17.07.2018 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 17.07.2018
Updated: 18.07.2018

Update

👉 चैन्नई - दीक्षार्थी मंगल भावना समारोह

💥 मुमुक्षु अंकिता, मुमुक्षु खुशबू व मुमुक्षु हेतल, का मंगल भावना समारोह
💥 पूज्यवर के सान्निध्य में आयोजित होगा कल दीक्षा समारोह

दिनांक 17-07-2018

प्रस्तुति -🌻 *संघ संवाद* 🌻

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👉 अहमदाबाद(कांकरिया) - चातुर्मासिक मंगल प्रवेश
👉 अहमदाबाद(कांकरिया) - सामुहिक जनमोत्स्व का आयोजन
👉 जयपुर शहर - कन्या सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन
👉 टिटिलागढ - एक कदम स्वच्छता की ओर का माड्यूल 9 एवं 10 का कार्यक्रम
👉 जयपुर - जैन संस्कार विधि से गृह प्रवेश
👉 कांलावाली - दो दिवसीय संस्कार निर्माण शिविर का आयोजन
👉 के जी एफ - मुनिवृन्द का भव्य मंगल प्रवेश
👉 कटला रामलीला - महासभा की संगठन यात्रा

प्रस्तुति -🌻 *संघ संवाद* 🌻

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अध्यात्म के प्रकाश के संरक्षण एवं संवर्धन में योगभूत तेरापंथ धर्मसंघ के जागरूक श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

🛡 *'प्रकाश के प्रहरी'* 🛡

📜 *श्रंखला -- 31* 📜

*किसनमलजी भंडारी*

*चालाकी चली नहीं*

किसनमलजी राज्यकोष का कार्य बहुधा अपने घर पर रहकर ही किया करते थे। उनके द्वारा किए गए आदेशों की क्रियान्विति कोष में ही सेवारत उनके चचेरे भाई रिखबदासजी भंडारी करते थे। एक बार एक अंग्रेज ने उन्हें धोखा देना चाहा। वह पूना में अंग्रेजों की एक कंपनी का अधिकारी था। वह कंपनी राज्य के घोड़ों तथा व
बग्घियों आदि के लिए चमड़े की साज-सज्जा की आपूर्ति किया करती थी। उस कंपनी द्वारा कुछ सामान भेजा गया। उनके बिल का विधिवत् भुगतान कर दिया गया। भुगतान लेने आए अंग्रेज ने जब देखा कि बिल को 'पास' तो भंडारीजी अपने निवास स्थान पर करते हैं और उसका भुगतान कोषागार से किया जाता है, तो उसके मन में पाप समा गया। उसने सोचा— ऐसी स्थिति में हिसाब-किताब शायद ही व्यवस्थित रखा जाता होगा, अतः क्यों न इससे लाभ उठाया जाए?

वह अंग्रेज चार महीने के अंतराल से पुनः जोधपुर आया और महाराजा सर प्रतापसिंह के वहां ठहरा। नए बनाए बिल पर उसने नरेश से शीघ्र भुगतान का आदेश प्राप्त कर लिया और फिर भंडारीजी की हवेली पर आया। भंडारीजी के सम्मुख राजाज्ञा के साथ अपना बिल प्रस्तुत करते हुए उसने कोषागार से भुगतान की राशि प्राप्त करने का आदेश लेना चाहा। भंडारीजी को याद था कि उक्त बिल का भुगतान किया जा चुका है, अतः वे ताड़ गए कि यह दोबारा भुगतान करवाने का षड्यंत्र है। उन्होंने उस बिल को रोकते हुए कहा— "आज तो भुगतान नहीं किया जा सकेगा। आप कल आइएगा।" अंग्रेज ने झल्लाते हुए कहा— "मुझे वापस पूना जाने की जल्दी है, इसिलिए तो मैंने नरेश से विशेष आज्ञा प्राप्त की है। क्या नरेश के आदेश को भी आप टाल देंगे? मुझे आज ही और अभी भुगतान मिलना चाहिए।"

भंडारीजी ने कहा— "नरेश का आदेश सिर आंखों पर है, परंतु मेरी कुछ विवशताएं हैं, अतः आज तो यह भुगतान नहीं हो पाएगा।"

