11.09.2011 ►Kelwa ►209th Mahaprayan Day Of Acharya Bhikshu Celebrated

Published: 11.09.2011
Updated: 21.07.2015

Short News in English

Location: Kelwa
Headline: 209th Mahaprayan Day Of Acharya Bhikshu Celebrated
News: Acharya Mahashraman paid homage to Acharya Bhikshu and presented one song titled Sharan Tumhari Aaya. Mantri Muni Sumermal and Sadhi Pramukha Kanak Prabha also spoke on occasion.

News in Hindi

आचार्य भिक्षु के 209वें निर्वाण दिवस kelwa

केलवा १० सेप्टेम्बर २०११ जैन तेरापंथ समाचार ब्योरो

आचार्य महाश्रमण ने तेरापंथ धर्मसंघ के जन्मदाता आचार्य भिक्षु को विलक्षण प्रतिभा का पर्याय बताते हुए कहा कि केलवा की भूमि उनके चातुर्मास और समागम से अभिभूत हो गई थी। वे जीवन में प्रति स्त्रोत ग्रामी व्यक्ति थे। उन्होंने लौकिक और लोकोत्तर में अंतर को परिभाषित किया और तत्व को विस्तारपूर्वक प्रतिपादित किया।

वे तेरापंथ समवसरण में शनिवार को चातुर्मास के तहत आचार्य भिक्षु के 209वें निर्वाण दिवस पर श्रावक सभा को संबोधित कर रहे थे। आचार्य ने संबोधि के चौथे अध्याय में उल्लेखित सहजानंद को परिभाषित करते हुए कहा कि जो लोग इंद्रियों के विषयों में मन के भीतर जाने का प्रयास करते हैं और राग-द्वेष की भावना है तो उसे इस तरह के आनंद की प्राप्ति नहीं होती। जो लोग इस तरह की वृतियों से विरक्त होते है उन्हें इस आनंद की अनुभूति होती है। आचार्य भिक्षु ने ढाई सौ वर्ष पहले केलवा की धरा पर तेरापंथ धर्मसंघ की नींव रखी थी। अपने निर्वाण समय तक वे इस धर्मसंघ की व्यापकता के प्रति समर्पित रहे। इस दौरान उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। इसके बाद भी वे अपने मार्ग से अलग नहीं हुए। ऐसे विरले और युगपुरुष बहुत कम ही देखने को मिलते है। आचार्य ने कहा कि पहाड़ की ऊंचाई होती है, लेकिन गहराई नहीं होती और समुद्र की गहराई होती है ऊंचाई नहीं होती। पर आचार्य भिक्षु में ऊंचाई और गहराई दोनों का समावेश था। अपने दृष्टांतों को समझाने के लिए वे तत्व ज्ञान का प्रयोग करते थे, ताकि किसी के मन में कोई जिज्ञासा शेष न रह जाए। उन्होंने तत्व को व्याख्यात किया था। उन्होंने लौकिक और लोकोत्तर में अंतर रखने का श्रावक-श्राविकाओं से आह्नान करते हुए एक पिता और उसके पुत्र का प्रसंग भी प्रस्तुत किया कि किस तरह बुद्धि का सही उपयोग नहीं करने से घी का हाल हुआ। उन्होंने कहा कि श्रावक समाज को चाहिए कि वह आत्मा को उत्कर्ष करने का प्रयास करें। साधना में पुष्टता हो और कषायों की मंदी करण की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।

इस अवसर पर आचार्य ने स्वामी शरण तुम्हारी आया... शीर्षक गीत प्रस्तुत कर आचार्य भिक्षु को भावांजलि अर्पित की। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि आचार्य भिक्षु ने संघ को नई दिशा प्रदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उसी का परिणाम है कि आज हमारा संघ विराट रूप ले चुका है। अन्य समाज में भी इस संघ का विशेष स्थान है। इसे बरकरार रखने के लिए सभी को प्रयास करने की आवश्यकता है। साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा ने कहा कि जिस तरह सोने को सुंदरता के लिए तपाया जाता है और चंदन को घिसाया जाता है उसी तरह आचार्य भिक्षु का जीवन था।

इस अवसर पर डाग रिया बंधुओं ने नेमा नंद लाल का वंदन, नवीन बोहरा ने ओ भिक्षु रे, प्रेमलता कच्छारा ने भिक्षु तेरे चरण में, संदीप बरडिया ने अनुशासन री, दिलीप डागा, वीणा सेठिया, वैरागी अशोक ने आप पधारो दर्शन दिरावो, मुनि रजनीश ने भिक्षु स्वामी भक्तों की, शासन श्री मुनि सुमेरमल, मुनि भवभूति तथा साधु-साध्वियों ने भिक्षु का स्मरण करते हुए अपनी प्रस्तुतियां दीं। आचार्यश्री ने वैरागी अशोक को तेरापंथ प्रतिक्रमण सीखने का निर्देश दिया। संयोजन मुनि मोह जीत कुमार ने किया।


Sources

Jain Terapnth News

News in English: Sushil Bafana

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