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‘मेवाड़ में नैसर्गिक सौंदर्य के दर्शन’-आचार्य महाश्रमण
आचार्य महाश्रमण ने धवल सेना सहित झालों की मदार में किया प्रवेश, आज समीचा के लिए विहार करेंगेखमनोर 20 April 2011(जैन तेरापंथ समाचार ब्योरो)
आचार्य महाश्रमण ने मंगलवार को झालों की मदार में धर्मसभा के दौरान अपनी अहिंसा यात्रा के अनुभव बताए। उन्होंने कहा कि मेवाड़ में प्रकृति के दर्शन होते हैं। यहां ऊंचे-ऊंचे पहाड़ हैं, घाटियां हैं तथा हरियाली है। यहां का वातावरण काफी मनोरम है। यहां का नैसर्गिक सौंदर्य देखते ही बनता है, मन भी प्रफुल्लित हो जाता है। बहुत समय पहले जब विहार होता था, तब यहां पगडंडियां हुआ करती थीं। अब प्रधानमंत्री ग्राम संपर्क सड़कों ने मार्ग सुगम कर दिया है।
खमनोर. झालों की मदार में आयोजित धर्मसभा में शामिल श्रावक।
अहंकार से विवेक कमजोर:
महाश्रमण ने कहा कि अहंकार वृद्ध में भी हो सकता है, युवा में भी तथा कहीं-कहीं बच्चों में भी दिखाई पड़ता है। अहंकार के कारण मनुष्य का विवेक कमजोर हो जाता है। वह आत्मानुभव, आत्मा से साक्षात्कार में बाधक बन जाता है।