21.10.2019 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 21.10.2019
Updated: 21.10.2019

Updated on 21.10.2019 20:05

🏭 🏭 बेंगलुरु: *'70 वां अणुव्रत महासमिति त्रिदिवसीय अधिवेशन का आयोजन* __________

💎 *आपकी अदालत - कसौटी प्रामाणिकता की*

🍂 *आज के जज - अणुव्रतसेवी श्री धनराज बैद*

💧कठगरे में - *अणुव्रत महासमिति अध्यक्ष श्री अशोक संचेती, उपाध्यक्ष श्री कैलाश सिंघी व श्री सुशील बाफना*

📮 *दिनांक - 21 अक्टुबर 2019*

प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻

Updated on 21.10.2019 20:05

🏭 🏭 बेंगलुरु: *'70 वां अणुव्रत महासमिति त्रिदिवसीय अधिवेशन का आयोजन* __________

🌈🌈 *सान्निध्य - अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी*

💧अध्यक्षता - *अणुव्रत महासमिति अध्यक्ष श्री अशोक संचेती*

💎 *अणुव्रत महासमिति विभागीय प्रमुखों द्वारा प्रस्तुति*

📮 *दिनांक - 21 अक्टुबर 2019*

प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻

Updated on 21.10.2019 20:05

🏭 🏭 बेंगलुरु: *'70 वां अणुव्रत महासमिति त्रिदिवसीय अधिवेशन का आयोजन* __________

🌈🌈 *सान्निध्य - अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी*

💧अध्यक्षता - *अणुव्रत महासमिति अध्यक्ष श्री अशोक संचेती*

💎 *समूह चर्चा - कैसी अणुव्रत की हीरक - जयंती*

⛲ *अणुव्रत सेवी श्री धनराज बैद* का उद्बोधन

🍂 *अणुव्रत महासमिति उपाध्यक्ष श्री कैलाश सिंघी* का
वक्तव्य

🍃 *श्री धर्मचन्द जैन* की भावाभिव्यक्ति

🌿 *संचालन - अ. म. सहमंत्री श्री सुशील बाफना*

📮 *दिनांक - 21 अक्टुबर 2019*

प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻

Updated on 21.10.2019 20:05

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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙

📝 *श्रृंखला -- 558* 📝

*अमृतपुरुष आचार्य श्री तुलसी*

*साहित्य*

धर्म प्रचार के साथ साहित्य जगत में आचार्य श्री तुलसी की सेवाएं अनुपम थीं। कई भाषाओं पर आपका प्रभुत्व था। संस्कृत, हिंदी, राजस्थानी तीनों भाषाओं में उच्च कोटि के ग्रंथों की रचना की। सरस और सरल भाषा में निबद्ध आपका साहित्य जनसाधारण के लिए भी सुपाच्य एवं सुग्राह्य बना। विद्वद्जनों में भी वह विशेष समादृत हुआ। आपके सर्वग्राही सार्वजनीन विचारों से मानवजाति उपकृत हुई। तेरापंथ समाज को जैन ग्रंथ रत्नों से भरा अखूट खजाना मिला।

जैन सिद्धांत दीपिका, भिक्षु न्याय कर्णिका, मनोनुशासनम्, अध्यात्म पदावली, आयारो की अर्हत्-वाणी, प्रेक्षाध्यान अध्यात्म का सोपान— ये सिद्धांत, न्याय एवं योग विषयक रचनाएं हैं। इनमें तीन प्रथम रचनाएं संस्कृत भाषा में निबद्ध हैं। जैन धर्म में प्रवेश पाने के लिए ये उपयुक्त सभी ग्रंथ सारगर्भित सामग्री से परिपूर्ण, परम उपयोगी हैं।

'जैन तत्त्व विद्या' सैद्धांतिक ज्ञान की उत्तम कृति है। इसमें जैन धर्म के गंभीर तत्त्वों की विस्तृत व्याख्या है। तत्त्व रसिक पाठकों की ज्ञान वृद्धि में यह कृति विशेष सहायक है।

कालू यशोविलास पूज्य कालूगणी के जीवन पर रचा गया राजस्थानी गेय काव्य है। इसकी रचना में लेखक का महान् शब्द शिल्पी रूप निखर कर आया है। वर्णन शैली बेजोड़ है। काव्य की गीतिकाओं को गाते-गाते गायक भाव-विभोर हो जाता है।

