22.04.2018 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 22.04.2018
Updated: 23.04.2018

News in Hindi

🖼आर्यिका माँ पूर्णमति माताजी🖼विद्यासागर मम गुरु,आदि अंत विश्वास।

गुण गाऊँ मैं तब तलक,जब लौं घट में श्वांस।।
क्षेत्र की अपेक्षा चाहे कितनी भी दूर हो लेकिन श्रद्धा दर्पण से उनका दर्शन होता रहता है उनका स्नान करते ही मन के कोने कोने में स्पंदन होने लगता है जिन का आशीर्वाद मिलते ही आनंद की अनुभूति होती है जिनके मौन रहने पर प्रकृति भी मौन हो जाती है और जिनकी मुखरित होने पर प्रकृति कक्कड़ कर प्रफुल्लित हो जाता है।ऐसे गुरु को पाकर शिष्य का जीवन उन्नत बनता है।गुरु भी अपने शिष्य के साथ हर पल उसका साहस,शक्ति और आत्मविश्वास बनकर रहते है।
🔆प्रसंग🔆-
बात उस समय की है,जब आर्यिका माँ 105 पूर्णमति माताजी ससंघ का विहार दक्षिण भारत मे हो रहा था।एक दिन विहार करते-करते शाम हो गयी,सूर्य ढलने वाला था,तब माताजी एक कक्ष में रुक गई।वह कक्ष खण्डर के जैसा था।दूर-दूर तक वीरान,कही कोई नज़र नहीं आ रहा था।
तभी माताजी ने अपनी श्रद्धा नयनों के द्वारा अपने हृदय देवता गुरुदेव को नमस्कार किया और कहा- *हे गुरु भगवन्!मेरे संयम की रक्षा करना।* और फिर सभी माताजी विश्राम करने लगी।
रात्रि 11 बजे शारीरिक बाधा के कारण पूज्या पूर्णमति माताजी को बाहर आना पड़ा।वहाँ पर अचानक एक दृश्य देखकर माताजी चौंक गई, उनके साथ पूज्या शुभ्रमती माताजी भी आश्चर्य में पड़ गयी।
सामने जो दृश्य दिख रहा था,वह सपना था या सत्य? समझ नहीं आ रहा था।
*वहाँ धरती से 5 फीट ऊपर एक श्वेत वस्त्रधारी चक्कर लगा रहा था।* माताजी 5 मिनिट तक देखती रही।उसने अब तक पूरे कक्ष के 10 चक्कर लगा लिए थे।दोनों माताजी ने कक्ष में आकर शेष सभी माताजी को जगाया।एक-एक करके सभी माताजी ने उस दृश्य को देखा।
अब माताजी को विश्वास हो गया कि- *कोई रक्षक है हमारे आस पास,जो इस वीरान खण्डर में उनकी रक्षा कर रहा है।*
सवेरे 4 बजे उठकर देखा तो उसका वह अंतिम चक्कर लग रहा था और देखते ही देखते वह अदृश्य हो गया।सभी माताजी के मन मे एक प्रश्न छोड़ गया....... *आखिर वह कौन था,जो बिल्कुल मौन था।*
बड़ी माताजी ने कहा- *कोई और नहीं,गुरु भक्ति का चमत्कार था।गुरु के आशीर्वाद से निकला किरणों का आकार था।।*
समीचीन चारित्र का पालन करने साधक/साधिका की हर संकट में *उनका संयम उनकी रक्षा करता है।* देवता भी उनकी संयम की रक्षा करने आते है।और *उनके चरणों मे नतमस्तक हो जाते है।*

*📖ज्ञानधारा से साभार📖*
*✍🏻आर्यिका माँ पूर्णमति माताजी✍🏻*
❄प्रस्तुति- नरेन्द्र जैन जबेरा❄
🌊💦🌊💦🌊💦🌊💦🌊💦

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गुरु निकट जाने अनजाने चमत्कार घट जाते है...😊😊

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कुछ तो लोग कहेंगे... लोगो का काम है...कहना.... छोड़ो बेकार की बाते.... #Must_read.

समाज मे कुछ ऐसे भी तत्व पाए जाते है जो अच्छी भली घटना को भी नमक मिर्च मसाला का तड़का लगा कर उछाल देते है हम सभी को ऐसे तत्वों से बचना चाहिये तथा इनकी चिकनी चुपड़ी बातों में नही आना चाहिये।_
_यह घटना उन दिनों की है जब आचार्यश्री ने परमपूज्य मुनिश्री योगसागरजी पूज्य क्षमासागरजी सहित 4 मुनिराजों का उपसंघ बना कर प्रभावना हेतु भेजा।_
_एक नगर में पूज्य मुनिश्री संघ विराजित थे एक दिन कुछ लोग परमपूज्य क्षमासागरजी के पास आये और पूछा महाराजश्री ऐसा क्या हुआ जो आचार्यश्री ने आप लोगो को संघ से अलग कर दिया पूज्यश्री मुस्कुराते रहे... वे समझ गए इनके मन मे क्या चल रहा है।_
_एक बार यही लोग आचार्यश्री के समक्ष पहुचे इन्होंने प्रश्न किया आचार्यश्री! आप ने इन मुनिराजों को संघ से क्यो अलग किया? क्या कही कुछ गड़बड़ थी? आचार्यश्री ने कोई उत्तर नही दिया।_
_ये लोग फिर वापस पूज्यश्री के पास आये और कहा आचार्यश्री को आप लोगों को संघ से बाहर नही भेजना था ऐसा हमे भी अच्छा नही लगा_
_पूज्यश्री ने इस बार भी कोई उत्तर नही दिया_
_ये लोग एक बार फिर साहस करके आचार्यश्री के पास पहुचे, फिर उन्होंने घुमा फिराकर वही बात रखी अबकी बार आचार्यश्री ने कहा *सुनो भैया! हमने आप लोगो की प्यास बुझाने, कुछ मिट्टी के घड़े बना कर बाज़ार में भेजे है, आप लोग अच्छे से देखकर ठोक बजाकर देख लो, यदि ये आपकी प्यास बुझाने के काम आते है तो इन्हें ले लो और यदि आप लोगो को लगता है या इन घड़ों में कोई कमी हो तो वापस हमारे पास भेज देना हम इन्हें ठीक करके आपकी प्यास बुझाने फिर से भेज देंगे*_
_अब की बार इनके पास कोई जवाब नही था, सो शर्म के मारे मुह छुपाए नज़रें झुकाए चुपचाप वापस आ गए।_

*परमपूज्य मुनिश्री क्षमासागरजी महाराज के मुख से सुना संस्मरण*

_अंकन एवम प्रस्तुति_
*राजेश जैन भिलाई*
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#श्रवणबेलगोला में आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी के संधस्थ दीक्षार्थी बाल ब्रह्मचारिणी #सिद्धा दीदी, श्री नेमीचंद जी, श्री राव सेसा ने चंद्र गिरी स्थित श्री #भद्रबाहु जी स्वामी के पावन चरणों का विशेष पूजन किया

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Live Picture.. आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनिश्री प्रणम्यसागर जी महाराज, मुनिश्री चन्द्रसागर जी महाराज Sector-3, Vaishali में विराजमान हैं..

मुनिश्री वीरसागर जी महाराज, मुनिश्री विशालसागर जी महाराज, मुनिश्री धवलसागर जी महाराज Bahubali exclave में विराजमान हैं

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