News in English
Location: | Kankroli, 12th May 2011 |
Headline: | Acharya Mahashraman will dedicate himself to serve humanity and will keep continue his Sadhana for soul - he vowed on his 50th birthday. |
Content: | Acharya Mahashraman repeated his vows to do sadhana for soul and to dedicate himself for humanity. Truth is god. Anyone who is committed to truth is doing sadhana for god. Acharya Tulsi and Acharya Mahaprajna worked for world peace and he will fulfill their dream, Acharya Mahashraman declared.
President Pratibha Patil expressed her concern over increasing activity of addicts. Especially youths are in grip of addiction. We have to alert about bad effects of addiction. Saints give new direction to society. It is out moral duty to take inspiration from saints and fight against evil. She requested Acharya Mahashraman and other saints to work not only for jain community but for whole society for character building.
Governor Shivraj Patil said Anekant has important place in democracy. Democracy is standing on principal of Anekant. Every person can express his view in different way. Democracy teaches us to give respect to view of everybody. Acharya Mahashraman is working for people, society will awake by his efforts & positive change will emerge.
Central Minister C.P. Joshi stated that we can make our nation strong by character building. Amrit Mahotsav will bring new revolution in country.
Sri Devi Sing Patil, Industry Minister Rajendra Pareek, M.P. from Rajsamand Gopal Singh Shekhawat, MLA Smt. Kiran Maheshwari, District head Kishanlal Gamati, Municipal president Asha Paliwal were present.
Welcome speech given by Sri Chainrup Chindalia, President of Mahashabha. Vote of thanks was given by Sri Dharmesh Dangi. |
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News in Hindi
महाश्रमण ने 50वें जन्मोत्सव पर संकल्प, आत्मसाधना का क्रम जारी रखने के साथ मानवसेवा समर्पित भाव से करते रहेंगे
राजसमंद 12 मई (जैन तेरापंथ समाचार ब्योरो)
आत्मसाधना-मानव सेवा करता रहूंगा- आचार्य महाश्रमण
आचार्य महाश्रमण ने अपने 50वें जन्मोत्सव पर संकल्प दोहराया कि वह जीवन के शेष समय में आत्मसाधना का क्रम जारी रखने के साथ मानवसेवा समर्पित भाव से करते रहेंगे। सत्य भगवान है, जो व्यक्ति स\"ााई की आराधना करता है, वह भगवान की साधना कर लेता है। उन्होंने आचार्य तुलसी व महाप्रज्ञ के विश्व में अहिंसा स्थापना और मैत्री प्रवाह के सपने को पूरा करने में हरसंभव प्रयास करने की शपथ ली।
राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने कहा कि नशे की बढ़ती प्रवृत्ति समाज के लिए खतरा है। विशेषकर युवा वर्ग इसकी गिरफ्त में आ रहा है, चिन्तनीय है। इसके दुष्प्रभावों को लेकर जागरूकता लानी होगी।
राजसमंद में प्रज्ञा विहार के निकट 50 फीट रोड पर गुरूवार को तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण के जन्मोत्सव पर मनाए जा रहे अमृत महोत्सव कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए पाटील ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि लोगों को जागरूक करने के लिए साधु-संतों को सामाजिक नजरिए व मानसिकता में बदलाव की जरूरत है। कुरीतियों, अनाचार एवं दुराचार को मिटाने के लिए समाज के पथ प्रदर्शक संत हैं, लेकिन हर आदमी का नैतिक कर्तव्य है कि उनसे प्रेरणा लेकर बुराइयों को दूर करने में भागीदारी निभाएं। उन्होंने आचार्य महाश्रमण एवं अन्य संत समाज से आह्वान किया कि वे केवल जैन समाज के लिए ही नहीं, बल्कि समस्त मानव जाति में चरित्र निर्माण के लिए कार्य करें।
राज्यपाल शिवराज पाटिल ने कहा कि लोकतंत्र में अनेकांतवाद का महत्वपूर्ण स्थान है। इस सिद्धान्त के बूते देश का लोकतंत्र चल रहा है। इसमें हर आदमी के विचार अलग-अलग हो सकते हैं। लोकतंत्र में भी यही व्यवस्था है कि दूसरे के विचार को महत्व दिया जाए। आचार्य महाश्रमण अपनी अमृतवाणी से जनकल्याण के लिए लोगों को जागृत कर समाज को सुधारने का काम कर रहे हैं, इससे निश्चित रूप से बदलाव आएगा।