माणक-महिमा, डालम-चरित्र, मग्न-चरित्र, सेवाभावी मुनि चम्पक, लाडां-वदनां सुजस, चंदन की चुटकी भली, आत्मोदय की ओर, पानी में मीन पियासी आदि आख्यानात्मक अत्यंत प्रेरक एवं रसप्रद काव्य रचनाएं हैं।

तेरापंथ प्रबोध, संबोध, श्रावक संबोध, नन्दन-निकुञ्ज, सोमरस, सुधारस, तुलसी पद्यावली आदि ये विविध विषयात्मक गेय रचनाएं हैं। अध्यात्म से सराबोर इनकी पद्यावलियां मनोमुग्धकारी, आनंददायी हैं। एक रस, एक लय पूर्वक इनके सामूहिक संगान से वातावरण गूंज उठता है। व्यक्ति झूम उठता है।

भरत मुक्ति (महाकाव्य), अग्नि परीक्षा (खण्ड काव्य) आचार्यश्री तुलसी की प्रखर प्रतिभा परिचायक हैं।

*आचार्य श्री तुलसी के शासनकाल के समग्र साहित्य सरस्वती भंडार के बारे में संक्षेप में...* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻

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Updated on 21.10.2019 20:05

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'सम्बोधि' का संक्षेप रूप है— सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चारित्र। यही आत्मा है। जो आत्मा में अवस्थित है, वह इस त्रिवेणी में स्थित है और जो त्रिवेणी की साधना में संलग्न है, वह आत्मा में संलग्न है। हम भी सम्बोधि पाने का मार्ग प्रशस्त करें आचार्यश्री महाप्रज्ञ की आत्मा को अपने स्वरूप में अवस्थित कराने वाली कृति 'सम्बोधि' के माध्यम से...

🔰 *सम्बोधि* 🔰

📜 *श्रृंखला -- 70* 📜

*अध्याय~~7*

*॥आज्ञावाद॥*

💠 *मेघः प्राह*

*41. किं नाम भगवन्! धर्मः, कस्मै तस्याऽनिवार्यता।*
*विद्यते तस्य को लाभः, जिज्ञासाऽसौ निसर्गजा।।*

मेघ बोला— भगवन्! धर्म क्या है? उसकी अनिवार्यता क्यों है? उसका लाभ क्या है? यह जिज्ञासा स्वाभाविक है।

💠 *भगवान् प्राह*

*42. चैतन्यानुभवो धर्मः सोपानं प्रथमं व्रतम्।*
*तपसा संयमेनासौ, साध्योऽस्ति सकलैर्जनैः।।*

भगवान् ने कहा— धर्म है चैेतन्य का अनुभव। उसका प्रथम सोपान है व्रत। उसकी साधना के दो हेतु हैं— तप और संयम।

*43. आसक्तिं जनयत्याशु, वस्तुभोगो हि देहिनाम्।*
*जीवनं वस्तुसापेक्षं, समस्या महती ध्रुवम्।।*

पदार्थ का भोग प्राणियों में आसक्ति उत्पन्न करता है और जीवन पदार्थ-सापेक्ष है, यह महान् समस्या है।

*44. आसक्तर्यावती पुंसां, तावान् भावात्मको ज्वरः।*
*भावात्मको ज्वरो यावान्, तावान् तापो हि मानसः।।*

जितनी आसक्ति, उतना भावनात्मक तनाव। जितना भावात्मक तनाव, उतना मानसिक तनाव या मानसिक दुःख।

*45. चैतन्यानुभवो यावान्, अनासक्तिश्च तावती।*
*यावती स्यादनासक्तिः, तावान् भावः प्रसादयुक्।।*

जितनी चेतना की अनुभूति उतनी अनासक्ति, जितनीे अनासक्ति, उतनी भावात्मक प्रसन्नता।

*46. यावान् भावप्रसादः स्याद्, तावद् मनो हि निर्मलम्।*
*नैर्मल्यं मनसो यावद्, तावत् स्याद् सहजं सुखम्।।*

जितनी भावात्मक प्रसन्नता है, उतनी मानसिक निर्मलता है। जितनी मानसिक निर्मलता है, उतना सहज सुख है।

*इति आचार्यमहाप्रज्ञविरचिते संबोधिप्रकरणे*
*आज्ञावादनामा सप्तमोऽध्यायः।*

*आस्रव तथा बंध-मोक्ष की प्रक्रिया का विवेचन समझेंगे 8वें अध्याय बंध-मोक्षवाद में...* हमारी अगली श्रृंखला में... क्रमशः...