अंग्रेज भंडारीजी के उस रूखे व्यवहार से तिलमिला उठा। उसने तत्काल जाकर नरेश को शिकायत की कि भंडारीजी तो स्वयं को आप के आदेश से भी ऊपर समझते हैं।

भारत में उस समय अंग्रेजों का राज्य था। जन साधारण से लेकर नरेश तक सभी उनका आदर करते थे। ऐसी स्थिति में भंडारीजी द्वारा की गई अंग्रेज की उपेक्षा और अपने आदेश की अवमानना नरेश को काफी चुभी। उन्होंने भंडारीजी को तत्काल उपस्थित होने का आदेश भिजवाया।

*भंडारीजी ने नरेश के सम्मुख अपनी बात की सत्यता किस प्रकार प्रमाणित की...?* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙

📝 *श्रंखला -- 377* 📝

*आस्था-आलम्बन आचार्य अभयदेव*
*(नवांगी टीकाकार)*

*कार्यकाल की कठिनाइयां*

आगमों पर टीका लिखते समय आचार्य अभयदेवसूरि के सामने अनेक कठिनाइयां थीं। स्थानांग वृत्ति की प्रशस्ति में उन्होंने कार्यकाल की कठिनाइयों का उल्लेख निम्न शब्दों में किया है—

*सत्सम्प्रदाय हीनत्वात् सदूहस्य वियोगतः।*
*सर्वस्वपरशास्त्राणामदृष्टेरस्मृतेश्च मे।।1।।*
*वाचनानामनेकत्वात् पुस्तकानामशुद्धितः।*
*सूत्राणामतिगाम्भीर्याद् मतभेदाच्च कुत्रचित्।।2।।*
*(स्थानांग वृत्ति, प्रशस्ति)*

इस पद्य के वर्णनानुसार इस समय अभयदेवसूरि के सामने सत्संप्रदाय का अभाव था। अर्थात् अर्थबोध की सम्यक गुरु परंपरा उन्हें प्राप्त नहीं थी। अर्थ की यथार्थ आलोचनात्मक स्थितियां और तर्कपूर्ण व्याख्या नहीं थी। आगमों की अध्यापन पद्धतियां भिन्न-भिन्न थीं। आगमों की प्रतिलिपियों में अनेक गलतियां थीं। शुद्ध प्रति खोजने पर भी उपलब्ध नहीं होती थी। आगम सूत्रात्मक होने के कारण गंभीर थे। अर्थ विषयक नाना धारणाएं थीं। आगे अभय देव लिखते हैं—

*क्षूण्णानि सम्भवन्तीह, केवलं सुविवेकिभिः।*
*सिद्धान्तानुगतो योऽर्थ योऽस्माद् ग्राह्यो न चेतरः।।3।।*
*(स्थानांग वृत्ति, प्रशस्ति)*

इससे अभयदेवसूरि की शुद्ध नीति का परिचय मिलता है।

सिद्धांतों के समुचित अर्थ हेतु इन कठिनाइयों के होते हुए भी अभयदेवसूरि के गतिमान चरण आगे से आगे बढ़ते रहे। मार्ग बनता गया।

*द्रोणाचार्य का सहयोग* आचार्य अभयदेव को टीका रचना में द्रोणाचार्य का सहयोग प्राप्त हुआ था। द्रोणाचार्य चैत्यवासी आचार्य थे। वे बहुश्रुत थे, आगमधर थे एवं स्व-पर दर्शन के विशिष्ट ज्ञाता थे। द्रोणाचार्य की ओघ निर्युक्ति टीका के अतिरिक्त उनकी कोई टीका उपलब्ध नहीं है।

अभयदेवसूरि सुविहितमार्गी थे। द्रोणाचार्य का संबंध चैत्यवासी परंपरा से होते हुए भी अभयदेवसूरि के प्रति उनका विशेष सद्भाव था। अभयदेवसूरि भी द्रोणाचार्य के आगम ज्ञान से प्रभावित थे। द्रोणाचार्य जब अपने शिष्यों को आगम वाचना प्रदान करते उस समय स्वयं अभयदेवसूरि उनसे आगम वाचना लेते। गण भिन्नता ज्ञान ग्रहण में बाधक नहीं थी।

अभयदेवसूरि को द्रोणाचार्य खड़े होकर सम्मान देते और उनको अपने पास आसन प्रदान करते। द्रोणाचार्य का अभयदेवसूरि के प्रति आदर भाव द्रोणाचार्य के शिष्यों में ईर्ष्या का विषय बन गया। शिष्य कुपित होकर कभी-कभी परस्पर चर्चा करते।

*अहो केन गुणेन एव अस्मभ्यमधिकः येन अस्मन्मुख्योऽपि अयं द्रोणाचार्यः अस्य एवंविधमादरं दर्शयति*
*(गणधर सार्ध शतक, पत्र 14)*

इस अभयदेव में हमारे से अधिक कौन सी विशेषता है जिसके कारण हमारे प्रमुख द्रोणाचार्य खड़े होकर इस प्रकार का समादर अभयदेव को प्रदान करते हैं।

शिष्यों के मन में उठने वाले प्रश्नों को द्रोणाचार्य मनोवैज्ञानिक ढंग से समाहित करते और उनके सामने आचार्य अभयदेव के गुणों एवं विशेषताओं का वर्णन करते।

अभयदेवसूरि की टीकाओं का जिस विद्वन् मंडली ने संशोधन किया था उनमें द्रोणाचार्य प्रमुख थे। अभयदेवसूरि ने अपनी टीका की प्रशस्ति में द्रोणाचार्य का आदर भाव से उल्लेख किया है।

*आस्था-आलम्बन आचार्य अभयदेव द्वारा रचित साहित्य* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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🌱 *अणुव्रत* 🌱

🔹 संपादक 🔹
*श्री अशोक संचेती*

🎈 *जुलाई अंक* 🎈

🏮 पढिये 🏮
समाधायक स्तम्भ
*समाधान*
में
प्रयोक्ताओं की जिज्ञासाओं
पर प्रदत्त
अणुव्रत अनुशास्ता
के
समीचीन समाधान
🌼
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🔅 *अणुव्रत सोशल मीडिया* 🔅
संप्रसारक
🌻 *संघ संवाद* 🌻
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News in Hindi

⛩ फतेहाबाद (हरियाणा):

👉 *भारत के राष्ट्रपति महामहिम श्री रामनाथ कोविंद जी की गरिमामयी उपस्थिति में* हरियाणा के राज्यपाल माननीय श्री कप्तानसिंह जी द्वारा मेगा ब्लड डोनेशन ड्राइव के बैनर का विमोचन

👉 विमोचन हेतु मंच पर अभातेयुप के पूर्व सहमंत्री श्री संजय जैन मौजूद

👉 राष्ट्रपति महामहिम श्री कोविंद जी को "सुखी परिवार समृद्ध राष्ट्र" पुस्तक की प्रति भेंट
💧
ज्ञातव्य है कि *24 सितम्बर, 2018 से अभातेयुप द्वारा देश भर में रक्तदान शिविर* लगाए जाएंगे..

प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻

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🌈 *"अहिंसा यात्रा" के बढ़ते कदम..*
https://www.facebook.com/SanghSamvad/

👉🏻 आज *17 जुलाई 2018* का प्रवास -

*प्रात:कालीन प्रवास*
Rajesh Kothari
G-67,12th Street,Anna Nagar East, Chennai,600102, Behind Chintamani,

लोकेशन जानने के लिए नीचे दिए गये लिंक पर क्लिक करें।
https://goo.gl/maps/FmAkw9rtdW42

*प्रवचन स्थल*
AMMA ARANGAM CKNC
C Kandaswami Naidu College
E7, III Avenue, Block E, Annanagar East, Chennai 600102

लोकेशन जानने के लिए नीचे दिए गये लिंक पर क्लिक करें।
https://goo.gl/maps/SVVabRCKDe12

*प्रवचन पश्चात दिन का प्रवास*
Umedsingh ji Bokaria
45, 10th St, R.V. Nagar, Block I, Annanagar East, Chennai, Tamil Nadu 600102

लोकेशन जानने के लिए नीचे दिए गये लिंक पर क्लिक करें।
https://goo.gl/maps/SgPEE49YHHC2

*रात्रिकालीन प्रवास*
Dadawadi Jain Temple
370, Konnur High Road, Ayanavaram, Chennai, Tamil Nadu 600012
044 2674 6293

लोकेशन जानने के लिए नीचे दिए गये लिंक पर क्लिक करें।
https://goo.gl/maps/qjWKXuQ1KN52

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
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👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ

प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन

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Sources

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  1. Ayanavaram, Chennai
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