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कृष्ण की महोब्बत राधा का प्यार
न बांट सके इसे धर्म के ठेकेदार
नहीं ही धर्म और मजब बन सका इसके बंटवारे का आधार
बाकई अनमोल है इस मां का प्यार
और उसे भी प्यारा है उसका नटखट नंद लाल।।
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एक शेर था जो सो गया
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जिन शासन की शान एक क्रांतिकारी संत जिन्होंने महावीर को मन्दिर से निकालकर चोराहे पर लाने का नारा दिया जिन्होंने जिनधर्म की शान का डंका बजाया ।
जो जिये तो शेर की तरह निडर जिनकी दहाड़ सीधे अन्तरआत्मा को कचोटती थी वो जब गये तो पूर्ण समाधि स॔ल्लेखना के साथ । जब तक रहे जैन धर्म के ध्वजवाहक बनकर रहे और जब गये तो सम्पूर्ण त्याग कर स॔ल्लेखनापूर्वक समाधि लेकर जाते जाते भी जैनत्व को गौरवान्वित कर गये ।
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News in Hindi
तप जप ओर साधना का चमत्कार देखिये.
देशभर की न्यूज चेनलो ने जिन जैन मुनिराज के शतावधान के प्रयोग को कवर ओर प्रसारित किया ओर जिसे देखकर दंगकर लोग रह गये.
बालमुनिराज पद्मचंद्रसागरजी के इस अकल्पनीय शतावधान प्रयोग को आप भी जरुर देखिये.
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तरुण ने गिल्ली डंडा खेलते हुए प्रवचन सुन और संत बनने की राह पकड़ ली...
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आगामी चौबीसी में 12 वें तीर्थंकर श्री अमम नाथ बनने वाले वासुदेव श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की बधाई ।
आज भगवन का 5245 वाँ जन्मोत्सव है ।
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#दैनिक_जागरण और #अमर_उजाला न्यूज़ पेपर ने किया #जैनसमाज की भावनाओं के साथ खिलवाड़।
शनिवार को मुनि श्री तरुण सागर जी महाराज के देवलोक गमन होने के पश्चात् उनकी अंतिम क्रियाओं के लिए #बोली लगने की झूठी एवं मनगढ़त खबर का प्रकाशन कर #जैनसमाज का किया #अपमान।
पहुंचाई समाज की #धार्मिक भावनाओं को ठेस।।
जबकि जो खबर छापी है वह पिछले दिनों #रूपमुनिजी के देवलोक गमन के समय पर लगी बोली की थी खबर।
जिसे तरुण सागर जी महाराज की अंतिम क्रियाओं से जोड़ दिवंगत मुनि तरुण सागर जी महाराज का अपमान किया गया।
देश के #प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्रीय सुचना एवं प्रसारण मंत्री राजवर्धन सिंह राठौड़ जी से अनुरोध एवं निवेदन है ऐसे मुखपत्रों को जो #देश और #समाज की आस्थाओं को कलंकित करते है। उन्हें #बैन किया जाये।
जैन समाज इस अपमान को कभी भी बर्दाश्त नही करेगा।
अगर कार्यवाही नही होती है तो समाज के श्रद्धालु मुनि तरुण सागर जी महाराज के सम्मान के लिए सड़कों पर उतर इन झूठे मुखपत्रों के खिलाफ प्रदर्शन करेगा।
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*जैन समाज विचार करे*
मेरा सभी साधर्मी जैन भाईयों से एक सवाल???
मुनि श्री तरुणसागर की अंतिम यात्रा में एक भी नेता नहीं आया!!
तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री करूणानिधि का निधन 94 वर्ष की उम्र में होता है एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित कर दिया जाता है, भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का लम्बी बिमारी के पश्चात 94 वर्ष की आयु मे निधन होता है तो सात दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित होता है एंव उनकी शवयात्रा मे माननीय प्रधानमंत्री सहित 23 प्रदेशों के मुख्यमंत्री, दिल्ली के सातों सांसद एंव बीजेपी के सभी सांसद व वरिष्ठ पदाधिकारी पैदल पांच से छ: किलोमीटर तक पैदल चलते हैं लेकिन इसके विपरीत एक विश्व संत दिगंबर जैन संत तरूण सागर जी महाराज का मात्र 51 वर्ष की आयु मे आक्समिक निधन होता है तो किसी भी राजनैतिक दल का कोई भी नेता, सांसद, विधायक, मुख्यमंत्री, निगम पार्षद या उनका कोई प्रतिनिधि उनके निधन पर उन्हे नमन करने या शवयात्रा मे दो कदम साथ चलने नही आया जबकि अधिकांश केन्द्रीय मंत्रियों, दिल्ली के सातो सांसदों, दिल्ली के मुख्यमंत्री,मंत्रीगण, सभी 70 विधायकों का निवास स्थान दिल्ली में ही है। सम्पूर्ण देश मे केवल प्रधानमंत्री, केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ही टविटर पर शोक संवेदना व्यक्त की। जबकि अपने वोट बैंक के लिए लगभग सभी दलों के नेतागण महाराज जी से समय समय पर आर्शीवाद लेने जाते रहे हैं।
मेरा अपने सधर्मी भाईयों से एक सवाल है कि आपके तिर्थस्थानों पर अन्य धर्मों के लोगों द्वारा कब्जा किया जा रहा है कोई भी राजनैतिक दल बचाव के लिए आगे नही आता है। सम्मेदशिखर के यात्रियो के साथ ट्रेन में मार पिटाई होती है कोई कार्यवाही नहीं होती, आपके सर्व धर्म में सर्व मान्य राष्ट्र संत का देवलोक गमन होता है तो भी इनके पास समय नही है तो क्यो हम इन राजनैतिक दलों के तलवे चाट रहे हैं। क्या अहमियत है जैन समाज की इन राजनैतिक दलों की नजरों में, क्या हम केवल इनका वोट बैंक ही है।
अगर आप स्वयं के लिए समय निकाल सके तो विचार जरूर कीजियेगा।
जैन रविन्द्र काला
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
सुभाष जैन काला
प्रदेश महामंत्री
जैन राजनैतिक चेतना मंच
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कृष्ण जन्माष्टमी विशेष
श्री कृष्ण ने कैसे तीर्थंकर नामगोत्र का उपार्जन किया?
श्री कृष्ण वासुदेव बाइसवें तीर्थंकर भगवान् श्री अरिष्टनेमि के समकालीन हुए हैं।श्री कृष्ण उनके चचेरे या मौसेरे भाई थे।
कृष्ण वासुदेव जब गर्भ में अवतरित हुए, तब उनकी माता ने14 महास्वप्न में से 7 महास्वप्न देखे क्योंकि वे वासुदेव थे, तीन खंड 16,000 देशों के स्वामी थे
वासुदेव जो भी होते हैं वे जीवन पर्यन्त एक छोटा सा त्याग नहीं कर सकते, नवकारसी नहीं कर सकते, सामयिक नहीं कर सकते।
कृष्ण वासुदेव ने जब भगवान अरिष्टनेमि से जाना संसार की नश्वरता का, वे स्वयं तो अक्षम थे, उनके कर्म का उदय ही ऐसा रहता है, तत्त्व की भाषा में उनके अप्रत्याखान, क्रोध, मान, माया, लोभ का उदय था। इस कर्म के उदय से, अप्रत्याखान कषाय के उदय से जीव त्याग नहीं कर पाता है। जब यह बात कृष्ण वासुदेव को पता चली की वे कोई त्याग नहीं कर सकते तो उन्होंने धर्म का दूसरा मार्ग प्रशस्त किया।
उन्होंने अपने सम्पूर्ण राज्य में घोषणा करवा दी की जो व्यक्ति भगवान अरिष्टनेमि के पास दीक्षित होगा, उसके परिवार का पूरा दायित्व का निर्वाह वे खुद करेंगे। जो दीक्षा लेना चाहते हैं वे निश्चिंतता से अपनी आत्मा का कल्याण करें।
इस तरह लोगों को धर्म की ओर आकर्षित करके, उनको संयम के मार्ग पर आरूढ़ करके धर्म दलाली की।
