24.09.2011 ►Kelwa ►Develop Tolerance ► Acharya Mahashraman

Published: 24.09.2011
Updated: 21.07.2015

Short News in English

Location: Kelwa
Headline: Develop Tolerance ► Acharya Mahashraman
News: Acharya Mahashraman told to develop tolerance and stay polite. Mrs. Neelima Khaitan of Udaipur honored with Acharya Tulsi Purskar.

News in Hindi

सहनशीलता विकसित करें - आचार्य महाश्रमण ने कहा, नीलिमा को आचार्य तुलसी पुरस्कार

महिला सम्मेलन का दूसरा दिन

केलवा - जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो 24 Sep-2011

आचार्य महाश्रमण ने कहा कि मनुष्य को स्वयं में सहन करने की क्षमता को विकसित करने की आवश्यकता है। संबोधि के पांचवें अध्याय में भी इस बात का उल्लेख मिलता है कि जो व्यक्ति अप्रिय वाणी, कर्म और आचरण को सहन करने वाला होता है, वह अहिंसक की श्रेणी में आता है। प्रिय-अप्रिय व्यवहार होने की स्थिति में भी सामने वाले के प्रति समता का भाव रखा जाता है। तो यह भी एक बड़ी साधना के समान है।

आचार्य शुक्रवार को यहां तेरापंथ समवसरण में चल रहे चातुर्मास में शुक्रवार को प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को जीवन में इस सूत्र को अपनाने की महत्ती आवश्यकता है कि जिस तरह के व्यवहार अथवा कर्म की वह दूसरों से अपेक्षा नहीं करता। उस तरह के आचरण और कर्म को स्वयं भी नहीं करें। कोई अभद्र भाषा का उच्चारण कर रहा है अथवा तिरस्कार की दृष्टि से आचरण कर रहा है तो उसी के अनुरूप व्यवहार करने की बजाय विनयशील बनकर वार्ता करने का प्रयास करें। मनुष्य धर्म का सार सुनें और उसे धारण करने का प्रयास करें। भगवान महावीर स्वामी ने भी सहन करने की प्रवृति को जीवन में स्थान देने की बात कही थी।

वाणी के दो गुण व दो दोष:

आचार्य श्री ने वाणी को परिभाषित करते कहा कि इसके दो गुण और दो दोष हैं। दो दोष में पहला है किसी बात को अनावश्यक तरीके से लंबा खींचना। एक ही बात को बार-बार कहना गलत है। दूसरा दोष है हम किसी बात को कहते है, लेकिन उसका कोई सार नहीं होता। हमें यह प्रयास करना चाहिए कि हम कम शब्दों में सार पूर्ण बात को दूसरों के सामने प्रकट करने का प्रयास करें। थोड़ा बोलना और स्पष्ट बोलना वाकपटुता को दर्शाता है। किसी वक्ता की सफलता भी इसी में निहित है कि वह श्रोताओं के मन में अपनी अमिट छाप छोडऩे का प्रयास करें।

महिला सम्मेलन का दूसरा दिन

जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो 24 Sep-2011

तेरापंथ समवसरण में दोपहर करीब दो बजे अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल की ओर से आयोजित अलंकरण सत्र में आचार्य तुलसी कत्र्तव्य पुरस्कार उदयपुर की नीलिमा खेतान को प्रदान किया गया। खेतान को पुरस्कार स्वरूप एक लाख रुपए का चेक, प्रशस्ति पत्र और शील्ड प्रदान की गई। श्राविका गौरव का पुरस्कार मुंबई की सुशीला कच्छारा, प्रेमलता सेठिया और प्रतिभा पुरस्कार गायिका मीनाक्षी भूतोडिय़ा को दिया गया। पुरस्कार मोहनी देवी, सायर बैगानी, अध्यक्ष कनक बरमेचा, सूरज बरडिय़ा, सुशीला पटावरी, पूर्व अध्यक्ष सौभाग बैद, तारा सुराणा, प्रकाश तातेड़ और मधु जैन ने प्रदान किए। साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा ने महिलाओं को समाज के विकास की धुरी बताते हुए कहा कि यह समाज के साथ परिवार का विकास भी करती है। यह दोहरी जिम्मेदारी वहन कर आगे बढ़ रही हैं। प्रारंभ में दिल्ली महिला मंडल ने मंगलाचरण पेश किया।

हर महीने हो खमत खामना

जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो 24 Sep-2011

उन्होंने कहा कि आज परिवारों में परस्पर झगड़ा और कटुता रखने की बातें प्राय: देखने और सुनने को मिलती हैं। इसे कम करने के लिए सहन करने का प्रयास किया जाना चाहिए। एक लक्ष्य निर्धारित हो। साथ ही आवश्यकता इस बात की है कि प्रत्येक माह परिवार के सदस्यों के बीच खमत खामना की प्रवृति बने। इससे माहभर के दौरान प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से हुई त्रुटियों को मिटाया जा सके। यह जैन शासन की अच्छी परंपरा है। इससे सौहार्द बना रहता है और परस्पर दूरियां कम होती है।


Sources

Jain Terapnth News

News in English: Sushil Bafana

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