Ladnun: 05.04.2019
Jain Scholar Scheme' a Training Workshop was organized by Akhil Bharatiya Terapanth Mahila Mandal for a period of 11days. First session of 3rd batch started on 25th March 2019 and completed on 4th day of April under the directorship of Dr. Manju Nahata at Jain Vishwa Bharati, Ladnun (Rajasthan – India). This Jain Scholar programme has started in July 2011 and has already produced 28 Jain Scholars in 2 batches and now 3rd Batch is under training. This time total 39 students (5-seniors and 34-freshers)have participated in this training programme under the guidance of Dr. Samani Sangeet Pragya, Samani Bhaskar Pragya, Dr. Manju Nahata, Smt Kanak Barmecha, Smt. Sushma Anchlia, Smt Raju Dugar and CA Vikas Garg.
Junior of Fresh Batch 34
Seniors 5 Participants
Trainers
Sushma ji Aanchalia - Sanskrit
Samani Sangeet Pragya ji - Prakrit
Samani Bhaskar Pragya ji - Sanskrit
Dr. Manju ji Nahta & CA Vikas Garg - Karam Mimansa
Smt Kanak Ji Barmecha - Dravya Mimansa
Smt Raju Ji Dugar- Prakrit
अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के तत्वावधान में संचालित ‘‘जैन स्काॅलर’’ योजना के तहत आयोजित 11 दिवसीय कार्यशाला में जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग की विभागाध्यक्ष डा. समणी संगीत प्रज्ञा ने बताया कि प्राकृत भाषा का निरन्तर हृास होता जा रहा था, लेकिन अब यह पुनर्जीवित होने जा रही है। जैन आगमों के साथ अन्य ग्रंथ व साहित्य भी प्राकृत में निहित है और भाषा के लुप्त होने से यह सारा साहित्य व दर्शन संकट में था। ऐसे में तेरापंथ की बहिनों ने प्राकृत भाषा के अध्ययन का बीड़ा उठाया है, जो बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध हो रहा है। उन्होंने कहा कि कभी इस देश में प्राकृत भाषा जनभाषा के रूप में रही थी और अब वापस उसे जनभाषा बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने प्राकृत व संस्कृत को परस्पर जुड़ी हुई भाषायें बताते हुये कहा कि दोनों ही भाषाओं का ज्ञान होना आवश्यक है।
संस्कृत देवभाषा है
डा. समणी भास्कर प्रज्ञा ने संस्कृत की महत्ता बताते हुये कहा कि इसे देवभाषा का दर्जा प्राप्त है। संस्कृत समृद्ध और विशुद्ध वैज्ञानिक भाषा है। संस्कृत साहित्य में ज्ञान का अथाह भंडार समाहित है। प्रखर विद्वान प्रो. दामोदर शास्त्री ने कार्यशाला की सम्भागियों को संस्कृत ज्ञान के अनुभव व अध्ययन की सरलता व लयबद्धता के अवगत करवाया। विश्वविद्यालय के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के शिक्षकों द्वारा कार्यशाला के सम्भागियों को प्राकृत, संस्कृत, कर्मग्रंथ, भारतीय दर्शन और जैन भूगोल विषयों का अध्यापन करवाया गया। जैन स्काॅलर योजना पिछले 8 वर्षों से निरन्तर चल रही है। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल की ज्ञान योजना के अन्तर्गत संचालित त्रिवर्षीय पाठ्यक्रम में कुल 53 महिला-पुरूष अध्ययनरत हैं। इस 11 दिवसीय कार्यशाला में कुल 45 सम्भागियों ने भाग लिया।