13.07.2018 ►Acharya Shri VidyaSagar Ji Maharaj ke bhakt ►News

Published: 13.07.2018
Updated: 16.07.2018

Update

1008 पोधो का रोपण कल @ Civil Lines, New Delhi.. आचार्य श्री विद्यासागर जी के 5 शिष्यों के सनिध्ये में!!

Source: © Facebook

आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ससंघ का आज खजुराहो आगमन हो गया है पपौरा, टीकमगढ से लंबी दूरी तय करके गुरुदेव 72 वर्ष की आयु में पैदल विहार करके संघ सहित खजुराहो पधारे है, आचार्यश्री का आज रात्रि विश्राम खजुराहो हवाई अड्डे के कम्यूनिटी सेंटर में होगा। गुरुदेव का कम्यूनिटी प्रशासन के अधिकारियो ने क्षेत्र में आगमन कराया और संघ ने हवाई अड्डे क्षेत्र का अवलोकन भी किया कल प्रातः महामना खजुराहो गाँव मेंं प्रवेश कर यहाँ के जिनालयो के दर्शन करेंगे।

17 जुलाई को मनाया जाएगा 51 वाँ दीक्षा दिवस
17 जुलाई को महामना आचार्य प्रवर विद्यासागर महाराज जी का 51 वाँ दीक्षा दिवस मनाया जाएगा जिसमे भारत,अमेरिका,ब्रिटेन आदि से लाखो गुरुभक्त सम्मिलित होंगे मा. अमित शहा,भाजप, व कई प्रदेशो के मुख्यमंत्री भी गुरुचरणो में पहुंचेंगे ऐसी पूर्ण संभावना है

महात्मा गांधी का स्वप्न *स्वावलंबी भारत(हथकरघा)* इस विषय पर भी 17 तारीख को बहुत ही अच्छा कार्य होगा

Source: © Facebook

आज शाम 6 बजे आचार्य श्री हवाई अड्डे के कम्युनिटी सेन्टर पहुंचे हैं. रात्रि विश्राम यहां होगा. कल प्रातः 7.00 बजे खजुराहो में प्रवेश... 🙂🙂

Source: © Facebook

रानी अब्बक्का चौटा अथवा अब्बक्का महादेवी (जैन) तुलुनाडू (तटीय कर्नाटक) की रानी थीं जिन्होंने 16वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में पुर्तगालियों के साथ युद्ध किया। वह चौटा राजवंश की थीं जो मंदिरों के नगर मूडबिद्री से शासन करते थे। बंदरगाह शहर उल्लाल उनकी सहायक राजधानी थी।

*वर्ष 1555 था। पुर्तगाली औपनिवेशिक शक्ति 1500 के दशक में अपने चरम पर थी।* उन्होंने कालीकट के ज़मोरिन्स को नष्ट कर दिया। बीजापुर के सुल्तान को हराया, गुजरात के सुल्तान से दमन को छीन लिया, माइलपुर में एक उपनिवेश स्थापित किया, बॉम्बे पर कब्जा कर लिया और गोवा को उनके मुख्यालय के रूप में बनाया। और जब वे यह सब कर रहे थे, और उन्हें कोई चुनौती नहीं दे सकता था उन्होंने प्राचीन कपलेश्वर मंदिर को भी एक चर्च बनाने के लिए बर्बाद कर दिया।
उनका अगला लक्ष्य, मैंगलोर का अत्यन्त लाभदायक बंदरगाह।

उनकी एकमात्र बुरी किस्मत, *मैंगलोर से केवल 14 किलोमीटर दक्षिण में उल्लाल का छोटा सा राज्य था - तब 30 वर्षीय महिला - अब्बाका चौटा द्वारा शासित।*

शुरुआत में, उन्होंने उसे हल्के से लिया और कुछ नौकाओं और सैनिकों को पकड़ने और उसे वापस गोवा में लाने के लिए भेजा - वे नौकाए कभी वापस नहीं आई।
आश्चर्य और गुस्से में, प्रसिद्ध एडमिरल डोम अलवारो दा सिल्वीरा के आदेश के तहत उन्होंने इस बार जहाजों का एक बड़ा बेड़ा भेजा, जल्द ही बुरी तरह घायल होकर एडमिरल खाली हाथ वापस लौटा।
उसके बाद, एक और पुर्तगाली बेड़ा भेजा गया - उल्लाल सैनिक दल से केवल कुछ घायल हुए तथा इसे बेड़े को वापस करने में कामयाब रहे।
तब पुर्तगालियों ने मैंगलोर बंदरगाह और किले को वैसे भी कब्जा करने के लिए आगे बढ़े, शायद मैंगलोर किले की सुविधाजनक दूरी से श्रीमती चौटा से निपटने की योजना बना रहे थे।

मैंगलोर के सफल कब्जे के बाद, एक अनुभवी पुर्तगाली जनरल जोआओ पिक्सोटो के तहत एक विशाल सेना उल्लाल को भेजी गई थी।
उनका लक्ष्य था उल्लाल पर कब्जा और अब्बाका चौटा को पकड़ना।
योजना सुदृढ़ थी एक 30 वर्षीय महिला कुछ सैनिकों के साँथ हजारों की संख्या वाले तथा उन्नत हथियारों से युक्त विशाल सेना के आगे नहीं टिक सकती।

पुर्तगाली उल्लाल पहुंचे और इसे वीरान पाया। अब्बाका कहीं भी नहीं थी। वे घूमते हुए, आराम से और अपने सितारों का शुक्रिया अदा कर रहे थे - बस जब वे इसे जीत मानने वाले थे - श्रीमती चौटा ने अपने चुने हुए पुरुषों के साथ हमला किया - वहां चारों ओर भयंकरता थी और कई पुर्तगाली ने बिना किसी लड़ाई के अपने जीवन खो दिए - जनरल जियोओ पिक्सोटो की हत्या कर दी गई थी, 70 पुर्तगाली कब्जे में थे और बाकी बस भाग गए थे।

तो अगर आप अब्बाका चौटा होते, जिन्होंन अभी अभी आक्रामकों की एक बड़ी सेना को हराया है, एक सेनापति सहित कई सेनानियों को मार गिराया है और अपने शहर का बचाव किया है- आप क्या करेंगे? - आराम करें और पल का सही आनंद लें? - यही? - नहीं!
रानी अब्बाका चौटा ने, उसी रात मैंगलोर की ओर अपने पुरुषों के साथ चढ़ाई कर दी, और मैंगलोर किले की घेराबंदी कर दी - उन्होंने सिर्फ किले के अंदर सफलतापूर्वक प्रवेश ही नहीं किया -बल्की वहां पुर्तगाली शक्ति के प्रमुख एडमिरल मस्करेनहास की हत्या कर दी और शेष पुर्तगाली को किला खाली करने के लिए मजबूर कर दिया।
वह इस पर ही नहीं रुकीं वरन मैंगलोर के उत्तर में 100 किलोमीटर दूर कुंडापुर में पुर्तगाली राज्य पर कब्जा करने के लिए चल पढ़ी।अंततः पुर्तगालियों ने पैसों का लालच देकर उनके पति के साथ संधि कर ली तथा पतिके विश्वासघातके कारण अब्बक्का हार गर्इं, वह पकडी गर्इं तथा उन्हें कारागृहमें रखा गया । किंतु कारागृहमें भी उन्होेंने विद्रोह किया तथा लडते-लडते ही अपने प्राण त्याग दिए ।

*अब्बाका चौटा एक जैन थीं जिन्होंने 1857 की प्रथम क्रांति से 300 साल पहले हिंदुओं और मुस्लिम दोनों सेनाओं के साथ पुर्तगाली के खिलाफ लड़ाई की था।*

हमारे सम्मान और कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में हम भारतीयों ने उनके साथ क्या किया? - हम बस उसे भूल गए।
हमने उनके नाम पर अपनी बच्चियों के नाम नहीं रखे। हमने उनकी कहानियां अपने बच्चों को भी नहीं सिखाई। हां हमने उसके नाम पर एक डाक टिकट जारी किया, उसके बाद एक नाव को उनका नाम दिया और 2 मूर्तियों का निर्माण किया - हां, पूरे भारत में केवल 2 मूर्तियां जो हमारे राष्ट्रीय नायक बनी।
हमारी पाठ्य पुस्तकों में उनके बारे में कोई अध्याय नहीं है शायद वह कोई यूरोपीय अमेरिकी नहीं थी इसलिए।
हमारी एक बेटी ने पुर्तगालियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। हमें शोक है, हमारी पीढ़ी ने एक महान नायक खो दिया है - प्रेरणा का एक महान स्रोत।

मुझे अभी भी आश्चर्य है कि आज तक हमने इस महान वीरांगना के बारे में कुछ क्यों नहीं सुना था।

https://www.hindujagruti.org/hindi/h/94.html

https://en.m.wikipedia.org/wiki/Abbakka_Chowta

https://en.wikipedia.org/wiki/Chowta

Source: © Facebook

Video

Source: © Facebook

अतिशय क्षेत्र नेमगिरी के श्री नेमिनाथ भगवन् का अभिषेक में आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज ससंघ 😊🙏

तुमसे लागी लगन.. आया तेरी शरण.. नेमी प्यारे..

हम सुगंध में तो फूल जाते हैं, लेकिन दुर्गंध के समय नाक से सिकोड़ना या नाक बंद करना, यह सम्यकदृष्टि का स्वभाव नहीं है। वीतराग सम्यकदर्शन का स्वरुप वही है कि-किसी भी पदार्थ में सुगंध या दुर्गंध के आने पर समताभाव बनाए रखना।

✍🏻आचार्य विद्यासागर जी महाराज

Source: © Facebook

News in Hindi

कल नांदगांव महाराष्ट्र में साकोरा गांव में चतुर्दशी के दिन भूगर्भ से शांतिनाथ भगवान की प्रतिमा निकली। ये प्रतिमा ईसवी सन 1336 की है।

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Sources
Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Jaina Sanghas
    • Digambar
      • Acharya Vidya Sagar
        • Share this page on:
          Page glossary
          Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
          1. Delhi
          2. New Delhi
          3. आचार्य
          4. गुजरात
          5. दर्शन
          6. महाराष्ट्र
          7. सागर
          Page statistics
          This page has been viewed 371 times.
          © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
          Home
          About
          Contact us
          Disclaimer
          Social Networking

          HN4U Deutsche Version
          Today's Counter: