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27 जुलाई, कल गुरु पूर्णिमा है। पूर्णिमा पूर्णता की प्रतीक है। पूर्णिमा के दिन जब आकाश में पूरा चन्द्रमा होता है; ध्यान, कायोत्सर्ग, योग, प्राणायाम या ईश्वरीय उपासना की क्रियाएं विशेष लाभप्रद होती हैं। इस दिन ब्रह्माण्ड में सतो गुण की प्रधानता रहती है। पूर्णिमा को जिस प्रकार चन्द्रमा पूरी तरह खिला रहता है और ज्योत्सना व शीतलता से लबरेज रहता है, व्यक्ति का स्वयं का "औरा" आभामण्डल भी पूरी तरह विकसित होता है। मस्तिष्क/दिमाग और चन्द्रमा का परस्पर गहरा संबंध है। मस्तिष्क अथवा दिमाग से हमारा अभिप्राय है- व्यक्ति की चेतना, भावना और कामना। चन्द्रमा की कलाएं न केवल पृथ्वी, जल, आकाश (तेजोवह तत्त्व), अग्नि व वायु को प्रभावित करती है, अपितु मानव मस्तिष्क को भी सीधे-सीधे प्रभावित करती है। चन्द्रमा के वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक, परामनोवैज्ञानिक, ज्योतिषीय एवं गणितीय महत्त्व से इंकार नहीं किया जा सकता है। पूर्णिमा के दिन "रैकी" व "हिलिंग" क्रियाओं का स्वास्थ्य की दृष्टि से विशेष प्रभाव होता है। पूर्णिमा के दिन दिमाग भी हल्का रहता है और व्यक्ति के आभामण्डल में उसकी प्रकृति व भावनाओं के अनुरूप तरंगें अनवरत रूप से बहती रहती हैं। इसलिए पूर्णिमा का दिन हमारी चिकित्सा पद्धति में विशेष महत्व रखता है.
विभिन्न धर्म शास्त्रों में ऐसे कई सूत्र हैं और सौरमंडल में ऐसी कई सकारात्मक सात्विक ऊर्जा तरंगें हैं, जिनके माध्यम से सामान्य साधना द्वारा गंभीर से गंभीर बीमारियों का उपचार किया जा सकता है और व्यक्ति प्रसन्नता पूर्वक अपना जीवन निर्वाह कर सकता है। जैन सूत्रों का विशेष विधि से उच्चारण, जैन धर्म में "शक्रस्तव-णमोत्थुणं", लोगस्स, भक्तामर स्त्रोत, उव्वस्सग्गहर स्त्रोत, णमोकार मंत्र आदि कई ऐसी साधना विधियां हैं, जिनकी उपासना से उठने वाली तरंगें, सौरमंडल में यत्र-तत्र फैली हुई अरिहंतों की ऊर्जा तरंगों तक पहुंच सकती है, अरिहंतों की सेवा में लगे कई देवी-देवताओं और सिद्धियों को ये तरंगें प्रभावित कर सकती हैं, जिनसे हमारे कष्टों का निवारण संभव है। हमारी भाव-तरंगें और विचार-तरंगें उन्हें अपनी ओर आकृष्ट करती हैं।
वेदों की ऋचाओं, उपनिषदों और पुराणों में भी इस प्रकार के कई सूत्र हैं और उनकी साधना की कई प्रकार की विधियां हैं, यदि व्यक्ति निष्काम भाव से उनकी साधना करे तो वह कई प्रकार की सिद्धियां प्राप्त कर सकता है।
समुद्र में होने वाला ज्वार-भाटा चन्द्रमा की कलाओं के आधार पर ही होता है। चन्द्रमा पानी को अपनी ओर खींचता है। मानव शरीर और मस्तिष्क में भी पानी की मात्रा सर्वाधिक होती है। इसी प्रकार गुरुत्वाकर्षण की शक्ति पूरी तरह वैज्ञानिक है। वह क्या है? किस प्रकार इस शक्ति से सूर्य-चन्द्र-पृथ्वी और सौरमंडल के सभी ग्रह-नक्षत्र बंधे हुए हैं और परिभ्रमण करते हैं, इसे समझना चाहिए। यह भी कि मानव व अन्य जीवों पर इसका किस प्रकार प्रभाव होता है। इसके मद्देनजर भी हम अपनी उपासना का क्रम बना सकते हैं। ब्रह्माण्ड में मौजूद ग्रह, उपग्रह, सौरमंडल के तारे आदि सभी ऊर्जा तरंगें छोडते हैं, लेकिन इन सभी तरंगों में सर्वाधिक प्रभावशाली तरंगें चन्द्रमा की होती है, जो इंसान ही नहीं जानवरों के दिमाग को भी प्रभावित करती है। ये तरंगें व्यक्ति के चेतन मन को ही नहीं, अवचेतन मन को भी प्रभावित करती है और कई-कई जन्मों के संस्कारों को व्यक्ति के चेतन मन पर ला देती है। इसे सही या गलत दिशा देना व्यक्ति पर निर्भर करता है। यदि वह शुभ भावों से युक्त होकर ध्यान, कायोत्सर्ग अथवा ईश्वरीय उपासना करता है तो उसे सकारात्मक ऊर्जा तरंगें मिलती है, जिसके मनवांछित शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं।
वैसे भी गुरु पूर्णिमा का अपना बहुत महत्व है...!
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⛳ _*जैन चातुर्मास पर्व / Jain Chaturmas Festival*_
☔ "जैन चातुर्मास पर्व" विश्व में सर्वाधिक समय तक चलने वाला पर्व है, जो सम्पूर्ण वर्ष के एक तिहाई भाग यानि बारह महीनों में से चार महीनों तक मनाया जाने वाला यह *अकेला ऐसा पर्व / समारोह है। यह गिनीज बुक में दर्ज होना चाहियें l
☔ "जैन चातुर्मास पर्व" विश्व में अकेला ऐसा पर्व है, जिसमें राग का समावेश नहीं, वीतरागता का समावेश है l
☔ "जैन चातुर्मास पर्व" शारीरिक आनंद का नही, आत्मा के आनंद का पर्व है l
☔ "जैन चातुर्मास पर्व" घूमने फिरने का नही, एकांतवास का पर्व है l
☔ "जैन चातुर्मास पर्व" पर्व की खुशियाँ मनाने के लिए बार बार विविध आइटम्स खाने का नही, बल्कि एकासना, आयम्बिल या उपवास रखने का पर्व है l
☔ "जैन चातुर्मास पर्व" होटल, मॉल में जाकर सांसारिक खुशियाँ मनाने का नही, आराधना भवन जाकर आत्मिक खुशियाँ मनाने का है l
☔ "जैन चातुर्मास पर्व" थियेटर में जाकर सिनेमा देखने का पर्व नही, जिनालय में जाकर वीतराग प्रभु को निहारने का पर्व है l
☔ "जैन चातुर्मास पर्व" यहाँ-वहाँ घूमकर समय की बर्बादी का पर्व नही, समय का सद् उपयोग कर गुरुवाणी सुनकर जीवन में धारण करने का पर्व है l
☔ "जैन चातुर्मास पर्व" संसार के भँवर में फ़साने वाला नही, संसार सागर से तिराने वाला पर्व है l
✍🏼 *शुभेच्छा -* "चातुर्मास पर्व 2018" आप सभी की आत्मोउन्नति का मार्ग बने, गुरुदेव द्वारा प्रदत्त महावीर वाणी का अनुकरण और आराधना आपके जैनत्व के विकास में सहायक बनें, वीतराग धर्म के मर्म को समझते हुए सच्चे श्रावक-श्राविका बनें, सम्यग् दर्शन-ज्ञान-चारित्र और तप को जीवन में धारण करते हुए क्रमश स्वर्ग, महाविदेहधाम और मोक्ष मार्ग अनुगामी बनें -
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News in Hindi
धन तो खूब कमाया,आठों मास,
अब धर्म करने के लिए आया है #चातुर्मास,
मित्रों,सावन की झड़ियों में तप की बहार है,
भादरवा की हरियाली में #पर्युषण का श्रृंगार है,
आसोज की ओली में,नवजीवन का निर्माण है,
और कार्तिक के दीप में,प्रभु वीर का निर्वाण है।
आप सभी पुण्यशालियों को चातुर्मास प्रारंभ होने के पावन अवसर पर पुष्करवाणी परिवार की तरफ से ढ़ेर सारी बधाईयाँ,और हार्दिक शुभकामनायें।
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ग़लत पासवर्ड से एक *छोटा सा मोबाइल* नहीं खुलता,
तो *ग़लत कर्मो* से स्वर्ग के दरवाज़े* कैसे खुलेंगे..!!
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