Update
ऐसी आधुनिकता किस काम की जिसमें मानवीय संवेदनाओ के लिए कोई जगह ही ना हो।
एक एकलौती बेटी अपनी माँ के अंतिम संस्कार के लिए अहमदाबाद से पालघर (महाराष्ट्र) नहीं आई, वीडियो काॅल से माँ का अंतिम संस्कार देखा और कोरियर से माँ की अस्थियां मंगवाई।
https://www.jansatta.com/rajya/maharashtra-daughter-joins-mother-funeral-through-video-call-and-books-ashes-from-courier/747745/
इंडिया में यहां वीडियो कॉलिग से हुआ अंतिम संस्कार, कुरियर से मंगवाईं अस्थियां
अब वीडियो कॉलिंग सुविधा का इस्तेमाल अंतिम संस्कार कराने के लिए भी होने लगा है। यह अजीबो-गरीब मामला महाराष्ट्र के प...
Update
*तुरंत आवश्यकता है*
(1) *एक इलेक्ट्रिशियन*: जो ऐसे दो व्यक्तियों के बीच कनेक्शन कर सके जिनकी आपस में बातचीत बन्द है।
(2) *एक ऑप्टिशियन*: जो लोगों की दृष्टि के साथ दृष्टिकोण में भी सुधार कर सके।
(3) *एक चित्रकार*: जो हर व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान की रेखा खींच सके।
(4) *एक राज मिस्त्री*: जो दो पड़ोसियों के बीच पुल बनाने में सक्षम हो।
(5) *एक माली*: जो अच्छे विचारों का रोपण करना जानता हो।
(6) *एक प्लम्बर*: जो टूटे हुए रिश्तों को जोड़ सके।
(7) *एक वैज्ञानिक*: जो दो व्यक्तियों के बीच ईगो का इलाज खोज सके।
और सबसे महत्वपूर्ण:
(8) *एक शिक्षक*: जो एक दूसरे के साथ विचारों का सही आदान प्रदान करना सिखा सके।
(9) *एक डॉक्टर* जो सब के दिलों में से नफरत, जलन, क्रोध निकाल कर मोहब्बत और भाईचारा ट्रांसप्लांट कर दे ।
(10) *एक जज* जो धर्म, जाति, पैसा के वर्चस्व को समाप्त कर मानवता और समानता के आधार पर न्याय कर सके ।
*आज इन सभी व्यक्ति की समाज को अत्यन्त आवश्यकता है।*
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Source: © Facebook
*मराठी-जैन विवाद* इस शीर्षक से ABP माझा न्यूज़ चैनल पर 25 अगस्त 2018 को मनसे अध्यक्ष *राज ठाकरे का वक्तव्य* आया है.
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आज 27 अगस्त 2018 को पूज्यवर गुरुजी, समाज हितचिंतक, *आचार्य श्री विमलसागरसूरिजी महाराज ने राज ठाकरे व ABP माझा को उसका प्रत्युत्तर दिया है.*
प्रस्तुत है पूज्यश्री के उस पत्र का प्रारूप:
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*आदरणीय राज ठाकरेजी* (MNS)
हार्दिक शुभ कामनाएं.
• मैं एक जैन आचार्य हूं. मेरा अधिकांश प्रवास महाराष्ट्र और मुम्बई में रहा है. मैं कट्टर राष्ट्रवादी हूं. पर आपकी ज्यादातर बातों से सहमत नहीं हूं. आपकी बातें नैतिक, तार्किक और व्यवहारिक धरातल पर सही नहीं हैं.
• *सत्ता पाने के लिए मराठी के नाम पर आपने और उद्धवजी ने महाराष्ट्र को और हिंदुस्तान को कमज़ोर किया है.* आप दोनों, बात तो राष्ट्रवाद की कर रहे हो, लेकिन मराठीवाद से अब तक आप ऊपर नहीं उठ पाये हो. वरना आप हिंदुस्तान के नेता होते! *इतने वर्षों में भी आप मराठी लोगों का भला नहीं कर सके!*
• माना कि गुजराती और राजस्थानी तो कमज़ोर हैं. उत्तरप्रदेश, बिहार, बंगाल, झारखंड और दक्षिण भारतीयों की तरह वे कभी लड़ाई नहीं करेंगे. *लेकिन आप तो बात-बात में धाक-धमकी, लड़ाई-झगड़े, मार-पीट, लूंट-फांट पर उतर जाते हो.* ऐसे सैकड़ो प्रसंगों का मैं साक्षी हूं.
