Short News in English
Location: | Kelwa |
Headline: | Diksha of Terapanth is Very Transparent ► Acharya Mahashraman |
News: | Acharya Mahashraman gives Diksha to Samani Param pragya and Samani Preksha pragya. New name was given Sadhvi Param Prabha and Sadhvi Preksha Prabha. Saman Diksha given to Mumukshu Ganpatlal and he was named Saman Gautam Pragya. Acharya Mahashraman told that Diksha in Terapanth is very transparent. We take acceptance of guardian orally and written by guardian. After Diksha person dedicate himself to Guru. Arun Chaturvedi President of BJP State unit took blessing of Acharya Mahashraman. He said principal of Terapanth can solve many national problems. |
News in Hindi
प्रलोभन देकर दीक्षा देना मुझे पसंद नही. महाश्रमण
केलवा केलवा १ नवम्बर २०११ जैन तेरापंथ न्यूज केलवा
तेरापंथ धर्म संघ के 11वें अधिशास्ता आचार्य महाश्रमण ने तेरापंथ महिला मंडल की ओर से तीन दिनों तक आयोजित दंपती शिविर को एक नया प्रयोग बताते हुए कहा कि स्वस्थ परिवार का निर्माण एक विशिष्ट कार्यक्रम है।
मेवाड़ के युवक-युवतियों को यह पहला सुअवसर प्राप्त हुआ है। भारतीय संस्कृति में विवाह को जन्म-जन्मांतर का संबंध माना गया है। यह 16 संस्कारों वाला एक अच्छा उपक्रम है। व्यक्ति के जीवन में धार्मिक सहिष्णुता, संयम और धार्मिकता का समावेश होना आवश्यक है।
आचार्यश्री ने यह विचार तेरापंथ समवसरण में चल रहे चातुर्मास के दौरान सोमवार को अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल की ओर से आयोजित नव दंपती शिविर ‘तालमेल’ के समापन पर उपस्थित श्रावक समाज को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने संबोधि के छठे अध्याय में उल्लेखित ‘मृत्यु के बाद स्वर्ग में कौन जाता है’ को परिभाषित किया। उन्होंने कहा कि साधना करने से संयम की पुष्टि और निर्जरा की प्राप्ति हो सकती है। संयम और तपस्या को मूल कसौटी का पर्याय माना गया है। केवल वस्त्र धारण करने से ही कोई साधु नहीं बन जाता। इसके लिए उसे इस तरह की कसौटी पर खरा उतरने का प्रयास करना चाहिए।
प्रलोभन देकर दीक्षा देना मुझे पसंद नही. महाश्रमण
आचार्य महाश्रमण ने दो समणियों को साध्वी एवं एक मुमुक्षु को साधविक समण दीक्षा दी, साध्वी परमप्रभा, साध्वी प्रेक्षाप्रभा और समण गौतमप्रज्ञ के नाम से जाने जाएंगे तीनों दीक्षार्थी
केलवा 2 नवम्बर २०११ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो केलवा
देश और विदेश में क्रांति भूमि एवं तेरापंथ धर्म संघ की उद्गम स्थली के रूप में विख्यात केलवा की तपोभूमि पर मंगलवार को एक ओर अध्याय स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हो गया। अवसर था दो समणियों की साध्वी और एक मुमुक्षु की साधविक समण दीक्षा समारोह का। अभूतपूर्व जनमैदिनी की मौजूदगी में तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें अधिष्ठाता आचार्य महाश्रमण ने तीनों को दीक्षा प्रदान की और समणी परम प्रज्ञा का नामकरण करते हुए साध्वी परमप्रभा, समणी प्रेक्षाप्रज्ञा को साध्वी प्रेक्षाप्रभा और मुमुक्षु गणपतलाल बोहरा को समण गौतमप्रज्ञ नाम दिया।