प्रस्तुति- 🌻 *संघ संवाद* 🌻

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Updated on 21.10.2019 20:05

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शासन गौरव मुनिश्री बुद्धमल्लजी की कृति वैचारिक उदारता, समन्वयशीलता, आचार-निष्ठा और अनुशासन की साकार प्रतिमा "तेरापंथ का इतिहास" जिसमें सेवा, समर्पण और संगठन की जीवन-गाथा है। श्रद्धा, विनय तथा वात्सल्य की प्रवाहमान त्रिवेणी है।

🌞 *तेरापंथ का इतिहास* 🌞

📜 *श्रृंखला -- 166* 📜

*आचार्यश्री भीखणजी*

*महान् साहित्य-सर्जक*

*बाण की तरह*

लोग स्वामीजी की पद्यबद्ध वाणी को 'स्वामीजी के बाण' कहकर पुकारते हैं। लोगों के उस कथन में वास्तविकता भी है, क्योंकि उनके बहुत सारे पद्य वस्तुतः अनाचार, कदाचार और शिथिलाचार पर बाण की तरह ही बड़ी करारी चोट करते हैं। स्वामीजी ने अपनी इस पद्धति को कभी नकारा नहीं, वे तो बड़ी स्पष्टता के साथ उसे स्वीकार करते हैं।

एक बार किसी ने स्वामीजी से पूछा— 'इतने तीखे पद्य लिखने तथा इतने तीखे उदाहरण देने के पीछे आपका उद्देश्य क्या है?' स्वामीजी ने उसका स्पष्टीकरण करते हुए कहा— 'शिथिलाचार बहुत गहराई तक व्याप्त हो गया है। यह अब सामान्य सुझावों तथा उपदेशों से मिटने वाला नहीं है। जिस प्रकार गंभीर वात का रोग साधारण औषधोपचार से नहीं मिटता, उसके लिए तो 'दागना' ही एकमात्र उपाचार होता है। मेरी ये तीखी बातें उनका मन दुखाने के लिए नहीं, अपितु उनके अंतरंग को झकझोरने के लिए हैं।' वास्तविकता भी यही है। कोई वैद्य यदि रोगी को कड़वी औषधि देता है, तो वह उसको पीड़ित करने के लिए नहीं, किंतु अन्यनोपाय होकर उसके कठिन रोग को शमन करने के लिए ही देता है।

स्वामीजी का साहित्य एक ऐसा दर्पण है, जिसमें तत्कालीन जैन समाज के मानसिक उद्वेलनों के प्रतिबिंबों का स्पष्ट निरीक्षण-परीक्षण किया जा सकता है। उस समय का समाज, विशेषकर साधु-समाज, आचार-विषयक शिथिलता के सोपान उतरता हुआ क्रमशः नीचे और नीचे चला जा रहा था। मार्गदर्शकों के उस शैथिल्य का अनुभव करता हुआ श्रावक-समाज किंकर्तव्य-विमूढ़ता के अजगर की गुंजलक में फंसा हुआ कुंठाग्रस्त होता जा रहा था। स्वामीजी अपने साहित्यिक शंखनाद से साधु-समाज एवं श्रावक-समाज को उद्बुद्ध कर धार्मिक विशुद्धि की ओर ले जाना चाहते थे। उनके प्रत्येक ग्रंथ के पद्य में यही ध्वनि विविध लयों में सुनाई देती है। वे जानते थे कि सदोष धार्मिकता धर्म के साथ-साथ धार्मिक का भी विनाश कर डालती है।

आगमवाणी भी इस विचार का पूर्ण समर्थन करती है। वहां कहा गया है—

*विस तु पीयं जह कालकुडं,*
*हणाइ सत्थं जह कुग्गहीयं।*
*एसे व धम्मो विसओववन्नो,*
*हणाइ वेयाल इवाविवन्नो।।*

'पीया हुआ कालकूट विष, अविधि से पकड़ा हुआ शस्त्र और अनियंत्रित प्रेत जैसे विनाशकारी होते हैं, वैसे ही सदोष धर्म भी विनाशकारी होता है।'

बाण की तरह सनसनाते हुए स्वामीजी के पद्य धार्मिकता की सदोषता को वेध डालने में पर्याप्त सफल रहे। आज भी सहस्रों-सहस्रों व्यक्तियों को वे कंठस्थ हैं और धार्मिक क्षेत्र में निर्दोषता बनाए रखने की प्रेरणा देते हैं।

*तेरापंथ-साहित्य के आदि स्रोत की कहानी...* जानेंगे... और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...

