23.03.2018 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 23.03.2018
Updated: 25.03.2018

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भारत की राजधानी दिल्ली में प्रवेश चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज #AcharyaShantisagar

मैं पूज्य आचार्यश्री शान्तिसागरजी महराज के जीवन चरित्र का लगातार अध्ययन कर रहा हूँ, फलस्वरूप मेरी दृष्टि में पूज्यश्री का दिल्ली का चातुर्मास एक महत्वपूर्ण चातुर्मास था। इस चातुर्मास के माध्यम से दिगम्बरत्व का प्रचार भली प्रकार से हुआ। सर्वत्र दिगम्बर मुनिराज के दर्शन व जन-जन तक उनके स्वरूप की जानकारी पहुँचना पूज्य शान्तिसागरजी महराज के उत्कृष्ट तपश्चरण का ही प्रभाव था।

पूज्य शान्तिसागरजी महराज ने ससंघ ललितपुर चातुर्मास के उपरांत बूंदेलखड की सभी तीर्थ, ग्वालियर, आगरा, मथुरा विभिन्न स्थानों को अपनी पदरज से धन्य करते हुए राजधानी दिल्ली में प्रवेश किया। खुरजा के अपने अमृत-उपदेश से उपकृत करते हुए संघ ने प्रस्थान कर सिकन्दराबाद में निवास किया। इसके अनंतर गजियाबाद तथा शहादरा होते हुए पौष सुदी दशमी को संघ ने भारत की राजधानी दिल्ली में प्रवेश किया। कहते हैं, अब पचास हजार से भी अधिक संख्या हो गई है। वहाँ धार्मिक प्रकृति के लोग बहुत हैं, इसलिए संघ के आने पर दिल्ली समाज के रोम-रोम में आनंद व्याप्त होता था।

राजधानी के योग्य गौरवपूर्ण जुलूस द्वारा आचार्य शान्तिसागर महराज के प्रति भक्ति व्यक्त की गई। बडे-बड़े प्रतिष्ठान तथा विचारशील नागरिक तथा उच्च अधिकारी लोग आचार्यश्री के दर्शनार्थ आते थे, अनेक महत्वपूर्ण प्रश्न करते थे तथा समाधान प्राप्त कर हर्षित होते थे।

🌿 स्वाध्याय चा.चक्रवर्ती ग्रंथ का 🌿

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आज श्री सम्भवनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक है। दशलक्षण महापर्व व सोलहकारण पर्व चल रहे है। आज का धर्म: *उत्तम आर्जव*

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News in Hindi

#Amazing गुरुभक्ति शतक 🖌रचियत्री: आर्यिका पूर्णमति माता जी #AryikaPurnmati #AcharyaVidyasagar

आपको पाकर ऐसा लगा कि,
अनंत दोषों के कोष का..
अनगिनत गुणों के स्वामी से मिलन हो गया।

धने तमस में रहने वाले का...
दिव्य प्रकाश के स्रोत से मिलन हो गया।

तेज धूप की लपटों में,
सूखने वाली बूंद को...
विशाल दरिया ही मिल गया।

आज मुझ अल्पमति को भी लगा की...
पूर्ण 'विद्या का सागर' ही मिल गया।

शांतिसागराचार्यवर्य से,वीरसिंधु आचार्य हुए।
तदनंतर शिवसागर सूरि, ज्ञानसिंधु आचार्य हुए।।
ज्ञान गुरु ने निज प्रज्ञा से,हीरा एक तराश लिया।
युगों-युगों तक जो चमकेगा,विद्यासागर नाम दिया।

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#आचार्य_विद्यासागर_जी_महाराज_के_दर्शन_करने_जगदलपुर_बस्तर_से_आए_डिंडोरी_आलेख_महिमा_समाज_के #संत_वासुदेव जो क #वस्त्र_नहीं_पहनते_हैं #share_maximum..🙏

#पेड़_की_छाल_पहनते_हैं और कपड़े के उपर नहीं बैठते हैं..

#अलेख_महिमा_समाज_की_विशेषता_है की #इस_समाज_के_अनुयायी_ज़ो_की_मूलत:#आदिवासी_होते_है..

#सत्विक होते है...

#कंद_मूल_का_सेवन_नहीं_करते...

#सबसे_बड़ी_बात_रात्री_भोजन_नहीं_करते...

#रात्री_जल_के_त्यागी_होते_हैं..

#आचार्य_श्री_के_सन_2013_के जगदलपुर प्रवास पर गुरूजी को इनके बारे मे जब पता चला..तब से हमारे करूणा सागर आचार्य श्री विद्या सागर जी की करूणा दृष्टी इस समाज पर थी..और ऐसे सत्विक समाज के ऊत्थान के लिए सत्विक रोजगार ज़रूरी था...एेसे मे जगदलपुर हथकारघा केन्द्र की स्थापना से बेहतर क्या हो सकता है..आचार्य श्री का यह वात्सल्य आशिर्वाद साकार हुआ #जगदलपुर_हथकारघा_केन्द्र के रुप मे.. जो आज सफलता के नए आयाम स्थापित कर रहा है एवं सत्विक लोगो को सत्विक रोजगार प्रदान कर रहा हैं

लेखन✏

वैभव जैन

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