10.11.2018 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 12.11.2018
Updated: 12.11.2018

News in Hindi

Source: © Facebook

*दीक्षार्थी बरगोडा*-10 नवम्बर 2018, का वीडियो-प्रस्तुति~अमृतवाणी

*Youtube पर "Terapanth" चेनल Subscribe करने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर click करें।*

https://www.youtube.com/terapanth

Terapanth
This channel is managed by Amritvani

Video

Source: © Facebook

👉 प्रेरणा पाथेय:- आचार्य श्री महाश्रमणजी
वीडियो - 10 नवम्बर 2018

प्रस्तुति ~ अमृतवाणी
सम्प्रसारक 🌻 *संघ संवाद* 🌻

⛩ *चेन्नई* (माधावरम), महाश्रमण समवसरण में..

👉 कल आयोजित होने वाले *"भव्य दीक्षा समारोह"* में..
👉 परम पूज्य *आचार्य श्री महाश्रमण जी द्वारा दीक्षित होने जा रहे मुमुक्षुओं* की..
👉 *आज भव्य "शोभा यात्रा (वरघोड़ा)" निकली..*
👉 तदोपरांत *सभा मे परिवर्तित हुई जनमेदनी* को कृतार्थ🙏 करते *करुणानिधान..*🙏

☝ *कार्यक्रम के कुछ विशेष दृश्य..*

दिनांक: 10/11/2018

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
https://www.facebook.com/SanghSamvad/
🌻 *संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

🙏 *महावीर रै शाषण री महिमा महकावां,*
📖 *स्वामी भीखण जी रै संघ री गुण गाथा गावां,*

⛩ *चेन्नई (माधावरम्):*

👉 *कल* दिनांक 11/11/2018 को चेन्नई में *आयोजित "भव्य दीक्षा समारोह"* में *परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी द्वारा दीक्षित होने जा रहे मुमुक्षुओं* की भव्य *"शोभा यात्रा (वरघोड़ा)"* के कुछ विशेष दृश्य..

दिनांक: 10/11/2018

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
https://www.facebook.com/SanghSamvad/
🌻 *संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

🌞🔱🌞🔱🌞🔱🌞🔱🌞🔱🌞

अध्यात्म के प्रकाश के संरक्षण एवं संवर्धन में योगभूत तेरापंथ धर्मसंघ के जागरूक श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

🛡 *'प्रकाश के प्रहरी'* 🛡

📜 *श्रंखला -- 121* 📜

*श्रीचंदजी गधैया*

*मेरा नाम ले लेना*

श्रीचंदजी बड़े साहसी व्यक्ति थे। किसी के भी कठिनाई के क्षणों में सहयोग देने में वे कभी हिचकी चाहते नहीं थे। खतरे की संभावना को अपने ऊपर ले कर भी वे दूसरों का कार्य संपन्न कर देते थे। एक बार की बात है, किसी घरेलू कलह के कारण सरदारशहर के एक युवक उत्तमचंद लूनिया ने कुंड में गिर कर आत्महत्या कर ली। कई दिनों के पश्चात् उसकी लाश का पता लगा। सड़ी-गली अवस्था में उसे कुंड से बाहर निकाला गया तो सारा मुहल्ला दुर्गंध से भर गया। पुलिस को सूचित किया गया, परंतु वह बहुत समय तक नहीं आई। सभी चाहते थे कि लाश को शीघ्र उठाया जाए, परंतु पुलिस के आए बिना कोई कुछ नहीं कर सकता था। पुलिस कुछ अड़ंगा लगाने के मूड में थी। लोगों की कठिनाई में ही वह बहुधा अपनी कमाई का अवसर तलाशती है।

श्रीचंदजी को जब उक्त दुर्घटना का पता चला तो वे तत्काल वहां आए और मृत व्यक्ति के परिवार वालों से मिले। पूरी घटना की जानकारी लेने के पश्चात् उन्होंने पंचों को एकत्रित किया और पुलिस के न पहुंचने की स्थिति में उनके सम्मुख सारा विवरण लिखा। फिर सबकी सहमति से लाश को जला देने के लिए पारिवारिकों को प्रेरित किया। परिवार वाले पुलिस के संभावित हथ कंडों से संत्रस्त थे। इसलिए चाहते हुए भी वे लाश को ले जाने तथा जला देने का साहस नहीं कर पा रहे थे। श्रीचंदजी ने उनको पूर्ण आश्वस्त करते हुए कहा— "पुलिस वाले आएं तो तुम उन्हें मेरा नाम बतला सकते हो कि उन्होंने लाश उठवाई थी।" उक्त आश्वासन ने पारिवारिकों के मन में साहस जगाया। उन्होंने यथाशीघ्र तैयारी की और लाश को श्मशान भूमि में ले जाकर जला दिया।