प्रस्तुति-- 🌻 संघ संवाद 🌻

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Updated on 21.10.2019 20:05

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🔮 *अणुव्रत महासमिति कार्यसमिति
*बैठक का आयोजन............*

🎤 *अणुव्रत गीत का संगान*

📖 *अणुव्रत आचार संहिता का वाचन*

🌀 *गत बैठक की कार्यवाही*
*का वाचन व पुष्टि.......*

🎯 *अणुव्रत महासमिति*
*अध्यक्ष द्वारा उद्बोधन.....*

💎 *आचार्य तुलसी महाप्रज्ञ चेतना सेवा केन्द्र,*
*कुम्बलगुडू, बेंगलुरु,...........*

🍂 *दिनांक - 20 अक्टूबर 2019*

प्रस्तुति - 🔅 *अणुव्रत सोशल मीडिया* 🔅

संप्रसारक - 🌻 *संघ संवाद* 🌻

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Updated on 21.10.2019 20:05

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🔮 *अणुव्रत महासमिति प्रबंध मण्डल*
*बैठक का आयोजन..........*

🎤 *अणुव्रत गीत का संगान*

📖 *अणुव्रत आचार संहिता का वाचन*

🌀 *गत बैठक की कार्यवाही*
*का वाचन व पुष्टि.......*

🎯 *अणुव्रत महासमिति*
*अध्यक्ष द्वारा उद्बोधन.....*

💎 *आचार्य तुलसी महाप्रज्ञ चेतना सेवा केन्द्र,
*कुम्बलगुडू, बेंगलुरु,...........*

🍂 *दिनांक - 20 अक्टूबर 2019*

प्रस्तुति - 🔅 *अणुव्रत सोशल मीडिया* 🔅

संप्रसारक - 🌻 *संघ संवाद* 🌻

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Updated on 21.10.2019 20:05

🏭 🏭 बेंगलुरु: *'70 वां अणुव्रत महासमिति त्रिदिवसीय अधिवेशन का आयोजन* __________

🌈🌈 *सान्निध्य - अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी*

⛲ *अणुव्रत आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनिश्री मनन कुमार जी* का प्रेरणा पाथेय

💧 *अणुव्रत महासमिति अध्यक्ष श्री अशोक संचेती* का सम्बोधन

💎 *संभागी परिचय संगोष्ठी एवं समितियों की कार्य प्रस्तुति*

📮 *दिनांक - 21 अक्टुबर 2019*

प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻

Updated on 21.10.2019 20:05

🏭 बेंगलुरु: *'70 वां अणुव्रत महासमिति त्रिदिवसीय अधिवेशन आयोजित* __________

🌈🌈 *सान्निध्य - आचार्य श्री महाश्रमण*

⛲ *अणुव्रत महासमिति अध्यक्ष श्री अशोक संचेती* द्वारा झण्डारोहण के साथ त्रिदिवसीय अणुव्रत महासमिति अधिवेशन का विधिवत उद्घाटन.......

📮 *दिनांक - 21अक्टूबर 2019*

प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻

Updated on 21.10.2019 20:05

🏭 बेंगलुरु: *'70 वां अणुव्रत महासमिति त्रिदिवसीय अधिवेशन आयोजित __________

🌈🌈 *सान्निध्य - आचार्य श्री महाश्रमण*

⛲ *परम पूज्य आचार्य श्री* प्रेरणा पाथेय देते हुए

💧 *अणुव्रत महासमिति अध्यक्ष श्री अशोक संचेती* द्वारा संबोधन......*

📮 *दिनांक - 21अक्टूबर 2019*

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🌀🌐🌀🌐🌀🌐


*आचार्य तुलसी महाप्रज्ञ*
*चेतना सेवा केन्द्र,*
*कुम्बलगुड़ु,*
*बेंगलुरु*

💧
*महाश्रमण चरणों में...*
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*: दिनांक:*
21 अक्टूबर 2019

💠
*: प्रस्तुति:*
🌻 संघ संवाद 🌻

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🧘‍♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘‍♂

🙏 *आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत मौलिक प्रवचन

👉 *प्रेक्षा वाणी: श्रंखला २९२* - *चैतन्य का अनुभव २*

एक *प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लेकर देखें*
आपका *जीवन बदल जायेगा* जीवन का *दृष्टिकोण बदल जायेगा*

प्रकाशक
*Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482

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