विशिष्ट अतिथि केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री सीपी जोशी ने कहा कि समाज में चरित्र निर्माण प्रतिस्थापित करके देश को शक्तिशाली बनाया जा सकता है। अमृत महोत्सव समाज और देश में नई क्रांति व चेतना लाने के साथ देश को नैतिक रूप से मजबूत करेगा।
इस मौके पर डॉ. देवीसिंह पाटील, उद्योग मंत्री राजेन्द्र पारीक, राजसमंद सांसद गोपालसिंह शेखावत, विधायक किरण माहेश्वरी, जिला प्रमुख किशनलाल गमेती, नगरपालिका अध्यक्ष आशा पालीवाल सहित कई जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी, समाजजन व श्रद्धालु उपस्थित थे। स्वागत तेरापंथी महासभा के केन्द्रीय अध्यक्ष चैनरूप चण्डालिया ने किया तथा आभार धर्मेश डांगी ने व्यक्त किया।
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जयपुर, 12 मई (जैन तेरापंथ समाचार ब्योरो) by-Jain Loon Karan Chhajer
राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने जैन धर्म के ''जिओ और जीने दो'' के सिद्घान्त को जीवन में उतारने, व्यवहार में लाने की प्रेरणा देते हुए कहा कि इस सिद्घान्त के अनुरूप सभी प्राणियों के प्रति करूणा, दया और सेवाभाव रखना चाहिए। जैन धर्म में ऐसे ही एक श्लोक का अर्थ है, हे जिनेन्द्र मुझे ऐसी बुद्घि दो कि मै सभी प्राणियों से पे्रम करूं, सज्जनों से प्रसन्न रहूं, सभी दुखियों पर दया करूं और कलुषित जनों के प्रति सहिष्णुता रूखूं। इसी तरह हिन्दू धर्म में कहा गया है, ''सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे सन्तु निरामया:। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चित दु:ख भाग्यवेत।'' अर्थात, केवल मनुष्य मात्र ही नहीं, सर्व प्राणी मात्र, जिनमें जान है, वे सब सुखी हों।
राष्ट्रपति ने आज राजसमन्द में आचार्य महाश्रमण अमृत महोत्सव शुभारंभ समारोह में सम्बोधित करते हुए कहा कि आचार्य श्री महाश्रमण एक महान आध्यात्मिक व्यक्तित्व, विचारक और समाज सुधारक है। वे अंहिसा, अनुकम्पा, शांति और नैतिकता की प्रतिष्ठापना के द्वारा सामाजिक स्वस्थता के लिए अविराम परिश्रम कर रहे है। उन्होंने '' अंहिसा यात्रा '' के दौरान देश के विभिन्न गांवो तथा शहरों का भ्रमण किया, लोगों में लोक कल्याण के बारे में जागृति जगाई, अपने प्रवचनों द्वारा सामाजिक समरसता के महत्व को उजागर किया और सामाजिक बुराईयों के खिलाफ लडऩे के लिए लोगों को प्रेरित किया।
उन्होंने कहा कि समाज में अनाचार, दुराचार, व्याभिचार और कुप्रवृतियों, कुप्राथाओं तथा अन्याय का दमन करना, उन्हे नष्ट करकेे सामाजिक सद्भाव का वातावरण निर्माण करना, एक अतिशय महत्वपूर्ण और जरूरी बात है, इसके लिए खुद साधु बनने की जरूरत नहीं, हम गृहस्थाश्रम में रहते हुए भी अच्छी बाते समाज में कर सकते है।
उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख तत्व ''अंहिसा परमोधर्म:'' माना गया है। अर्थात् अंहिसा सबसे बडा धर्म है, अंहिसा की परम्परा का उच्चतम रूप हमें जैन जीवन दर्शन में देखने को मिलता है। जैन धर्म में सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चरित्र को ''त्रिरत्नÓ' के रूप में अंगीकार किया गया है। इसी प्रकार सम्यक चरित्र के अन्तर्गत अंहिसा, सत्य, अस्तेय, ब्रम्हचर्य और अपरिगृह, इन पांच वृतों के पालन की शिक्षा दी गई है, जिसमें अंहिसा को सर्वोपरि स्थान दिया गया है। वास्तव में, जैन परम्परा में अंहिसा जीवन की शैली है।
राष्ट्रपति ने कहा कि जब हम अंहिसा की बात करते है तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का स्वत: ही स्मरण हो आता है। उन्होंने सत्य व अंहिसा के दो प्रमुख सूत्रों के आधार पर भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन का नेतृत्व किया। समाज में शांति की स्थापना करने और खुशहाली लाने मे हमें अंहिसा के महत्व को कभी भी नहीं भूलना चाहिए। गांधी जी की दृष्टि में अंहिसा कायरता नहीं, बल्कि साहसी व्यक्ति का अस्त्र है। राष्ट्रपति ने हिंसा की राह पर चल रहे लोगों से आग्रह किया कि वे इस राह को छोड़कर अंहिसा के मार्ग को अपनाएं।