कस्बे के तेरापंथ समवसरण में सुबह नौ बजे महा मंत्रोच्चार के साथ प्रारंभ हुए दीक्षा समारोह में आचार्यश्री ने दीक्षा प्रदान करते हुए कहा कि तेरापंथ की दीक्षा में बहुत पारदर्शिता होती है। मैं स्वयं भी इसी तरह की दीक्षा देने में विश्वास रखता हूं। प्रलोभन देकर दीक्षा देना मुझे पसंद नहीं है। तेरापंथ में दीक्षा देने के पूर्व लिखित और मौखिक आज्ञा अभिभावकों से ली जाती है। उन्होंने हजारों की जनमैदिनी की उपस्थिति में कहा कि तेरापंथ में दीक्षा होना सरल बात नहीं है, जो भाग्यशाली होता है, वही इस संघ में दीक्षा ले सकता है। यहां दीक्षा लेने के बाद गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण करना होता है। अपनी इच्छा गुरु के सम्मुख निवेदित कर सकता है। पर जो गुरु का निर्णय होगा उसे स्वीकार करना जरूरी होता है। आचार्यश्री ने संबोधि के छठे अध्याय में उल्लेखित अगार और अनगार को परिभाषित करते हुए कहा कि अगार वह है, जो गृहस्थ जीवन में रहता है और जो अनगार होता है वह परिवार का त्यागी होता है और साधु कहलाता है। जिस गृहस्थ में धार्मिकता का समावेश होता है वे 12 व्रती बन जाते हैं। इनसे यह अपेक्षा है कि वे सामयिक की आराधना करें। हमने गुरुदेव आचार्यश्री तुलसी के जन्म शताब्दी समारोह के दौरान सौ दीक्षा का संकल्प लिया है। इसे पूरा करने के लिए श्रावक समाज को भी अपनी सहभागिता का निर्वाह करना है। साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा ने दीक्षार्थी समणी परमप्रज्ञा और प्रेक्षाप्रज्ञा का केशलोंच संस्कार संपन्न किया।
केलवा की धरा तीर्थ के समान:अरुण चतुर्वेदी
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने अपने उद्बोधन में कहा कि तेरापंथ धर्म संघ की उद्गम स्थली केलवा की धरा एक तीर्थ के समान है। यहां आकर और आचार्यश्री से आशीर्वाद लेकर मैं अपने आप को धन्य महसूस कर रहा हूं। इस धर्म संघ के आचार्यश्री तुलसी ने देशभर में अणुव्रत का आंदोलन चलाया। आचार्य महाप्रज्ञ ने अहिंसा यात्रा के माध्यम से लोगों को अहिंसामय जीवन जीने की प्रेरणा दी और अब आचार्य महाश्रमण इस मशाल को लेकर आगे चल रहे हैं। हम शुरू से ही तेरापंथ के सिद्धांतों की पालना करते तो शायद आज देश जिन समस्याओं के मुहाने खड़ा है वैसी स्थिति का सामना देशवासियों को नहीं करना पड़ता। उन्होंने राजनीति में धर्म के प्रभाव की आवश्यकता प्रतिपादित करते हुए कहा कि इसकी कमी से एक कमजोरी सी आ गई है। शेष त्न पेज १२
आचार्यश्री का अंकुश इस पर रहे तो हम अनेक समस्याओं का समाधान ढूंढ पाएंगे।
रजोहरण प्रदान किया
साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा ने अहिंसा ध्वज रजोहरण को आर्ष वाणी में आशीर्वाद के साथ दीक्षार्थी समणी परमप्रज्ञा और प्रेक्षाप्रज्ञा को प्रदान किया। इस अवसर पर समणी भावितप्रज्ञा ने दीक्षार्थी समणियों का परिचय प्रस्तुत किया। दीक्षार्थी समणी प्रेक्षाप्रज्ञा, परमप्रज्ञा, दीक्षार्थी गणपतलाल बोहरा ने दीक्षा को लेकर अपने विचार प्रकट किए। दीक्षार्थी गणपतलाल बोहरा के आज्ञापत्र का वाचन बजरंग जैन ने किया। समण सिद्धप्रज्ञ ने कहा कि तेरापंथ धर्म संघ में यह 22वीं सावधिक दीक्षा है और मेवाड़ के लिए खास बात यह है कि यहां के व्यक्ति की पहली बार साधविक समण दीक्षा हो रही है। इस दौरान समणी नियोजिका समणी मधुरप्रज्ञा ने भी विचार रखे। व्यवस्था समिति के अध्यक्ष महेंद्र कोठारी, महामंत्री सुरेन्द्र कोठारी, तेरापंथी सभाध्यक्ष बाबूलाल कोठारी, स्वागताध्यक्ष परमेश्वर बोहरा ने मंगलकामना करते हुए क्षमायाचना की। समणीवृंद ने समूह गीत का संज्ञान किया। रूस से समागत प्रेक्षाध्यान के प्रशिक्षकों ने अभिनंदन गीत और प्रेक्षा गीत का संगान किया। संयोजन मुनि मोहजीत कुमार ने किया।
उमड़ा जन सैलाब
सात वर्ष बाद एक चातुर्मास में दूसरी बार केलवा में दीक्षा समारोह को लेकर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। सवेरे नौ बजे तक तो यह स्थिति हो गई कि सड़क पर चारों तरफ लोगों का हुजूम ही नजर आ रहा था। समारोह स्थल खचाखच भरा हुआ था। समारोह समाप्ति के बाद सड़कों पर लोगों का भीड़ दिखाई दिया।