News In English
Location: | Machind |
Headline: | Trees Are Useful For Environment◄ Acharya Mahashraman |
News: | Acharya Mahashraman addressing people of Machind told that to preserve environment on earth is necessary for life. Trees are useful and give life to us. |
News in Hindi:
‘जीवन बचाने के लिए अब चेतना जरूरी’ मचींद में धर्मसभा के दौरान बोले आचार्य महाश्रमणखमनोर 05 JUNE 2011 जैन तेरापंथ समाचार ब्योरो
आचार्य महाश्रमण ने कहा कि धरती पर पर्यावरण का संरक्षण बहुत जरूरी है। वृक्षों से ही पर्यावरण कायम रहता है। वृक्ष हमारे जीवनदाता हैं। जीवन बचाने के लिए अब चेतना बहुत जरूरी हो गया है। आचार्य रविवार को खमनोर क्षेत्र के मचींद गांव में धर्मसभा में श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित कर रहे थे।
आचार्य महाश्रमण
विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर आचार्य ने कहा कि सदियों पहले धरती पर घनी हरियाली थी। बड़े-बड़े जंगल और वृक्षों से भरे पहाड़ थे। इंसान की जरूरतों के साथ विज्ञान ने विकास किया। विज्ञान ने मानव के लिए सुविधाएं तो जुटा लीं, लेकिन धरती के असली धन का ख्याल नहीं किया। इंसान की भौतिकवादी विचारधारा के आगे भूमि बेबस और लाचार है। इसके बाहर और अंदर से प्राकृतिक संपदा का बेतहाशा दोहन किया जा रहा है। धरती से हरा सोना आज कम होता जा रहा है। इसके कई खतरे भी उत्पन्न हुए हैं। इंसान अनगिनत लाइलाज रोगों से घिरा है। जल समस्याओं ने जन्म लिया है। स्वास्थ्य में गिरावट आई है व उम्र का अंतर भी घटा है। यह सब प्रकृति की क्षति के ही परिणाम हैं।
अधिक पेड़ लगाएं:
आचार्य ने कहा कि अब विचार करने का नहीं चैतन्य होने का समय है। सभी को चाहिए कि वे वृक्षों की रक्षा करें। अधिक से अधिक पेड़ लग कर पर्यावरण संवर्धन में भागीदारी निभाएं।...
जीवन बचाने...
यह समूची मानवता के लिए पुनीत कार्य है। पर्यावरण बचेगा तभी जीवन बचेगा।
पेड़-पौधों में भी जीव:साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा
साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा
साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा ने कहा कि जैन दर्शन के अनुसार मनुष्य की भांति वृक्षों व पौधों में भी जीव होता है। प्रकृति ने उनमें परोपकार की भावना भरी है। वे दूसरों के लिए जीते हैं, इसलिए इन्हें नुकसान नहीं पहुंचाएं। धर्मसभा के दौरान खूबीलाल पालरेचा, लाभचंद पालरेचा, पन्नालाल कोठीफोड़ा, शंकरलाल सांखला व कई समाजजन मौजूद थे। इससे पूर्व आचार्य महाश्रमण ने अपनी धवल सेना के साथ फतहपुर गांव से विहार कर सुबह आठ बजे मचींद गांव में प्रवेश किया