• मुझे बहुत अफसोस है कि *मां भवानी के भक्त हिन्दू होकर भी आप हम सबको कमजोर कर रहे हो. फिर आप पर विश्वास कैसे करें?* कोई सफल नेता तब बनता है, जब लोगों का उस पर विश्वास बनता है.
• सबको बोलने का अधिकार है. कोई जैन मुनि कुछ बोल गए तो उसके लिए पूरे समाज को आप गालियां नहीं दे सकते. हमेशा आप दोनों ठाकरे भाई गुजराती-मारवाड़ी को बुरा कहते रहते हो. *आखिर जैन लोगों ने महाराष्ट्र का क्या बुरा किया है?*
• पेशवाओं, मराठाओं से लगाकर अब तक का सैकड़ों वर्षों का इतिहास देखिये. *जैन समाज तो महाराष्ट्र में दूध-शक्कर की तरह रहा है.*
• राजनीति से ऊपर उठकर सोचिये. *थप्पड़ मारकर आप किसी का वोट नहीं ले सकते.* क्यों हिन्दू और हिंदुस्तान को कमजोर कर रहे हो?
• जैन समाज मे 16,000 साधु-मुनि हैं. मुसलमानों की तरह जैन समाज में फतवे जारी नहीं होते. किसी एक मुनि की बात को सब मान भी नहीं लेते.
• आप दोनों भाइयों के साथ जैन समाज स्वयं को असुरक्षित महसूस करता होगा. शायद इसलिए वो BJP की ओर देखता है. *राजनेता हो तो राजधर्म मत भूलो.* लोकतंत्र में इस प्रकार सफल राजनीति नहीं होती.
• मांसाहार कम होगा तो महाराष्ट्र का भला ही होगा, बुरा नहीं होगा. महाराष्ट्र और मुम्बई मांसाहार के भरोसे प्रगति नहीं किये हैं.
• *जैन शाकाहार और सुरक्षा की वजह से अपनी सोसाइटी में रहते हैं.* किसी मराठी या महाराष्ट्र को वे दुश्मन नहीं मानते. वे मांसाहार के बीच जी नहीं सकते हैं, यह उनकी मजबूरी है. *लेकिन वे सात्विक और शाकाहारी हैं, यह उनका अपराध नहीं हैं!*
• जैन कोई महाराष्ट्र से कमाई कर राजस्थान या गुजरात में भाग नहीं जाते. वे महाराष्ट्र में ही खर्च करते हैं. जो महाराष्ट्र में रह गए हैं, वे इसे अपनी कर्मभूमि मानते हैं. मैं स्वयं महाराष्ट्र को मेरी पुण्यभूमि समझता हूं.
• *मुम्बई और महाराष्ट्र में जैन समाज के क्राइम का रिपोर्ट देखिये. वो 0.3 प्रतिशत भी नहीं हैं.* जैन गंदगी भी कम करते हैं. फिर वे महाराष्ट्र के लिए खतरनाक कैसे हैं?
• रही बात जैनों की कमाई की. तो वे अपनी मेहनत से धन कमा रहे हैं, किसी का मर्डर कर या वेश्यावृत्ति कर कमाई नहीं कर रहे.
• *पैसा तो आपके पास भी बहुत है? आप भी तो बहुत धनवान हो! फिर आधे से अधिक मराठी आज भी गरीब क्यों हैं?*
• उचित समझें तो आपका संपर्क नंबर दीजिये. मैं एक-एक मुद्दे पर आपसे बात करने को तैयार हूं. महाराष्ट्र के कम से कम 10,00,000 जैन तो मेरी बात आसानी से सुन लेंगे.
मेरी बातों से आपको बुरा लगें तो क्षमा करें.
*–आचार्य विमलसागरसूरि,* पालीताना-गुजरा
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बीज की यात्रा वृक्ष तक है।
नदी की यात्रा सागर तक है।
और
मनुष्य की यात्रा परमात्मा तक..
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लोग कहते है अगर हाथों की लकीरें अधूरी हो तो किस्मत अच्छी नहीं होती
लेकिन हम कहते है की सर पर हाथ हो अगर
" गुरू पुष्कर " का तो लकीरों की ज़रूरत नहीं होती ।
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