श्री कृष्ण ने अपनी पुत्री से भी कहा की उसे जीवन में रानी, महारानी या दासी क्या बनना है? पुत्री रानी, महारानी का अर्थ ना समझ पायी तो पिता से उस बात का तात्पर्य पूछा। तब श्री कृष्ण वासुदेव ने कहा की अगर वह विवाह करेगी तो जीवन पर्यन्त अपने पति की, बच्चों की, परिवार की दासी बनके रह जायेगी, उनकी सेवा करती रह जायेगी और यदि वह भगवान अरिष्टनेमि की शरण स्वीकार करेगी तो रानी, महारानी नहीं बल्कि उससे भी उत्कृष्ट सिद्ध पद को प्राप्त कर लेगी।
कृष्ण वासुदेव ने अपनी पुत्री को भी प्रतिबोधित कर, भगवान अरिष्टनेमि की शरण स्वीकार करा दीक्षा दिलाई। अपनी पत्नियों को प्रतिबोध दिया और उनको दीक्षा दिलवाई। इस धर्म की उत्कृष्ट दलाली के कारण, निस्वार्थ दलाली के कारण की," मेरे से तो त्याग नहीं होता है मगर मैं लोगों को त्याग के मार्ग पर आरूढ़ करूँ "। इसके कारण उन्होंने तीर्थंकर नामगोत्र का उपार्जन किया और आगामी चौबीसी में वे 12 वें अमम नामक तीर्थंकर बनेंगे और तीर्थ का प्रवर्तन करके भवी जीवों को तारते हुए, " तिरनाणं तारियानाणं " के कार्य को चरितार्थ करेंगे। स्वयं भी इस संसार समुद्र से तिरेंगे और दूसरों को भी तारें.
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आपका यूँ शांत हो जाना बहुत कड़वा रहा।
श्रद्धांजलि।
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जिस प्रकार पशु को घास तथा इंसान को भोजन की आवश्यकता होती हैं, उसी प्रकार भगवान को भावना की जरुरत होती हैं. प्रार्थना में उपयोग किये जा रहे शब्द महत्वपूर्ण नहीं बल्कि भक्त के भाव महत्वपूर्ण होते हैं!
मुनि तरुणसागर।
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संलेखना: जैन धर्म का सबसे बड़ा तप है मृत्यु तक उपवास
https://aajtak.intoday.in/gallery/tarun-maharaj-dies-antim-sanskar-process-in-jain-relegion-tpra-1-25480.html
संलेखना: जैन धर्म का सबसे बड़ा तप है मृत्यु तक उपवास - dharma AajTak
प्रसिद्ध जैन मुनि तरुण सागर का 51 साल की उम्र में निधन हो गया है. उन्होंने दिल्ली के शाहदरा के कृष्णानगर में शनिवार स....
प्रसिध्द समाचार पत्र @MiLOKMAT ने आज अपने संपादकीय कालम में मुनि श्री #तरुणसागर जी म को श्रद्धांजली देते हुए लिखा. राष्ट्रसंत को सुनने के लिए उमड़ता था #तरुणों का सागर।
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स्मृति में...
क्या आप जानते है, @RSSorg राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवको को चमड़े की बेल्ट का प्रयोग न करने का सुझाव #तरुणसागर मुनि जी ने दिया था, जिसके बाद संघ ने अपनी ड्रेस से चमड़े की बेल्ट हटाने का फैसला किया था । अब स्वयंसेवक कैनवास की बेल्ट इस्तेमाल करते हैं।
#TarunSagar Ji
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ज़िंदा हो आप हमारे दिलों में..
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मित्रों क्षमायाचना
फिर लगाई Facebook ने अकाउंट पर पाबंदी
Facebook ने हटाया जैनसंत तरुणसागर का फ़ोटो
फ़ोटो को बतलाया Nudity- sexual Activity
3:9:2018
Facebook अकाउंट PushkarWani पर कल (31:8:2018) को सायंकाल के समय जैनसंत मुनि श्री तरुणसागर जी म. के स्वास्थ्य को लेकर एक पोस्ट की गयी। पोस्ट के साथ मुनि श्री का फ़ोटो भी अपलोड किया गया. परंतु जैन समाज की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करते हुए Facebook ने 1 घंटे के अंदर - अंदर उस पोस्ट के लिए Msg किया कि यह पोस्ट नग्नता (Nudity- sexual Activity) में आती है इस पोस्ट को तुरंत हटा दिया जाए। और Facebook ने उस पोस्ट को हटा दिया है और चेतावनी दी है की आगे से इसे पोस्ट नहीं करें।
जैन समाज से अपील की जाती है कि इसका विरोध करें....
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