News in English:
Location: | Kelwa |
Headline: | Acharya Mahashraman Stepped In Andheri Ori |
News: | Acharya Mahashraman doing Chaturmas in Kelwa. People of Kelwa got Chaturmas of Terapanth Acharya after 190 years. Andheri Ori is place where Acharya Bhikshu spent his first Chaturmas. A room without windows so no direct light from sun. Pandal was prepared for sitting of 15000 persons but it become small due to heavy attendance. Acharya Mahashraman told that it is not his Chaturmas but Chaturmas of Acharya Mahaprajna and he is completing only his commitment. |
News in Hindi:
आचार्य भिक्षु की साधना स्थली 'अंधेरी ओरी' में कदम रखा- आचार्य महाश्रमण ने
अंधेरी ओरी' से आलोक आचार्य भिक्षु की साधना स्थली 'अंधेरी ओरी' में कदम रखा- आचार्य महाश्रमण ने१० जुलाई २०११ तेरापंथ समाचार ब्योरो केलवा
राजसमंद/केलवा। 11वें आचार्य महाश्रमण ने रविवार को केलवा कस्बे में स्थित आचार्य भिक्षु की साधना स्थली 'अंधेरी ओरी' में कदम रखा, तो सुबह की वह वेला तेरापंथ धर्मसंघ की उद्गमस्थली से संगम स्थली में तब्दील सी हो गई। सदियों पुरानी धर्म परम्परा अपने प्रबल वेग में बहती हुई प्रादुर्भाव केन्द्र पर आकर मानो धन्य हुई। आचार्य भिक्षु, आचार्य महाश्रमण की जय-जयकार करता श्रद्धालुओं का सैलाब अपने में समेटने को केलवा आतुर दृष्टिगोचर हुआ। तेरापंथ धर्मसंघ के किसी भी आचार्यका 190 वर्षबाद यहां फिर चातुर्मास होने के ऎतिहासिक मौके पर देशभर के जैन-जैनेत्तर लोगों से पटा यह कस्बा एक धर्मनगरी का रूप साकार कर गया।
gurudev kelvaa prvesh
आचार्य महाश्रमण ने अपनी धवल सेना के साथ सुबह साढ़े नौ बजे केलवा नगरी में चातुर्मासिक मंगलप्रवेश किया, जहां उनकी अगवानी को हजारों श्रद्धालु उमड़े। आचार्य को शोभायात्रा के रूप में पूरे कस्बे में भ्रमण कराया गया। चातुर्मास प्रवासस्थल तेरापंथ समवसरण के निकट निर्मित आचार्य महाप्रज्ञ भवन का आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में लोकार्पण हुआ। इसके बाद मुख्य समारोह का आगाज हुआ।
'गुरू का वचन पूरा करने आया हूं'
समारोह में आचार्य महाश्रमण ने कहा कि 'मैं विचार कर रहा हूं कि चातुर्मास मेरा है या आचार्य महाप्रज्ञ का। स्थूल भाषा में कहूं तो मैं गुरू का कर्ज उतारने आया हूं। आचार्य महाप्रज्ञ केलवा में चातुर्मास का प्रण पूरा नहीं कर सके, मैं शिष्य रूप में उनका यह वचन पूरा करने आया हूं। मुझे आत्मतोष है कि मैं यहां पहुंच गया। मेरी इच्छा है कि केलवा नगरी नशामुक्त बन जाए। धर्मसंघ के कार्यकर्ता अभियान चलाएं। नशा कम हो और शराब पूरी तरह बंद हो जाए।'
आचार्य ने कहा कि प्रश्न है कि दुनिया में मंगलकारी कौन है। मंगलकारी कई तत्व हैं, लेकिन सबसे मंगलकारी तत्व धर्म है। जीवन में पाप है, तो अमंगल सदैव साथ रहेगा। उन्होंने कहा कि आत्मतुला का चिंतन होना चाहिए। स्वयं को सुख प्रिय है, तो दूसरों को दु:ख नहीं दें। इस मौके पर साध्वी प्रमुखा महाश्रमणी कनकप्रभा ने कहा कि कन्याकुमारी की तरह यहां तीन सागरों का संगम हुआ है। जनता के पारावार का, दिलों मे उमड़ी श्रद्धा का और आचार्य महाश्रमण की करूणा का। तेरापंथ का सूर्य संसार का आलोकित कर रहा है। लोग आतुर हैं इस तेज को पाने के लिए। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि यह चातुर्मास अपने आप में इतिहास सृजित करेगा। साध्वी विश्रुत विभा ने भी विचार व्यक्त किए।
'लोकतंत्र के प्रश्नों का हल नैतिक मूल्यों में'. संचालन ओम आचार्य व मोहजीत मुनि ने किया।
पण्डाल छोटा पड़ा
१० जुलाई २०११ तेरापंथ समाचार ब्योरो केलवा
सफेद शामियाने में बायीं ओर महिलाओं और दायीं ओर पुरूष बैठे थे। सामने विशाल मंच पर धवल सेना विराजित थी। ज्ञानशाला के बच्चे समारोह की रौनक बढ़ा रहे थे, वहीं दायीं ओर अतिथि बैठे थे। 15 हजार लोगों के बैठने के लिए बनाया पण्डाल भी छोटा पड़ गया। पूरे कार्यक्रम के दौरान सैकड़ों लोग पण्डाल के बाहर खड़े थे, मगर पूरी तन्मयता से प्रवचन सुने। बार-बार 'ओम अर्हम्' की समवेत् ध्वनि से वातावरण गुंजायमान हो रहा था।
कार्यक्रम में मंच के पीछे के पाश्र्व में अंधेरी ओरी का लघुरूप स्थापित किया, जिसका प्रतीकात्मक लोकार्पण आचार्य के सान्निध्य में हुआ। महाराष्ट्र के मंत्री व आचार्य के अनुयायी गणेश नाइक की ओर से तेरापंथ समाज, केलवा को भेंट की गई एम्बुलेंस की चाबी समारोह में सौंपी गई। बाद में जैन विश्व भारती, लाडनूं की ओर से आचार्य के सान्निध्य में आयोजित समारोह में नाइक को अणुव्रत मित्र अलंकरण से नवाजा गया। इससे पूर्व केलवा में नवनिर्मित आचार्य महाप्रज्ञ भवन का लोकार्पण आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में श्रीमती बिन्दिया-रोशनलाल सांखला ने किया।