श्रीमती पाटील ने कहा कि समाज में जो गरीबी, अज्ञान और सामाजिक कुरीतियां है, उन्हे भी हमें उखाड़ फैंकना होगा। नशाखोरी जैसी सामाजिक बुराइयां हमारे देश के विकास के लिए समस्या खड़ी करती है। नशाखोरी इंसान की खुद की जिन्दगी को, अपने सारे कुटुम्ब की जिन्दगी को अस्त व्यस्त कर देती है। हमें नशाखोरी के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता लानी होगी और इसके लिए साधु-संतों को ही नहीं, हम सबको सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने के कार्यों को चुनौती के रूप में लेकर सामाजिक नजरिए और मानसिकता में बदलाव लाने के लिए कार्य करना होगा। मुझे यह जानकर विशेष प्रसन्नता है कि इस महोत्सव में समाज के सर्वांगीण विकास के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हंै, जिनमें व्यसन मुक्ति अभियान चलाकर इन सामाजिक बुराइयों को दूर करने का प्रयास भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि नशाखोरी के साथ बालिका भू्रण-हत्या जैसे निदंनीय कार्य भी समाज के लिए बहुत बड़ी समस्या है। बालिका भ्रूण हत्या हिंसा का ही एक वीभत्स रूप है। इसकी रोकथाम के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है। इसके साथ ही मानवता के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए पर्यावरण व वृ़क्ष संरक्षण का काम भी अतिआवश्यक है।
राष्ट्रपति ने अमृत महोत्सव की सफलता के लिए अपनी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मुझे विश्वास है कि आचार्यजी के प्रयत्नों से विश्व में शांतिपूर्ण समाज के निर्माण में मदद मिलेगी।
समारोह में राज्यपाल श्री शिवराज पाटिल ने आचार्य श्री महाश्रमण की जन कल्याणकारी अमृत वाणी का संदेश जन-जन तक पहुंचाने की आवश्यकता प्रतिपादित करते हुए कहा कि जैन संतों के विचार और जैन दर्शन का हमारे देश और समाज में महत्वपूर्ण स्थान है। जैन दर्शन में अनेकांतवाद का विचार सबसे महत्वपूर्ण है। अर्थात् दूसरों के विचारों को भी आदरभाव के साथ स्वीकार करना चाहिए। आंतकवाद का खात्मा इसी परिकल्पना से संभव है। इसी के आधार पर संसार में लोकतंत्र चल रहा है। अत: आवश्यक है कि हम दूसरों के विचारों का, भावनाओं का आदर करना सीखें।
उन्होंने कहा कि जैन विचारधारा में अपरिगृह की भावना को महत्व दिया गया है। अपरिगृह की भावना मन में होगी तो भ्रष्टाचार को बढ़ावा नहीं मिल सकेगा। आचार्य श्री एवं उनके अणुव्रत से हमे इसकी शिक्षा मिल रही है। आचार्य महाप्रज्ञजी ने हमे जीने की राह बताई तथा आचार्य तुलसी ने हमें अणुव्रत का विचार दिया।
समारोह में आचार्य श्री महाश्रमण ने अपने उद्बोधन में कहा कि सत्य ही भगवान है। जो व्यक्ति अपने जीवन में सच्चाई की आराधना करता है वो भगवान की आराधना करता है। उन्होंने कहा कि देश में विकास की परिपूर्णता के लिए आर्थिक एवं भौतिक विकास के साथ साथ नैतिक एवं आध्यात्मिक विकास भी आवश्यक हैै। उन्होंने कहा कि मानव जाति की सेवा ही अंहिसा यात्रा का मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने साम्प्रदायिक, सोमनस्य, नशामुक्ति, कन्या भ्रूण हत्या निषेध एवं जीवन में ईमानदारी का पालन करने की जरूरत बताई और विश्व कल्याण की दिशा में सद्कार्य करते रहने की प्रेरणा दी।
केन्द्रीय भूतल परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री डॉ.सी.पी.जोशी ने कहा कि आचार्य श्री महाश्रमण की अंहिसा यात्रा के बाद अमृत महोत्सव समाज में नई चेतना लाएगा। उनके विचार देश में नई क्रांति का सूत्रपात करेंगे और भारत को और अधिक ताकतवर बनाने में महती भूमिका अदा करेंगे
समारोह में साध्वी कनकप्रभाजी ने भी अपने विचार व्यक्त किए और कहा कि आचार्य श्री का सपना है कि देश में शिक्षा की ज्योति जलती रहे, जन जन में नैतिक शिक्षा का जागरण हो, हर व्यक्ति की शक्ति का पूरा नियोजन हो। उन्होंने बताया कि यह अमृत महोत्सव पूरे वर्ष एक अभियान के रूप में चलेगा। आज इसका प्रथम दिवस संकल्प दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।
समारोह में श्री देवी सिंह पाटिल एवं उद्योग मंत्री राजेन्द्र पारीक भी उपस्थित थे।
थार एक्सप्रेस के सोजन्य से by-Jain Loon Karan Chhajer
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