थोड़ी देर पश्चात् पुलिस वाले वहां पहुंचे। लोगों ने उनको बताया कि आप लोग नहीं आए तब श्रीचंदजी गधैया ने पंचों से परामर्श करके लाश को उठवा दिया है।

थानेदारजी गधैया जी के उस अनाधिकृत हस्तक्षेप से बहुत झल्लाए। उन्होंने तत्काल श्रीचंदजी को थाने में बुलाया। वे वहां पहुंचे तब तक नगर के प्रायः सभी प्रमुख व्यक्ति भी उनके साथ पहुंच गए।

थानेदारजी ने नगर के प्रायः सभी प्रमुख व्यक्तियों को आया देखा तो अपनी झल्लाहट को अपने भीतर ही दबा लिया। वाणी में अप्रत्याशित मिठास भरते हुए बड़ी नम्रता के साथ उन्होंने कहा— "मैंने यह जानने के लिए आपको यहां आने का कष्ट दिया है कि लाश को आप ने ही उठवाया था न?"

श्रीचंदजी ने कहा— "हां, मैंने ही उठवाया था। पुलिस के आगमन की घंटों प्रतीक्षा की गई, परंतु वह नहीं पहुंची। सारा मुहल्ला दुर्गंध के मारे बेहाल था, अतः लाश को शीघ्र उठाना आवश्यक था। मैंने पंचों को बुलाकर उनके सम्मुख ही पूरा विवरण प्राप्त किया और लिखा है। उस पर सबके हस्ताक्षर हैं। सबकी सहमति लेकर ही मैंने लाश को उठवाया। अब आपको जो भी कार्यवाही करनी हो वह मेरे पर कर सकते हैं। मैं नरेश तक के सम्मुख अपने कार्य का उत्तर देने के लिए तैयार हूं।"

थानेदारजी ने बात को समाप्त कर देने में ही लाभ समझा, अतः नम्रता पूर्वक कहा— "सेठ साहब! आप जाइए। हमें आगे कोई कार्यवाही नहीं करनी है।"

*एक घटना के माध्यम से महान् शासन-सेवी... महान् उपासक... आचार्यों के कृपापात्र श्रावक श्रीचंदजी गधैया के विविध जीवन प्रसंगों* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
🌞🔱🌞🔱🌞🔱🌞🔱🌞🔱🌞

🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆

जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙

📝 *श्रंखला -- 467* 📝

*लोकोद्धारक आचार्य ऋषिलवजी*
*और ऋषिसोमजी*

जैन श्वेतांबर स्थानकवासी परंपरा में ऋषिलवजी ऋषि संप्रदाय के प्रभावक आचार्य थे। वे क्षमाशील, धृतिमान, शांत स्वभावी एवं कष्ट सहिष्णु थे। वे शुद्धाचार परंपरा को पुष्ट करने के लिए प्रारंभ से ही प्रयत्नशील थे। वे ऋषि परंपरा के प्रभावशाली क्रियोद्धारक आचार्य थे। ऋषिलवजी के उत्तराधिकारी ऋषिसोमजी थे।

*जन्म एवं परिवार*

ऋषिलवजी का जन्म गुजरात प्रदेशांतर्गत सूरत नगर में हुआ। उनकी माता का नाम फूलांबाई था। ऋषिलवजी की बाल्यावस्था में उनके पिता का वियोग हो गया। उनके नाना वीरजी बोरा थे। वीरजी बोरा सूरत के समृद्ध श्रेष्ठी थे। उनका गोत्र श्रीमाल था। फूलांबाई उनकी एकमात्र पुत्री थी। पति वियोग हो जाने के कारण वह पुत्र के साथ अपने पिता के यहां रहने लगीं। ऋषिलवजी को नाना से ही पिता का प्यार मिला। यहीं उनका पालन-पोषण हुआ।

*जीवन-वृत्त*

ऋषिलवजी सुंदर और बुद्धिमान बालक थे। ऋषि बजरंगी सूरत के प्रसिद्ध यति थे। वे लोंकागच्छ के थे। बोराजी का परिवार धर्म श्रवणार्थ उनके आश्रम में जाता था। फुलांबाई की प्रेरणा से लवजी ने बजरंगजी यति के पास जैनागमों का अभ्यास किया। दशवैकालिक, उतराध्ययन, आचारांग आदि सूत्रों का अध्ययन किया। शास्त्रों के अध्ययन से लवजी को संसार से विरक्ति हुई।

