनको हटाते जायेंगे धर्म आपो-आप हमारे भीतर प्रकट होता जायेगा

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News in Hindi

आचार्य श्री विद्यासागर जी के संघ के 5 मुनिराजों का शुभआगमन, प्रवचन, पड़गाहन @अहिंसा विहार, रोहिणी, New Delhi..

मुनि प्रणम्यसागर जी, मुनि वीरसागर जी, मुनि धवलसागर जी, मुनि चंद्रसागर जी, मुनि प्रशांतसागर जी...

pics by Gunjan Jain.. thnks alot her!

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www.jinvaani.org रविन्द्र जैन रचित अध्यात्मिक भक्ति भजन, णमोकार मन्त्र, भक्तामर स्तोत्र with PDF Books, समवशरण यात्रा [भक्तामर के भाव], तत्वार्थ सूत्र, मूकमाटी, छह ढाला, मंगलाष्टक स्तोत्र, नमीऊण स्तोत्र, उव्सग्गहरम स्तोत्र, एकीभाव स्तोत्र, विषपहर स्तोत्र, पार्श्वनाथ स्तोत्र, शांतिअष्टक स्तोत्र, महावीराअष्टक स्तोत्र, दर्शन पाठ, मेरी भावना, आलोचना पाठ, प्रभु पतित पावन, तुमसे लागी लगन, चालीसा, बारह भावना, देव दर्शन स्तोत्र, कल्याणमंदिर स्तोत्र, देव शास्त्र गुरु पूजा, आरती,, अरिहंत नाम सत्य, अग्निपथ, मूकमाती, तत्वार्थ सूत्र, भक्तामर, जीवन है पानी की बूंद, परस रे तेरी कठिन डगरिया, तेरे पञ्च हुए कल्याण प्रभु, रंगमा रंगमा, एक नाम साचा, आरती, पूजा, विनय पाठ, मेरी भावना, समाधी मरण, वैराग्य भावना, ऑडियो, प्रवचन, इत्यादि

क्षुल्लक ध्यानसागर जी महाराज की आवाज में शुद्ध उच्चारण भक्तामर स्तोत्र, आचार्य श्री की पूजा, कीर्तन, हमारे कष्ट मिट जाये, जब काली रात अमावस की, भक्तामर स्तोत्र की किताब, आर्यिका पूर्णमति माता जी की आवाज में मूकमाती, भक्तामर स्तोत्र, सहस्त्रनाम स्तोत्र, मंगलाष्टक, अभिषेक पथ, बृहद शांतिधारा, एकीभाव स्तोत्र, आत्मबोध शतक, तत्वार्थ सूत्र, मुनि श्री क्षमासागर जी महाराज की आवाज में अरिहंत नाम सत्य है, अग्निपथ, मैत्री भाव!

प्रवचन: मुनि श्री नियमसागर जी के "सम्यकज्ञान""दस लक्षण धर्म", आचार्य विद्यासागर जी महाराज के दुर्लभ प्रवचन "ढाई आखर प्रेम के, धर्म बोलता नहीं, धर्म क्या है, मरता क्या न करता, मोक्ष मार्ग की शुरुआत, नारियल की तीन ऑंखें, वीतरागता की उपासना", मुनि श्री क्षमासागर जी महाराज के प्रवचन"पूजा कैसे करे", जिनेन्द्र वर्णी जी के दुर्लभ प्रवचन समयसार!

दुर्लभ प्रवचन संग्रह - आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज, मुनि श्री नियमसागर जी, मुनि श्री सुधासागर जी, मुनि श्री क्षमासागर जी, मुनि प्रमाणसागर जी, मुनि तरुणसागर जी, पूज्य जिनेन्द्र वर्णी जी, क्षुल्लक श्री ध्यानसागर जी के प्रवचन विभिन्न विषयो पर जैसे छः ढाला, तत्वार्थ सूत्र, भक्तामर, णमोकार मंत्र, म्रत्यु महोत्सव, पूजा कैसे करे, कर्म सिद्धांत, दस लक्षण धर्मं, सोलह कारण भावना, बारह भावना, समयसार, सर्वार्थ सिद्धि, कहानिया तथा जीवन चरित्र, गोमटसार, इष्टोपदेश, रत्नकरंड श्रावकाचार इत्यादि विषयो पूरा संग्रह - चिंतन/मनन करे!

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Pravachans by Jain Sadhu & Sadhvi
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