07.05.2018 ►STGJG Udaipur ►News

Published: 07.05.2018
Updated: 14.05.2018

News in Hindi

10 हजार जैन परिवारों से भरवाएंगे अधिकतम 21 व्यंजन के संकल्प पत्र
जैन समाज मे होने वाले मांगलिक कार्यक्रम, शादी समारोह में अधिकतम 21 व्यंजनों की सीमा निर्धारित करने की मुहिम को एक बार फिर से तेजी दी गयी है। इस मुहिम में उदयपुर से 10 हजार परिवारों को जोड़ते हुए उनसे संकल्प पत्र भरवाने का बीड़ा जैन सोशल ग्रुप मेवाड़ रीजन ओर जैन सोशल ग्रुप विजय ने उठाया है। संकल्प पत्र भरवाने के इस कार्यक्रम का शुभारंभ रविवार को सेक्टर 4 स्थित नाकोड़ा कॉम्लेक्स से किया गया।
अधिकतम 21 व्यंजन मुहिम के प्रणेता अनिल नाहर, जेएसजी मेवाड़ रीजन के चैयरमेन ओपी चपलोत, आगामी अध्यक्ष आरसी मेहता, महामंत्री पंकज माण्डावत, पीआरओ सुशीम सिंघवी, जेएसजी विजय के अध्यक्ष गुणवंत वागरेचा, महामंत्री गोपाल बम्ब सहित बीपी जैन, गगन तलेसरा, विजय चपलोत, बीएल लोढा एवं महिला सदस्याओं ने नाकोड़ा कॉम्प्लेक्स में जैन परिवारों के घर जाकर अपने घर परिवार में होने वाले मांगलिक कार्यक्रमो में 21 व्यंजन से ज्यादा नही बनाने की अपील की ओर साथ ही संकल्प पत्र भरवाए।
इस दौरान मेवाड़ रिजन के चैयरमेन ओपी चपलोत ने कहा कि जेएसजी जैन समाज के दंपति सदस्यों का एक बड़ा संगठन है साथ ही जेएसजी विजय से मिलकर 10 हजार परिवारों से अधिकतम 21 व्यंजन नही बनाने के संकल्प पत्र भरवाने के लिए सहयोग लिया जाएगा। यह जैन समाज के लिए एक बड़ा बदलाव होगा जिससे जैन समाज के मांगलिक कार्यक्रमो में होने वाली फिजूल खर्ची तो खत्म होगी ही साथ ही गरीब अमीर का भेदभाव भी खत्म होगा।
अधिकतम 21 व्यजनं मुहिम के प्रणेता अनिल नाहर ने कहा कि 10 हजार संकल्प पत्र भरवाने का यह कार्यक्रम अनवरत जारी रहेगा इसके साथ ही इस मुहिम को ओर अधिक मजबूती देने के लिए जैन साधु - संतों, मुनियों के चातुर्मास व अन्य धार्मिक आयोजनों में जैन मुनियों से भी आग्रह किया जाएगा की वे भी इस मुहिम को सम्पूर्ण जैन समाज मे लागू करने के लिए अपील करे।

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शाबास यूपी पुलिस....
#गर्मी में प्यास से बेहाल #बुजुर्ग को #पानी_पिला कर किया #सराहनीय काम
थाना सीपरी बाजार झांसी में तैनात पुलिस का0 देवन्द्र

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*स्वर्गवास पर समाज का बदलाव

कई सालों से चली आ रही एक प्रथा अब बदलने की आवश्यकता है जब किसी का स्वर्गवास हो जाता हैं तो सगे-संबंधी शाल उनको ओढाते हैं जो शाल जिसका मूल्य 100 से डेढ़ सौ रुपया वह शाल आधे घंटे के बाद कुछ काम की नहीं और वह वापस दुकान में शाले आधी कीमत में बेची जाती है और फिर से दुसरी देहावसान के लिए वही साल उपयोग में आती है

*यह परंपरा अब बदलने की जरूरत हैं*

जिसके घर दुखद अवसान हुआ हो वहाँ समाज की तरफ से, परिवार की इजाजत से कृपया छोटा डब्बा शव के पास रख देना चाहिए और शाल के पैसे उसमें डाल देने चाहिए।

उस पैसे से गाय को घास खिला दो या पंछी को दाना डाल दो या वह सारे पैसे इकट्ठे कर गौशाला या किसी अनाथ आश्रम को दान दे दो समाज में इस तरह का प्रस्ताव पास करना चाहिए,लेकिन यह प्रस्ताव मर्जीयाद रखना चाहिए जबरदस्ती नहीं यह लोकशाही देश है

*अगर मेरा सुझाव सही लगे तो हर शहर में यह मैसेज भेजो और समाज में बदलाव लाओ मृत आत्मा को शांति मिलेगी और सही जगह पर पैसा जाएगा*

*धन्यवाद

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