बोराजी के पास करोड़ों की संपत्ति थी। उसके अधिकारी लवजी थे। वैभव का व्यामोह उन्हें अपने पथ से विचलित नहीं कर सका। नाना बोराजी से आज्ञा प्राप्त कर लवजी ने बजरंगजी यति के पास वीर निर्माण 2162 (विक्रम संवत् 1692) में दीक्षा ग्रहण की। दीक्षा ग्रहण करने से पूर्व उन्होंने यतिजी को वचनबद्ध किया "आचार-विचार में भेद नहीं होने तक मैं आपके साथ रहूंगा।" यतिजी ने इसके लिए स्वीकृति प्रदान की। दीक्षा लेने के बाद दो वर्ष तक वे उनके साथ रहे। यतियों के शिथिलाचार को देखकर उनका मन ग्लानि से भर गया। उन्होंने यतिजी के साथ कई बार चर्चा की। बजरंगजी यति का आख़िरी उत्तर था "मेरी वृद्धावस्था है, मैं कठिन क्रिया का पालन नहीं कर सकता।"

लवजी ने उनसे क्रियोद्धार करने की आज्ञा मांगी। बजरंगजी यति ने प्रसन्न मन से कहा "तुम सुखपूर्वक क्रियोद्धार करो। मेरी आशीष तुम्हारे साथ है।"

बजरंगजी का आदेश प्राप्त कर लवजी ऋषि ने थोभनजी ऋषि और भानुऋषिजी के साथ सूरत से खंभात की ओर विहार किया। उन्होंने खंभात में वीर निर्वाण 2174 (विक्रम संवत् 1704) में नवीन शिक्षा ग्रहण की।

लवजी ऋषि जैनागमों के गंभीर ज्ञाता थे। साध्वाचार का अत्यंत निर्मल नीति से पालन करना उनका लक्ष्य था।

लवजी का धर्म प्रचार कार्य बढ़ता गया। उनके आचार कौशल की सर्वत्र चर्चा होने लगी। यतियों के शिथिलाचार का सिंहासन डोलने लगा। यति उनके प्रतिद्वंद्वी हो गए। लवजी ऋषि के नाना बोराजी से उन्होंने जाकर कहा "श्रेष्ठीवर्य! लवजी गच्छ में भेद उत्पन्न कर रहे हैं। वे अपनी श्रेष्ठता दिखाने के लिए हमारी निंदा करते हैं। उनकी गति को नहीं रोका गया तो लोंकागच्छ का अस्तित्व ही डगमगा जाएगा।"

यतियों के विचार सुनकर बोराजी उनसे सहमत हुए। उन्होंने खंभात के नवाब को निवेदन कर लवजी को कारागृह में बंद करा दिया। लवजी के मुख पर बंदी गृह में भी वही प्रसन्नता थी जो पहले थी। वे वहां पर शांति वृत्ति से साधना और ध्यान में लगे रहे। उनकी सौम्यवृत्ति का प्रभाव नवाब और नवाब की बेगम पर हुआ। अनेक दृष्टियों से विचार कर नवाब ने लवजी आदि संतो को निर्दोष घोषित कर मुक्त कर दिया। इससे लवजी की कीर्ति नगर में प्रसारित हुई। लवजी को जनता ने पूज्य पद से मंडित किया।

*लोकोद्धारक आचार्य ऋषिलवजी और ऋषिसोमजी के जीवन-वृत्त की कुछ और भी घटनाओं* के बारे में पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜🔆⚜ 🔆

Video

Source: © Facebook

*आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत प्रवचन का विडियो:

*देखो और बदलो: वीडियो श्रंखला २*

👉 *खुद सुने व अन्यों को सुनायें*

*- Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482

संप्रेषक: 🌻 *संघ संवाद* 🌻

👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ

प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन

📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
https://www.facebook.com/SanghSamvad/
🌻 *संघ संवाद* 🌻

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Source: © Facebook

Sources

Sangh Samvad
SS
Sangh Samvad

Share this page on:
Page glossary
Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
  1. Amritvani
  2. Preksha
  3. Terapanth
  4. अमृतवाणी
  5. आचार्य
  6. आचार्य महाप्रज्ञ
  7. गुजरात
Page statistics
This page has been viewed 224 times.
© 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
Home
About
Contact us
Disclaimer
Social Networking

HN4U Deutsche Version
Today's Counter: